सहकारिता

स्थगन आदेश पर स्थगन : सहकारिता मंत्री की अदालत ने सहकारी न्यायालय के स्थगन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगायी

जयपुर, 5 मई (मुखपत्र)। गंगानगर जिले की 2 जीबीए ग्राम सेवा सहकारी समिति में हुए करोड़ों रुपये के गबन मामले में न्यायालय उप रजिस्ट्रार, अनूपगढ़ द्वारा जारी अधिनियम अंतर्गत कार्यवाही को हरी झण्डी मिल गयी है। सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतमकुमार दक के न्यायालय ने इस प्रकरण में एक आरोपी के वारियों से गबन की राशि वसूल करने पर, न्यायालय अतिरिक्त रजिस्ट्रार (अपील्स), जोधपुर द्वारा पारित स्थगनादेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है।

अतिरिक्त रजिस्ट्रार (अपील्स) न्यायालय द्वारा गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की जैतसर शाखा से सम्बद्ध 2 जीबीए ग्राम सेवा सहकारी समिति के दिवंगत व्यवस्थापक सुमेर सिंह के वारिसों से गबन की राशि के लिए कुर्कशुदा पैतृक सम्पत्ति की नीलामी की कार्यवाही और इससे सम्बंधित जांच रिपोर्ट को स्टे कर दिया गया था। इस समिति द्वारा संचालित मिनी बैंक में लगभग 9 करोड़ रुपये का गबन हुआ है, जिसके प्रमुख तीन आरोपितों में निवर्तमान व्यवस्थापक सुमेर सिंह भी शामिल है। सुमेर सिंह का 2020 में निधन हो गया था। वह सेवानिवृत्ति के उपरांत संविदा पर कार्यरत था।

वसूली की कार्यवाही को किया था स्टे

उप रजिस्ट्रार द्वारा राजस्थान सहकारी सोसाइटी 2001 की धारा 55 के तहत दर्ज प्रकरण में सुमेर सिंह के वारिसों – मृतक की पत्नी मंगेजकंवर और दोनों पुत्रों – विक्रम सिंह और रविन्द्र सिंह को वारिस के रूप में सुमेरसिंह से प्राप्त पैतृक सम्पत्ति को कुर्क किया गया। इस मामले में 24 फरवरी 2025 को आचरण की जांच पूर्ण होने के उपरांत उप रजिस्ट्रार द्वारा 18 मार्च 2025 को आरोपियों को धारा 57(2) के तहत नोटिस जारी कर, राशि की वसूली की कार्यवाही आरंभ की गयी।

तीनों द्वारा उप रजिस्ट्रार, अनूपगढ़ की इस कार्यवाही के विरुद्ध अतिरिक्त रजिस्ट्रार (अपील्स), जोधपुर के समक्ष राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 107 के तहत निगरानी पेश की गयी। इसमें तर्क दिया गया कि सुमेरसिंह की सेवानिवृत्ति के 9 वर्ष उपरांत अधिनियम अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया है जबकि अधिनियम की धारा 57 में प्रावधान है कि 6 वर्ष के उपरांत इस प्रकार का प्रकरण दर्ज नहीं किया जा सकता। निगरानी में यह भी दावा किया गया कि जांचकर्ता ने सुनवाई का अवसर नहीं दिया और उनके द्वारा चाहे गये दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं करवाये। अतिरिक्त रजिस्ट्रार (अपील्स) श्यामलाल मीणा द्वारा 17 अप्रेल 2025 को पारित आदेश में, निगरानीधीन जांच रिपोर्ट दिनांक 24 फरवरी 2025 एवं नोटिस दिनांक 18 मार्च 2025 की क्रियान्विति पर रोक लगा दी।

समिति ने लगायी मंत्री की अदालत में निगरानी

समिति के वर्तमान कार्यवाहक व्यवस्थापक सुभाष की ओर से सहकारिता मंत्री के न्यायालय में प्रस्तुत निगरानी को स्वीकार करते हुए राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतमकुमार दक ने, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (अपील्स), जोधपुर द्वारा 16 अप्रेल 2025 को पारित स्थगन आदेश की क्रियान्विति को आगामी आदेशों तक स्थगित कर दिया। मंत्री के न्यायालय द्वारा यह आदेश 2 मई 2025 को पारित किया गया।

संचालक मंडल भंग हो चुका

उल्लेखनीय है कि इस मामले में व्यवस्थापक बिशनपालसिंह का नाम भी प्रमुख आरोपितों में शामिल है। दोषी व्यवस्थापक के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं करने, समिति में उपलब्ध कोष से खाताधारकों को राशि नहीं लौटाये जाने और इस प्रकरण में सहयोग नहीं करने पर, सोसाइटी के संचालक मंडल को भंग कर, प्रशासक की नियुक्ति कर दी गयी है। किसी अन्य समिति के व्यवस्थापक के पास 2 जीबीए सोसाइटी का अतिरिक्त कार्यभार है।

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