प्रधानमंत्री ने सहकारिता क्षेत्र की प्रगति की समीक्षा की, यूपीआई को रुपे केसीसी कार्ड के साथ एकीकृत करने पर हुई चर्चा
सहकारिता को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करने का सुझाव
नई दिल्ली, 6 मार्च। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को लोक कल्याण मार्ग पर सहकारिता (Cooperative) क्षेत्र की प्रगति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में सहकारिता क्षेत्र में तकनीकी प्रगति के माध्यम से परिवर्तन लाने के लिए ‘सहकार से समृद्धि’ को बढ़ावा देने, सहकारिता में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की योजनाओं और सहकारिता मंत्रालय की विभिन्न पहलों पर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री ने वित्तीय लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए यूपीआई (UPI) को रुपे केसीसी (RUPAY KCC) कार्ड के साथ एकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला और सहकारिता संगठनों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता जतायी।
पीएम मोदी ने भारतीय सहकारिता क्षेत्र के विस्तार के लिए वैश्विक सहकारिता संगठनों के साथ साझेदारी की आवश्यकता, सहकारिता संगठनों के माध्यम से जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सहकारिता संगठनों की सम्पत्तियों के दस्तावेजीकरण के महत्व पर भी जोर दिया।
एग्रीस्टैक के उपयोग की अनुशंसा
पीएम ने निर्यात बाजारों पर ध्यान केंद्रित करने और कृषि पद्धतियों में सुधार के लिए सहकारिता समितियों के माध्यम से मृदा परीक्षण मॉडल विकसित करने का सुझाव दिया। साथ ही, सहकारी खेती को अधिक टिकाऊ कृषि मॉडल के रूप में बढ़ावा देने का सुझाव दिया। उन्होंने सहकारिता क्षेत्र में कृषि और सम्बंधित गतिविधियों के विस्तार के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (एग्रीस्टैक) के उपयोग की अनुशंसा की, जिससे किसानों को सेवाओं तक बेहतर पहुंच मिल सके।
पाठ्यक्रम में शामिल हो सहकारिता
शिक्षा के संदर्भ में, प्रधानमंत्री ने स्कूलों, कॉलेजों और आईआईएम में सहकारिता पाठ्यक्रम शुरू करने के साथ-साथ भावी पीढिय़ों को प्रेरित करने के लिए सफल सहकारिता संगठनों को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि युवा स्नातकों को योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और सहकारिता संगठनों को उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंक किया जाना चाहिए, ताकि प्रतिस्पर्धा और विकास को एक साथ बढ़ावा दिया जा सके।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय सहकारिता नीति और पिछले साढ़े तीन वर्षों में सहकारिता मंत्रालय की प्रमुख उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी गई। ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करते हुए, मंत्रालय ने व्यापक परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का मसौदा तैयार किया है। राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का उद्देश्य सहकारिता क्षेत्र के व्यवस्थित और समग्र विकास को सुविधाजनक बनाना है, जिसमें महिलाओं और युवाओं को प्राथमिकता देते हुए ग्रामीण आर्थिक विकास में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसका उद्देश्य सहकारिता आधारित आर्थिक मॉडल को बढ़ावा देना और एक मजबूत कानूनी और संस्थागत ढांचा स्थापित करना है। इसके अलावा, नीति का उद्देश्य सहकारिता समितियों के जमीनी स्तर पर प्रभाव को गहरा करना और देश के समग्र विकास में सहकारिता क्षेत्र के योगदान को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाना है।
केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने की 60 पहलें
अपनी स्थापना के बाद से, मंत्रालय ने सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा देने और मजबूत करने के लिए सात प्रमुख क्षेत्रों में 60 पहल की हैं। इन पहलों में राष्ट्रीय सहकारिता डेटाबेस और कम्प्यूटरीकरण परियोजनाओं के माध्यम से सहकारिता संस्थाओं का डिजिटलीकरण, साथ ही प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को मजबूत करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने सहकारी चीनी मिलों की दक्षता और स्थिरता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
आईआरएमए, आनंद बनेगा सहकारिता विश्वविद्यालय
भारत सरकार ने सहकारी समितियों के लिए ‘सम्पूर्ण सरकारी दृष्टिकोण’ के माध्यम से विभिन्न योजनाओं को लागू किया है, जिसमें पैक्स स्तर पर 10 से अधिक मंत्रालयों की 15 से अधिक योजनाओं को एकीकृत किया गया है। परिणामस्वरूप, सहकारी व्यवसायों में विविधता आई है, अतिरिक्त आय सृजन हुआ है, सहकारी समितियों के लिए अवसरों में वृद्धि हुई है और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं की पहुंच में सुधार हुआ है।
इन सहकारी समितियों के गठन के लिए वार्षिक लक्ष्य भी निर्धारित किए गए हैं। सहकारिता शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देने और कुशल पेशेवर प्रदान करने के लिए, आईआरएमए आनंद को ‘त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय’ में परिवर्तित करने और इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनाने के लिए एक विधेयक संसद में पेश किया गया है।
जनसंख्या का पांचवां हिस्सा सहकारिता से जुड़ा
प्रधानमंत्री को सहकारी समितियों के विकास और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी दी गई। भारत की अर्थव्यवस्था में सहकारी क्षेत्र के योगदान, विशेष रूप से कृषि, ग्रामीण विकास और आर्थिक समावेशन पर प्रकाश डाला गया। बैठक के दौरान बताया गया कि वर्तमान में देश की जनसंख्या का पांचवां हिस्सा सहकारी क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, जिसमें 30 से अधिक क्षेत्रों की 8.2 लाख से अधिक सहकारी संस्थाएं शामिल हैं, जिनकी सदस्यता 30 करोड़ से अधिक है। अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में सहकारी समितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
अमित शाह सहित ये अधिकारी रहे उपस्थित
बैठक में गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव-2 शक्तिकांत दास, प्रधानमंत्री के सलाहकार अमित खरे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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