बड़े गोदामों के निर्माण की मोनेटरिंग कमेटी से नाबार्ड, वेयर हाउस और मार्केटिंग बोर्ड के प्रतिनिधियों को बाहर का रास्ता दिखाया
जयपुर, 13 मई (मुखपत्र)। भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय द्वारा जारी ष्ष्सहकार से समृद्धि योजनान्तर्गत सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भण्डारण योजना के तहत गोदाम निर्माण कार्य को गति देने के लिए समन्वय एवं पर्यवेक्षण कमेटी से नाबार्ड, कृषि विपणन बोर्ड और वेयर हाउस निगम का प्रतिनिधित्व समाप्त कर दिया गगा है। इन तीन संस्थाओं का प्रतिनिधित्व समाप्त होने के पश्चात समन्वय एवं पर्यवेक्षण कमेटी में अब केवल 3 सदस्य होंगे और तीनों ही सहकारिता विभाग के अधिकारी होंगे। रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां मंजू राजपाल की ओर से 12 मई 2025 को इस आशय का आदेश जारी किया गया।
आदेशानुसार, समन्वय एवं पर्यवेक्षण कमेटी में अब तीन सदस्य होंगे, जो योजना की क्रियान्विति सुनिश्चित करने के साथ-साथ निर्माणाधीन परियोजना का समय-समय पर समन्वय एवं पर्यवेक्षण करेंगे। इन सदस्यों में सम्बंधित खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, सम्बंधित केंद्रीय सहकारी बैंक का प्रबंध निदेशक और सम्बंधित इकाई उप रजिस्ट्रार/इकाई सहायक रजिस्ट्रार शामिल है। जिले में निर्माणाधीन गोदामों की संख्या अधिक होने की स्थिति में अतिरिक्त रजिस्ट्रार खंड के साथ-साथ जिले के वरिष्ठतम सहकारी अधिकारी को भी कमेटी में शामिल किया जा सकेगा। कमेटी के सदस्यों को निर्माणाधीन गोदामों के पर्यवेक्षण एवं समन्वय हेतु समितियों का आवंटन रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा किया जायेगा।
नये आदेश में प्रबन्ध निदेशक, केन्द्रीय सहकारी बैंक को अपने अधीन समितियों के निर्माणाधीन गोदामों का नियमित पर्यवेक्षण करने, कमेटी के सदस्यों द्वारा माह में 1 बार निर्माणाधीन गोदामों का निरीक्षण कर निरीक्षण रिपोर्ट खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करने, खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार द्वारा उक्त निरीक्षण रिपोर्ट की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने और निरीक्षणों की खंडवार संकलित रिपोर्ट मय की गई कार्यवाही प्रतिमाह रजिस्ट्रार कार्यालय को प्रेषित करने के लिए पाबंद किया गया है। साथ ही, कमेटी को सभी गोदामों पर जियो टैगिंग कराया जाना आवश्यक रूप से सुनिश्चित कराते हुये समय-समय पर मोनेटरिंग करनी होगी।
इन कारणों से हटाया
बताया जा रहा है कि गैर-सहकारी एजेंसियों के प्रतिनिधियों की कमेटी के कार्यों एवं बैठकों में अरुचि का फीडबैक मिलने के पश्चात उन्हें कमेटी से बाहर किया गया है। इन सदस्यों की समन्वय एवं पर्यवेक्षण कमेटी की बैठकों में उपस्थिति अनिर्वाय नहीं किये जाने के कारण ये बैठकों में नहीं आ रहे थे, साथ ही, स्टाफ की कमी के कारण निर्माणाधीन गोदामों की विजिट भी नहीं कर रहे थे। इसके चलते, इनके तकनीकी मार्गदर्शन का लाभ नहीं मिल पा रहा था। नाबार्ड की डायरेक्टर फंडिंग नहीं होने के कारण डीडीएम भी रुचि नहीं ले रहे थे।
एक साल बाद कमेटी में परिवर्तन
उल्लेखनीय है कि 21 मई, 2024 को तत्कालिन रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, अर्चना सिंह द्वारा जारी आदेश में 6 सदस्यीय समन्वय एवं पर्यवेक्षण कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें सम्बंधित जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार को अध्यक्ष, सम्बंधित केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक को सदस्य सचिव एवं सम्बंधित जिले के उप रजिस्ट्रार, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक, कृषि विपणन बोर्ड के प्रतिनिधि अभियंता और राजस्थान राज्य वेयर हाउस के प्रतिनिधि को सदस्य नामित किया गया था।
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