सहकारिता

 नया कोऑपरेटिव कोड – राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2025 के प्रस्तावित प्रावधान

अध्याय-1. प्रारम्भिक

राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 का मौजूदा प्रावधान
1. संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ और प्रसार
(1) इस अधिनियम का नाम राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 है।
अध्याय-1. प्रारम्भिक
राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2025 का प्रस्तावित प्रावधान
1. संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ और प्रसार
(1) इस अधिनियम का नाम राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2025 है।
2. परिभाषायें
वर्तमान प्रावधान
जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इस अधिनियम में –
(ख) ‘सहकारी सोसाइटी का कार्यक्षेत्र’ से उपविधियों में यथाविनिर्दिष्ट ऐसा भौगोलिक क्षेत्र अभिप्रेत है जिस तक सोसाइटी की सदस्यता और कार्य कलाप सधारणत: सीमित हैं;
ढ) ‘वित्तीय बैंक’ से तात्पर्य ऐसी सहकारी सोसाइटी से है, जिसका मुख्य उद्देश्य अन्य संस्थाओं को धन उधार देना है तथा जिसमें भूमि विकास बैंक सम्मिलित है;
द) ‘प्राथमिक सोसाइटी’ ये ऐसी सोसाइटी अभिप्रेत है जो न तो शीर्ष सोसाइटी है, न केन्द्रीय सोसाइटी और जो प्रमुख रूप से सदस्यों के रूप में व्यष्टियों द्वारा गठित हो;
2. परिभाषायें
प्रस्तावित प्रावधान
(ख) ‘सहकारी सासोइटी का कार्यक्षेत्र’ से उपविधियों में यथाविनिर्दिष्ट ऐसा भौगोलिक क्षेत्र अभिप्रेत है जिस तक सोसाइटी की सदस्यता और कार्यकलाप सधारणत: सीमित हैं; परन्तु कार्यक्षेत्र की यह परिभाषा किसी सोसाइटी को अपने स्वंय के उत्पादों या अपने सदस्य के उत्पादों या स्थानीय रूप से प्राप्त किये गये उत्पादों का विक्रय या विपणन करने के लिए अपने कार्य क्षेत्र से बाहर अपनी दुकानें और आउट्लेट्स स्थापित करने से प्रतिबंधित नहीं करेगी।
ढ) ‘वित्तीय बैंक’ से तात्पर्य ऐसी सहकारी सोसाइटी से है, जिसका मुख्य उद्देश्य अपने सदस्यों एवं सदस्य संस्थाओं को धन उधार देना है तथा जिसमें भूमि विकास बैंक सम्मिलित है;
द) ‘प्राथमिक सोसाइटी’ ये ऐसी सोसाइटी अभिप्रेत है जो न तो शीर्ष सोसाइटी है, न केन्द्रीय सोसाइटी और जो प्रमुख रूप से सदस्यों के रूप में व्यष्टियों द्वारा गठित हो; तथा उसका कार्यक्षेत्र रजिस्ट्रार द्वाराअनुमत वह भौगोलिक क्षेत्र होगा, जो रजिस्ट्रार के अनुमोदन उपरान्त उप नियमों में समावेशित किया जायें;
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अध्याय-2. निगमन

6. रजिस्ट्रीकरण
वर्तमान प्रावधान
(1) (घ) कि प्रस्तावित सोसाइटी के उद्देश्य सामाजिक न्याय, सहकारिता और लोक सदाचार के सिद्धातंों से असंगत नहीं है और प्रदेश की विधियों के अल्पीकरण में नहीं हैं, तो वह, आवदेन के प्रस्तुत किये जाने से 60 दिन के भीतर-भीतर यथाविहित वर्ग या उपवर्ग के अधीन इसकी उपविधियों सहित सहकारी सोसाइटी को रजिस्ट्रीकृत करेगा और अपने हस्ताक्षर और मुद्रा से उसका प्रमाण पत्र जारी करेगा, जो इस तथ्य का निश्चायक साक्ष्य होगा कि सहकारी सोसाइटी इस अधिनियम के अधीन सम्यक रूप से रजिस्ट्रीकृत है,
जब तक कि यह साबित नहीं कर दिया जाये कि ऐसा रजिस्ट्रीकरण रजिस्ट्रार द्वारा इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रद्द कर दिया गया है।
(2) यदि रजिस्ट्रार यह पाता है कि उप-धारा (1) में अधिकथित शर्तों में से किसी भी शर्त को पूरा नहीं किया गया है तो वह, ऐसे आवदेकों को, जो विहित किये जायें, सुनवाई का अवसर देने के पश्चात, आवेदन के प्रस्तुत किये जाने से 60 दिन के भीतर-भीतर नामंजूरी के आदेश से, उसके कारणों सहित, संसूचित करेगा।
6. रजिस्ट्रीकरण –
प्रस्तावित प्रावधान
(1) (घ) कि प्रस्तावित सोसाइटी के उद्देश्य सामाजिक न्याय, सहकारिता और लोक सदाचार के सिद्धातंों से असंगत नहीं है और प्रदेश की विधियों के अल्पीकरण में नहीं हैं, तो वह, आवदेन के प्रस्तुत किये जाने से 30 दिन के भीतर-भीतर यथाविहित वर्ग या उपवर्ग के अधीन इसकी उपविधियों सहित सहकारी सोसाइटी को रजिस्ट्रीकृत करेगा और अपने हस्ताक्षर और मुद्रा से उसका प्रमाण पत्र जारी करेगा, जो इस तथ्य का निश्चायक साक्ष्य होगा कि सहकारी सोसाइटी इस अधिनियम के अधीन सम्यक रूप से रजिस्ट्रीकृत है,
जब तक कि यह साबित नहीं कर दिया जाये कि ऐसा रजिस्ट्रीकरण रजिस्ट्रार द्वारा इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रद्द कर दिया गया है।
(2) यदि रजिस्ट्रार यह पाता है कि उप-धारा (1) में अधिकथित शर्तों में से किसी भी शर्त को पूरा नहीं किया गया है तो वह, ऐसे आवदेकों को, जो विहित किये जायें, सुनवाई का अवसर देने के पश्चात, आवेदन के प्रस्तुत किये जाने से 30 दिन के भीतर-भीतर नामंजूरी के आदेश से, उसके कारणों सहित, संसूचित करेगा।
4) रजिस्ट्रार सभी सोसाइटियों को, नियमों द्वारा विहित, एक या दूसरे वर्ग में तथा उनके उप-वर्गों में भी वर्गीकृत कर सकेगा।
10. उपविधियों का संशोधन
वर्तमान प्रावधान
(2) यदि रजिस्ट्रार को यह प्रतीत हो कि प्रस्तावित संशोधन ऐसी अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं करता है जो उपविधियों के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवश्यक है, तो वह उस पर अपनी टिप्पणियों सहित, उसके प्रस्तुत किये जाने के 60 दिन के भीतर-भीतर उस पर पुनर्विचार करने के लिए उसे सोसाइटी को वापस भेजेगा।
(3) जहां सोसाइटी उप-धारा (2) के अधीन यथा-अपेक्षित पुनर्विचार के पश्चात, प्रस्ताव पुन: प्रस्तुत करे तो रजिस्ट्रार प्रस्तावित संशोधन कर 60 दिन के भीतर-भीतर रजिस्ट्रीकरण करेगा, यदि उसका उपविधियों के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवश्यक अपेक्षाओं की पूर्ति से समाधान हो जाता है या अन्यथा नामंजूरी के अपने आदेश से सोसाइटी को संसूचित करेगा।
10. उपविधियों का संशोधन
प्रस्तावित प्रावधान
(2) यदि रजिस्ट्रार को यह प्रतीत हो कि प्रस्तावित संशोधन ऐसी अपेक्षाओं की पूर्ति नहीं करता है जो उपविधियों के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवश्यक है, तो वह उस पर अपनी टिप्पणियों सहित, उसके प्रस्तुत किये जाने के 30 दिन के भीतर-भीतर उस पर पुनर्विचार करने के लिए उसे सोसाइटी को वापस भेजेगा।
(3) जहां सोसाइटी उप-धारा (2) के अधीन यथा-अपेक्षित पुनर्विचार के पश्चात, प्रस्ताव पुन: प्रस्तुत करे तो रजिस्ट्रार प्रस्तावित संशोधन कर 30 दिन के भीतर-भीतर रजिस्ट्रीकरण करेगा, यदि उसका उपविधियों के रजिस्ट्रीकरण के लिए आवश्यक अपेक्षाओं की पूर्ति से समाधान हो जाता है या अन्यथा नामंजूरी के अपने आदेश से सोसाइटी को संसूचित करेगा।
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अध्याय 3 –सहकारी सोसाइटियों के सदस्य और उनके अधिकार तथा दायित्व

15. सदस्यता
वर्तमान प्रावधान
(3) यदि समिति –
(द्ब) सदस्य के रूप में सम्मिलित होने के आवदेन को नामंजूर करती है तो ऐसी नामंजूरी के विरूद्ध अपील रजिस्ट्रार को हो सकेगी जो उस सोसाइटी को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात इस अधिनियम और नियमों तथा उपविधियों के उपबंधों के अनुसार आवेदन पर विनिश्चय करेगा और उसका विनिश्चय अन्तिम तथा उस सोसाइटी पर आबद्धकर होगा;
(द्बद्ब) उप-धारा (2) के अधीन अपना विनिश्चय या नामंजूरी के कारण उसमें विनिर्दिष्ट समय के भीतर-भीतर संसूचित करने में विफल रहती है तो आवदेक ऐसे समय की समाप्ति से 60 दिन की कालावधि के भीतर-भीतर अपने आवेदन पर विनिश्चय के लिए रजिस्ट्रार को समावेदन कर सकेगा, जिसका निपटारा उसी रीति से किया जायेगा मानो वह खण्ड (द्ब) के अधीन कोई अपील है।
प्रस्तावित प्रावधान
15. सदस्यता
(3) यदि समिति –
(द्ब) सदस्य के रूप में सम्मिलित होने के आवदेन को नामंजूर करती है तो ऐसी नामंजूरी के विरूद्ध अपील रजिस्ट्रार को हो सकेगी जो उस सोसाइटी को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात इस अधिनियम और नियमों तथा उपविधियों के उपबंधों के अनुसार आवेदन पर विनिश्चय करेगा और उसका विनिश्चय अन्तिम तथा उस सोसाइटी पर आबद्धकर होगा;
(द्बद्ब) उप-धारा (2) के अधीन अपना विनिश्चय या नामंजूरी के कारण उसमें विनिर्दिष्ट समय के भीतर-भीतर संसूचित करने में विफल रहती है तो आवदेक ऐसे समय की समाप्ति से 30 दिन की कालावधि के भीतर-भीतर अपने आवेदन पर विनिश्चय के लिए रजिस्ट्रार को समावेदन कर सकेगा, जिसका निपटारा उसी रीति से किया जायेगा मानो वह खण्ड (द्ब) के अधीन कोई अपील है।
(4) कोई भी सोसाइटी, बिना किसी कारण के अधिनियम, नियम और उसकी उपविधियों के उपबंधों के अधीन सम्यक रूप से योग्य किसी व्यक्ति को सदस्यता में प्रवेश देने से इंकार नहीं करेगी। जहां कोई सोसाइटी सदस्य के रूप में प्रवेश के लिए पात्र व्यक्ति से आवेदन स्वीकार करने या सदस्यता के सम्बंध में उसके द्वारा किए गए भुगतान को स्वीकार करने से इंकार करती है, वहां ऐसा व्यक्ति निर्धारित किए गए प्रारूप में सदस्यता के सम्बंध में भुगतान, यदि कोई हों, के साथ रजिस्ट्रार को आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा, जो आवेदन और भुगतान की गई राशि, यदि कोई हो ऐसे आवदेन और राशि की प्राप्ति की तारीख से 15 दिवस के भीतर-भीतर सम्बंधित सोसाइटी को अग्रेषित करेगा और इसके बाद यदि सोसाइटी ऐसे आवदेन और राशि की प्राप्ति की तारीख से 30 दिवस के भीतर आवेदक को किसी निर्णय से संसूचित करने में विफल रहती है, तो आवेदक को ऐसी सोसाइटी का सदस्य माना जाएगा। यदि कोई ऐसा प्रश्न उठता है कि कोई ऐसा माना हुआ सदस्य बन गया है या नहीं, तो रजिस्ट्रार द्वारा सभी सम्बंधित पक्षों को सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद 30 दिवस में उसका निर्णय किया जायेगा।
19. सदस्यों के मत
वर्तमान प्रावधान
किसी सोसाइटी के, नाममात्र के और सहयुक्त सदस्य से भिन्न, प्रत्येक सदस्य को एक मत देने का हक होगा।
प्रस्तावित प्रावधान
19. सदस्यों के मत
किसी सोसाइटी के, नाममात्र के और सहयुक्त सदस्य से भिन्न, प्रत्येक सदस्य को एक मत देने का हक होगा। यह भी प्रावधान किया जाता है कि प्रत्येक जमाकर्ता प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी सोसाइटी का सदस्य होगा, यदि वह उस सोसाइटी का सदस्य होने के अन्य मानदण्डों को पूर्ण करता है और यदि ऐसा सदस्य सोसाइटी के आम चुनाव की तारीख से तीस दिन पहले की तारीख को एक वर्ष की अवधि के लिए न्यूनतम 2000/- रुपये की राशि जमा रखता है, तो वह भी सोसाइटी के मामलों में मत देने का पात्र होगा।
20. मत प्रयोग की रीति
वर्तमान प्रावधान
(1) सहकारी सोसाइटी का प्रत्येक सदस्य अपने मत का व्यक्तिश: प्रयोग करेगा और किसी भी सदस्य को परोक्षी से मत देने की अनुज्ञा नहीं दी जायेगी।
प्रस्तावित प्रावधान
20. मत प्रयोग की रीति
(1) सहकारी सोसाइटी का प्रत्येक सदस्य अपने मत का व्यक्तिश: प्रयोग करेगा और किसी भी सदस्य को परोक्षी से मत देने की अनुज्ञा नहीं दी जायेगी। जहां सोसाइटी का कोई शेयर एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा संयुक्त रूप से धारण किया जाता है, वहां ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को, पूर्ववर्ती व्यक्ति या व्यक्तियों की अनुपस्थिति में मत देने का अधिकार होगा, बशर्ते कि ऐसा व्यक्ति उपस्थित हो तथा अवयस्क न हो। यह भी प्रावधान किया जाता है कि जहां मतदान का तरीका मतपत्र द्वारा है, वहां शेयर के सभी संयुक्त धारक सोसाइटी के मामलों में अपनी ओर से मत देने के लिए अपने में से किसी एक को नियुक्त कर सकेंगे।
21. शेयर धारण करने पर निर्बन्धन
वर्तमान प्रावधान
किसी सहकारी सोसाइटी में कोई व्यष्टिक सदस्य इतने शेयर, जो सोसाइटी की उपविधियों में विहित किये जायें, या सोसाइटी की कुल शेयर पूंजी के अधिकतम पांचवें भाग तक, जो भी कम हो, धारण करेगा:
परन्तु किसी अरबन को-ऑपरेटिव बैंक को कोई व्यष्टिक सदस्य इतने शेयर, जो सोसाइटी की उपविधियों में विहित किये जायें, या सोसाइटी की कुल शेयर पूंजी के अधिकतम बीसवें भाग तक, जो कोई भी कम हो, धारण करेगा।
प्रस्तावित प्रावधान
21. शेयर धारण करने पर निर्बन्धन
किसी सहकारी सोसाइटी में कोई व्यष्टिक सदस्य इतने शेयर, जो सोसाइटी की उपविधियों में विहित किये जायें, या सोसाइटी की कुल शेयर पूंजी के अधिकतम पांचवें भाग तक, जो भी कम हो, धारण करेगा:
परन्तु किसी अरबन को-ऑपरेटिव बैंक को कोई व्यष्टिक सदस्य इतने शेयर, जो सोसाइटी की उपविधियों में विहित किये जायें, या सोसाइटी की कुल शेयर पूंजी के अधिकतम बीसवें भाग तक, जो कोई भी कम हो, धारण करेगा।
यह भी प्रावधान किया जाता है कि शेयर धारण की अधिकतम सीमा वहां लागू नहीं होगी, जहां राज्य सरकार या भारत सरकार ने, जैसी भी स्थिति हो, किसी सोसाइटी की शेयर पूंजी में अभिदाय किया हो या अभिदाय करना चाहती हो।
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अध्याय 4. सहकारी सोसाइटियों का प्रबंध

27. समिति की नियुक्ति
वर्तमान प्रावधान
(1) किसी सहकारी सोसाइटी का साधारण निकाय सोसाइटी के कार्यकलापों का प्रबन्ध उपविधियों के अनुसार गठित समिति को न्यस्त करेगा:
परन्तु इस अधिनियम के प्रारम्भ हाने के पश्चात रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी के मामले में, ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने सोसाइटी का रजिस्ट्रीकरण करने के आवेदन पर हस्ताक्षर किये हैं, सोसाइटी के कार्यकलापों के संचालन के लिए रजिस्ट्रीकरण की तारीख से 3 मास की कालावधि के लिए कोई समिति नियुक्त कर सकेंगे, किन्तु इस परन्तुक के अधीन नियुक्त समिति, ऐसी किसी नयी समिति, जिसका गठन उपविधियों के अनुसार 3 मास की उक्त कालावधि के भीतर-भीतर किया जायेगा, के गठन पर कृत्य करना बन्द कर देगी।

अध्याय 4. सहकारी सोसाइटियों का प्रबंध

27. समिति की नियुक्ति
प्रस्तावित प्रावधान
(1) किसी सहकारी सोसाइटी का साधारण निकाय सोसाइटी के कार्यकलापों का प्रबन्ध उपविधियों के अनुसार गठित समिति को न्यस्त करेगा:
परन्तु इस अधिनियम के प्रारम्भ हाने के पश्चात रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी के मामले में, ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने सोसाइटी का रजिस्टीकरण करने के आवेदन पर हस्ताक्षर किये हैं, सोसाइटी के कार्यकलापों के संचालन के लिए रजिस्ट्रीकरण की तारीख से 3 मास की कालावधि के लिए कोई समिति नियुक्त कर सकेंगे, किन्तु इस परन्तुक के अधीन नियुक्त समिति, ऐसी किसी नयी समिति, जिसका गठन उपविधियों के अनुसार 3 मास की उक्त कालावधि के भीतर-भीतर किया जायेगा, के गठन पर कृत्य करना बन्द कर देगी।
परन्तु यह भी कि लोक हित में दो या दो से अधिक सोसाइटियों के समामेलन से नई सोसाइटी अथवा किसी सोसाइटी के पुनर्गठन से नई सोसाइटी अथवा दो या दो अधिक सोसाइटियां बनाए जाने के लिए विभाजन के स्वरूप नई सोसाइटियों का रजिस्ट्रीकरण किया जाना है और इस प्रकार रजिस्ट्रीकरण की जाने वाली नई सोसाइटी/सोसाइटियों के सदस्य सोसाइटी/सोसाइटियों के मामलों का संचालन करने के लिए सर्वसम्मति से एक कार्यकारी समिति का गठन करने में विफल रहते हैं, वहां रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रीकरण की तारीख से तीन महीने की अवधि के लिये सोसाइटी/सोसाइटियों का संचालन करने के लिए नियमों में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार एक समिति नियुक्त करने के लिए सक्षम होगा। लेकिन इस प्रावधान के तहत नियुक्त समिति, एक नई समिति के गठन पर कार्य करना बंद कर देगी, जो 3 महीने की उक्त अवधि के भीतर उपविधियों के अनुसार गठित की जायेगी।
27. क. मुख्य कार्यपालक अधिकारी की नियुक्ति और हटाया जाना
वर्तमान प्रावधान
(1) शीर्ष सहकारी बैंक या किसी केन्द्रीय सहकारी बैंक का मुख्य कार्यपालक अधिकारी संबंधित बैंक की समिति द्वारा नियुक्तकिया जायेगा और वह ऐसे मानदंड पूरे करेगा जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियत किये जायें।
27. क. मुख्य कार्यपालक अधिकारी की नियुक्ति और हटाया जाना
प्रस्तावित प्रावधान
(1) शीर्ष सहकारी बैंक या किसी केन्द्रीय सहकारी बैंक का मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऐसे मानदंड पूरे करेगा जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियत किये जायें।
28. समितियों की सदस्यता इत्यादि के लिए निरर्हता
वर्तमान प्रावधान
(1) कोई भी व्यक्ति, एक ही समय में, एक से अधिक शीर्ष सोसाइटी या एक से अधिक केन्द्रीय सोसाइटी का अध्यक्ष नहीं होगा।
8) ऐसा कोई व्यक्ति
(द्ब) जिसके विरुद्ध सक्षम न्यायालय ने भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (1860 का केन्द्रीय अधिनियम सं. 45) की धारा 120ख, 405, 406, 407, 408, 409, 415, 416, 419, 420, 421, 422, 423, 424, 447, 463, 464, 465, 466, 467, 468, 469, 470, 471, 472, 473, 474, 475, 476 या 477क के अधीन दण्डनीय अपराध के लिए संज्ञान किया गया है और जो विचारण के अधीन है, किसी सोसाइटी की समिति के सदस्य के रूप में निर्वाचित, सहयोजित या नामनिर्देशित होने या उसमें बने रहने का पात्र नहीं होगा; या,
28. समितियों की सदस्यता इत्यादि के लिए निरर्हता
प्रस्तावित प्रावधान
(1) कोई भी व्यक्ति, एक ही समय में, एक से अधिक शीर्ष सोसाइटी या एक से अधिक केन्द्रीय सोसाइटी का अध्यक्ष नहीं होगा। परन्तु केंद्रीय कृषि विपणन सहकारी सोसाइटी का अध्यक्ष केंद्रीय सहकारी बैंक का अध्यक्ष बनने के लिए पात्र होगा।
8) ऐसा कोई व्यक्ति
(द्ब) जिसके विरूद्ध सक्षम न्यायालय ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 (केन्द्रीय अधिनियम संख्या 45, 2023) कीधारा 61(2), 316(1), 316(2), 316(3), 316(4), 316(5, 318(1), 319(1), 319(2), 318(4), 320, 321, 322, 323, 329(3), 335, 336(1), 336(2), 336(3), 336(4), 337, 338, 339, 340(1), 340(2), 341(1), 341(2), 342(1), 342(2) या 344 के अधीन दण्डनीय अपराध के लिए संज्ञान किया गया है और जो विचारण के अधीन है, किसी सोसाइटी की समिति के सदस्य के रूप में निर्वाचित, सहयोजित या नामनिर्देशित होने या उसमें बने रहने का पात्र नहीं होगा।
28(ए)
(1) कोई पदाधिकारी जो उस पद के लिए निर्वाचन के आधार पर पद धारण करता है, ऐसा पदाधिकारी नहीं रह जाएगा यदि समिति की बैठक में उसके विरूद्ध समिति के कुल सदस्यों के, जो ऐसे पदाधिकारी के निर्वाचन में मत देने के हकदार हैं, दो तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है, उसका पद तदुपरांत रिक्त समझा जाएगा।
(2) ऐसी विशेष बैठक के लिए अध्यपेक्षा पर समिति के कुल सदस्यों के कम से कम एक तिहाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे, जो समिति के पदाधिकारी का निर्वाचन करने के हकदार हैं और उसे प्राथमिक सोसाइटियों के मामले में जोनल रजिस्ट्रार, किसी केन्द्रीय सोसाइटी के मामले में रजिस्ट्रार, सहकारी सोसाइटी, राजस्थान और किसी शीर्ष सोसाइटी के मामले में राज्य सरकार को भेजा जाएगा। अध्यपेक्षा ऐसे प्रारूप में तथा ऐसी रीति से की जाएगी, जैसा विहित की जाए: परन्तु विशेष बैठक के लिए ऐसी कोई अध्यपेक्षा उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी अधिकारी के पदभार ग्रहण करने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर नहीं की जाएगी।
(3) उपधारा (2) के अधीन अध्यपेक्षा प्राप्त होने की तारीख से सात दिन के भीतर प्राथमिक सोसाइटी के मामले में जोनल रजिस्ट्रार, केन्द्रीय सोसाइटी के मामले में रजिस्ट्रार एवं शीर्ष सोसाइटी के मामले में राज्य सरकार द्वारा अधिकृत अधिकारी समिति की विशेष बैठक बुलाएगा। ऐसी बैठक, बैठक की सूचना जारी होने की तारीख से पन्द्रह दिन के बाद की किसी तारीख को आयोजित की जाएगी।
(4) बैठक की अध्यक्षता उपधारा (3) में वर्णित अधिकारी द्वारा की जायेगी। ऐसा अधिकारी, ऐसी बैठक की अध्यक्षता करते समय, वही शक्तियां रखेगा, जो समिति की बैठक की अध्यक्षता करते समय अध्यक्ष या सभापति की होती हैं, किन्तु उसे मत देने का अधिकार नहीं होगा।
(5) इस धारा के अधीन बुलाई गई बैठक किसी भी कारण से स्थगित नहीं की जाएगी।
(6) प्रस्ताव के पक्ष में और विपक्ष में मतदान करने वाले समिति सदस्यों के नाम बैठक में पढ़े जाएंगे और समिति की बैठकों की कार्यवृत पुस्तिका में दर्ज किए जाएंगे।
(7) यदि अविश्वास प्रस्ताव अस्वीकृत हो जाता है, तो प्रस्ताव की ऐसी अस्वीकृति की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर समिति के समक्ष कोई नया अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा।
(8) यदि किसी सोसाइटी की समिति में काई पद पदाधिकारी के विरुद्ध पारित अविश्वास प्रस्ताव के परिणामस्वरूप रिक्त हो जाता है, तो समिति का मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियमों में निर्धारित सूचनाओं के साथ राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण को इसकी सूचना देगा और राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण नियमों और उपविधियों में निर्धारित तरीके से उस पद को भरने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा।
29. सरकार द्वारा नामनिर्देशन
वर्तमान प्रावधान
(1) जहां सरकार ने –
(घ) मूलधन की रकम के प्रतिसंदाय और किसी सहकारी सोसाइटी को दिये गये उधारों और अग्रिमों पर ब्याज के संदाय की प्रत्याभूति दी है,
तो सरकार द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट किसी प्राधिकारी को सहकारी सोसाइटी की समिति में तीन से अनधिक सदस्य नामनिर्दिष्ट करने का अधिकार होगा:
परन्तु ऐसे नामनिर्देशिती केवल सरकारी सेवक होंगे:
परन्तु यह और कि यदि सरकार ने शेयर पूँजी में अभिदाय किया हो तो राज्य सरकार को शीर्ष सहकारी बैंक और केन्द्रीय सहकारी बैंकों की समिति में केवल एक सदस्य नामनिर्देशित करने का अधिकार होगा और वह शेयर पूँजी में सरकार के अभिदाय को विचार में लाये बिना किसी प्राथमिक कृषि साख सोसाइटी की समिति में कोई सदस्य नामनिर्देशित नहीं करेगी।
6(2) इस अधिनियम या किसी सोसाइटी की उपविधियों में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां सरकार ने किसी लघु अवधि सहकारी साख संरचना सोसाइटी से भिन्न किसी सहकारी सोसाइटी की शेयर पँूजी में 5 लाख रुपये या अधिक की सीमा तक अभिदाय किया है, वहां सरकार या इस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई भी अन्य प्राधिकारी, उप-धारा (1) के अधीन नामनिर्दिष्ट सदस्यों के अतिरिक्त दूसरा सदस्य नामनिर्देशित कर सकेगा और उसे ऐसी सोसाइटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के रूप में नियुक्त कर सकेगा, जो समिति का पदेन सदस्य-सचिव होगा। सरकार या यथानिर्दिष्ट ऐसा प्राधिकारी ऐसी सोसाइटी में, मुख्य कार्यपालक अधिकारी की सहायता करने के लिए किसी अन्य कार्यपालक अधिकारी की नियुक्ति भी कर सकेगा।
29. सरकार द्वारा नामनिर्देशन
प्रस्तावित प्रावधान
(1) जहां सरकार ने –
(घ) मूलधन की रकम के प्रतिसंदाय और किसी सहकारी सोसाइटी को दिये गये उधारों और अग्रिमों पर ब्याज के संदाय की प्रत्याभूति दी है,
तो सरकार द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट किसी प्राधिकारी को सहकारी सोसाइटी की समिति में तीन से अनधिक सदस्य नामनिर्दिष्ट करने का अधिकार होगा:
6(2) इस अधिनियम या किसी सोसाइटी की उपविधियों में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, जहां सरकार ने किसी सहकारी सोसाइटी की शेयर पँूजी में अभिदाय किया है, वहां सरकार या इस निमित्त विनिर्दिष्ट कोई भी अन्य प्राधिकारी, उप-धारा (1) के अधीन नामनिर्दिष्ट सदस्यों के अतिरिक्त दूसरा सदस्य नामनिर्देशित कर सकेगा और उसे ऐसी सोसाइटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के रूप में नियुक्त कर सकेगा, जो समिति का पदेन सदस्य-सचिव होगा। सरकार या यथानिर्दिष्ट ऐसा प्राधिकारी ऐसी सोसाइटी में, मुख्य कार्यपालक अधिकारी की सहायता करने के लिए किसी अन्य कार्यपालक अधिकारी की नियुक्ति भी कर सकेगा।
30. समिति या उसके सदस्य का हटाया जाना
वर्तमान प्रावधान
6(1) जहां –
(क) किसी सहकारी सोसाइटी की समिति, –
(i) लगातार व्यतिवम करती है; या
(ii) इस अधिनियम या नियमों या उप-विधियों द्वारा उस समिति पर अधिरोपित अपने कत्र्तव्यों के पालन में उपेक्षा करती है; या
(iii) सोसाइटी या उसके सदस्यों के हितों के प्रतिकूल कोई कारती है; या
(ख)(2). यदि समिति का कोई भी सदस्य, इस अधिनियम या तद्धीन बनाये गये नियमों या उप-विधियों के द्वारा उस पर अधिरोपित किये जाने वाले कत्र्तव्यों का पालन करने में लगातार व्यतिवम करता है या उपेक्षा करता है या समिति अथवा उसके सदस्यों के हित के प्रतिकूल कोई कार्य करता है तो किसी प्राथमिक समिति की दशा में जोनल रजिस्ट्रार, किसी केन्द्रीय समिति की दशा में रजिस्ट्रार, सहकारी सोसाइटी, राजस्थान और किसी शीर्ष समिति की दशा में राज्य सरकार, सुने जाने का युक्तियुक्त अवसर प्रदान करने के पश्चात, ऐसे सदस्य को लिखित आदेश द्वारा, हटा सकेगी।
30. समिति या उसके सदस्य का हटाया जाना
प्रस्तावित प्रावधान
6(1) जहां –
(क) किसी सहकारी सोसाइटी की समिति, –
(i) लगातार व्यतिवम करती है; या
(ii) इस अधिनियम या नियमों या उप-विधियों या सोसाइटी के कर्मचारियों पर लागू सेवानियमों द्वारा उस समिति पर अधिरोपित अपने कत्र्तव्यों के पालन में उपेक्षा करती है; या
(iii) सोसाइटी या उसके सदस्यों के हितों के प्रतिकूल कोई कारती है; या
(ख)(2). यदि समिति का कोई भी सदस्य, इस अधिनियम या तद्धीन बनाये गये नियमों या उप-विधियों या सोसाइटी के कर्मचारियों पर लागू सेवानियमों के द्वारा उस पर अधिरोपित किये जाने वाले कत्र्तव्यों का पालन करने में लगातार व्यतिवम करता है या उपेक्षा करता है या समिति अथवा उसके सदस्यों के हित के प्रतिकूल कोई कार्य करता है तो किसी प्राथमिक समिति की दशा में जोनल रजिस्ट्रार, किसी केन्द्रीय समिति की दशा में रजिस्ट्रार, सहकारी सोसाइटी, राजस्थान और किसी शीर्ष समिति की दशा में राज्य सरकार, सुने जाने का युक्तियुक्त अवसर प्रदान करने के पश्चात, ऐसे सदस्य को लिखित आदेश द्वारा, हटा सकेगी।
30-ख. समस्त वित्तीय और आन्तरिक प्रशासनिक मामलों में स्वायत्तता
वर्तमान प्रावधान
30-ख. समस्त वित्तीय और आन्तरिक प्रशासनिक मामलों में स्वायत्तता
प्रस्तावित प्रावधान
30-ख. समस्त वित्तीय और आन्तरिक प्रशासनिक मामलों में स्वायत्तता
यह प्रावधान हटा दिया गया है।
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अध्याय 6. सहकारी सोसाइटियों के विशेषाधिकार

39. कतिपय सोसाइटियों से उधार लेने वाले सदस्यों की स्थावर सम्पत्ति पर भार
वर्तमान प्रावधान
इस अधिनियम में या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी –
(क) कोई भी व्यक्ति, जो किसी सोसाइटी को, जिसका वह सदस्य है, अल्पकालीन उधार से भिन्न किसी उधार के लिए या किसी बैंक प्रत्याभूति के लिए आवेदन करता है और/या कोई व्यक्ति, जो ऐसे व्यक्ति के लिए प्रत्याभूति का निष्पादन करता है, विहित प्ररूप में घोषणा करेगा जिसमें यह कथन किया जायेगा कि आवेदक और/या प्रत्याभूति-दाता, उसी उधार, अग्रिम या, यथास्थिति, प्रत्याभूति की रकम का, जो सोसाइटी आवेदन के अनुसरण में सदस्य को दे और उसके द्वारा समय-समय पर अपेक्षित समस्त भावी अग्रिमों का, यदि कोई हों, सोसाइटी ऐसे सदस्य के रूप में उसे दे, ऐसे अधिकतम के अध्यधीन रहते हुए, जो सोसाइटी द्वारा अवधारित किया जाये, उधारों तथा अग्रिमों या प्रत्याभूति की ऐसी रकम पर देय ब्याज सहित, अपने स्वामित्वाधीन तथा घेषणा में विनिर्दिष्ट स्थावर सम्पत्ति पर इसके द्वारा भार सृजित करता है;
39. कतिपय सोसाइटियों से उधार लेने वाले सदस्यों की स्थावर सम्पत्ति पर भार
प्रस्तावित प्रावधान
इस अधिनियम में या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी –
(क) कोई भी व्यक्ति, जो किसी सोसाइटी को, जिसका वह सदस्य है, किसी उधार के लिए या किसी बैंक प्रत्याभूति के लिए आवेदन करता है और/या कोई व्यक्ति, जो ऐसे व्यक्ति के लिए प्रत्याभूति का निष्पादन करता है, विहित प्ररूप में घोषणा करेगा जिसमें यह कथन किया जायेगा कि आवेदक और/या प्रत्याभूति-दाता, उसी उधार, अग्रिम या, यथास्थिति, प्रत्याभूति की रकम का, जो सोसाइटी आवेदन के अनुसरण में सदस्य को दे और उसके द्वारा समय-समय पर अपेक्षित समस्त भावी अग्रिमों का, यदि कोई हों, सोसाइटी ऐसे सदस्य के रूप में उसे दे, ऐसे अधिकतम के अध्यधीन रहते हुए, जो सोसाइटी द्वारा अवधारित किया जाये, उधारों तथा अग्रिमों या प्रत्याभूति की ऐसी रकम पर देय ब्याज सहित, अपने स्वामित्वाधीन तथा घोषणा में विनिर्दिष्ट स्थावर सम्पत्ति पर इसके द्वारा भार सृजित करता है;
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अध्याय 7. सहकारी सोसाइटियों को राज्य सहायता

44. सरकार की वित्तीय भागीदारी या सहायता
वर्तमान प्रावधान
(1) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, सरकार, –
(छ) किसी सहकारी सोसाइटी को सहायिकियों को सम्मिलित करते हुए किसी भी अन्य रूप में, वित्तीय सहायता दे सकेगी;
परन्तु सरकारी धन से या तो सरकार द्वारा प्रत्यक्षत: या किसी भी अन्य सहकारी सोसाइटी के माध्यम से खरीदे गये किन्हीं भी शेयरों के संबंध में दायित्व, उसका परिसमापन होने की दशा में, ऐसे शेयरों के संबंध में संदत्त रकम तक सीमित होगा;
परन्तु यह और कि सरकार किसी लघु अवधि सहकारी साख संरचना सोसाइटी की कुल शेयर पूँजी का पच्चीस प्रतिशत से अधिक धारित नहीं करेगी और ऐसी सोसाइटी या सरकार के पास सरकार को शेयर पूँजी को और घटाने का विकल्प होगा।
44. सरकार की वित्तीय भागीदारी या सहायता
प्रस्तावित प्रावधान
(छ) किसी सहकारी सोसाइटी को सहायिकियों को सम्मिलित करते हुए किसी भी अन्य रूप में, वित्तीय सहायता दे सकेगी;
परन्तु सरकारी धन से या तो सरकार द्वारा प्रत्यक्षत: या किसी भी अन्य सहकारी सोसाइटी के माध्यम से खरीदे गये किन्हीं भी शेयरों के संबंध में दायित्व, उसका परिसमापन होने की दशा में, ऐसे शेयरों के संबंध में संदत्त रकम तक सीमित होगा;
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अध्याय 8. सहकारी सोसाइटियों की सम्पत्तियां और निधियां

51. उधार देने की नीति
वर्तमान प्रावधान
(6) इस धारा में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, लघु अवधि साख संरचना सोसाइटी अपनी उधार नीतियां अवधारित कर सकेगी और सोसाइटी और इसके सदस्यों के हितों को ध्यान में रखते हुए इसके सदस्यों को व्यक्तिगत उधार विनिश्चित कर सकेगी।
51. उधार देने की नीति
प्रस्तावित प्रावधान
(6) इस धारा में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, लघु अवधि साख संरचना सोसाइटी अपनी उधार नीतियां अवधारित कर सकेगी किन्तु इस संबंध में यदि नाबार्ड/आरबीआई द्वारा जारी दिशा-निर्देश यदि कोई हो तो, प्रभावी होंगे।
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अध्याय 9. लेखा परीक्षा, जांच और अधिभार

54. लेखे और लेखापरीक्षा
वर्तमान प्रावधान
(1) प्रत्येक सोसाइटी, प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अपने लेखे, विहित प्ररूप और रीति से तैयार और संधारित करेगी।
(2) प्रत्येक सोसाइटी, सोसाइटी की समिति द्वारा उप-धारा (4) के अधीन अनुमोदित पैनल में से नियुक्त लेखापरीक्षक या लेखापरीक्षा फर्म द्वारा अपने लेखाओं की लेखापरीक्षा करवायेगी:
परन्तु जहां सोसाइटी की समिति किसी लेखापरीक्षक या लेखापरीक्षा फर्म की नियुक्ति उसके लिए नियत समय में करने में विफल रहती है, वहां रजिस्ट्रार, उप-धारा (4) के अधीन अनुमोदित पैनल में से, सोसाइटी की लेखापरीक्षा के लिए, किसी लेखापरीक्षक या लेखापरीक्षा फर्म की नियुक्ति कर सकेगा:
परन्तु यह और कि कोई भी लेखापरीक्षक या लेखापरीक्षा फर्म लगातार दो वर्ष से अधिक के लिए सोसाइटी के लेखाओं की लेखापरीक्षा के लिए, नियुक्त नहीं की जायेगी:
परन्तु यह भी कि रजिस्ट्रार, किसी आदेश द्वारा, किसी सोसाइटी या सोसाइटियों के वर्ग के लेखाओं की किसी विशिष्ट कालावधि के लिए लेखापरीक्षा करवाने के लिए लेखापरीक्षक (कों) या लेखापरीक्षा फर्म (मों) की नियुक्ति कर सकेगा, जो सोसाइटी या, यथास्थिति, सोसाइटियों के वर्ग पर बाध्यकारी होगा।
(10) लेखापरीक्षक या, यथास्थिति, लेखापरीक्षा फर्म रजिस्ट्रार द्वारा विहित प्रारूप में लेखापरीक्षा रिपोर्ट तैयार करेगी और लेखापरीक्षा रिपोर्ट सोसाइटी को और रजिस्ट्रार को भी प्रस्तुत करेगी।
54. लेखे और लेखापरीक्षा
प्रस्तावित प्रावधान
(1) प्रत्येक सोसाइटी, प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अपने लेखे, विहित प्ररूप और रीति से तैयार और संधारित करेगी।
(2) प्रत्येक सोसाइटी, सोसाइटी की समिति द्वारा उप-धारा (4) के अधीन अनुमोदित पैनल में से नियुक्त लेखापरीक्षक या लेखापरीक्षा फर्म द्वारा अपने लेखाओं की लेखापरीक्षा करवायेगी:
यह भी कि सोसाइटी की समिति, जिस वित्तीय वर्ष के लेखों की लेखा परीक्षा की जानी है, उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पूर्व लेखा परीक्षा अथवा लेखा परीक्षा फर्म की नियुक्ति किया जाना सुनिश्चित करेगी।
परन्तु जहां सोसाइटी की समिति किसी लेखापरीक्षक या लेखापरीक्षा फर्म की नियुक्ति उसके लिए नियत समय में करने में विफल रहती है, वहां रजिस्ट्रार, उप-धारा (4) के अधीन अनुमोदित पैनल में से, सोसाइटी की लेखापरीक्षा के लिए, किसी लेखापरीक्षक या लेखापरीक्षा फर्म की नियुक्ति कर सकेगा:
और यह कि प्रत्येक सोसाइटी तीन वित्तीय वर्षों में से कम से कम एक वित्तीय वर्ष के लेखों की परीक्षा उपधारा 5(क)(द्बद्ब) में वर्णित पात्र विभागीय लेखा परीक्षक से करवायेगी।
और यह भी कि कोई भी लेखापरीक्षक या लेखापरीक्षा फर्म लगातार दो वर्ष से अधिक के लिए सोसाइटी के लेखाओं की लेखापरीक्षा के लिए, नियुक्त नहीं की जायेगी: यह भी कि भारतीय रिजर्व बैंक या नाबार्ड द्वारा जारी निर्देश और दिशानिर्देश, यदि कोई हो, केेंद्रीय सहकारी बैंकों, राजस्थान राज्य सहकारी बैंक, प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसाइटी या शहरी सहकारी बैंक के लिए लेखा परीक्षा और लेखा परीक्षक या लेखा परीक्षा फर्म की नियुक्ति के लिए निर्धारित मानदंडों के संबंध में लागू होंगे।
परन्तु यह भी कि रजिस्ट्रार, किसी आदेश द्वारा, किसी सोसाइटी या सोसाइटियों के वर्ग के लेखाओं की किसी विशिष्ट कालावधि के लिए लेखापरीक्षा करवाने के लिए लेखापरीक्षक(कों) या लेखापरीक्षा फर्म(मों) की नियुक्ति कर सकेगा, जो सोसाइटी या, यथास्थिति, सोसाइटियों के वर्ग पर बाध्यकारी होगा।
(10) लेखापरीक्षक या, यथास्थिति, लेखापरीक्षा फर्म रजिस्ट्रार द्वारा विहित प्ररूप में लेखापरीक्षा रिपोर्ट तैयार करेगी और लेखापरीक्षा रिपोर्ट रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करेगी, यदि रजिस्ट्रार लेखा परीक्षा में कोई कमियां पाता है तो वह इन कमियों को दूर करने के निर्देश देते हुए लेखा परीक्षक/लेखा परीक्षा फर्म को रिपोर्ट भेजकर पुन: सही की हुई लेखा परीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु कह सकेगा। रजिस्ट्रार लेखा परीक्षा रिपोर्ट के उसके कार्यालय में प्राप्त होने के 45 दिवस में परीक्षण कर ऐसे निर्देशों के साथ जो वह उचित समझें सोसाइटी की वार्षिक आमसभा में अनुपालना किये जाने हेतु प्रेषित करेगा।
55. रजिस्ट्रार द्वारा जांच
वर्तमान प्रावधान
(1) रजिस्ट्रार,
(क) ऐसी सहकारी सोसाइटी, जिससे कि संबंधित सोसाइटी सम्बद्ध है; या
ख) सोसाइटी की समिति के सदस्यों के बहुमत; या
(ग) सोसाइटी के कुल सदस्यों की संख्या के दसवें भाग से अन्यून,
के आवदेन पर या स्वप्रेरणा से या तो स्वयं या अपने लिखित आदेश द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति के जरिये किसी सहकारी सोसाइटी के गठन, अवधि विशेष में किये गये कारबार और वित्तीय स्थिति के बारे में जांच कर सकेगा।
55. रजिस्ट्रार द्वारा जांच
प्रस्तावित प्रावधान
(1) रजिस्ट्रार,
(क) ऐसी सहकारी सोसाइटी, जिससे कि संबंधित सोसाइटी सम्बद्ध है; या
ख) सोसाइटी की समिति के सदस्यों के बहुमत; या
(ग) सोसाइटी के कुल सदस्यों की संख्या के दसवें भाग से अन्यून,
के आवदेन पर या स्वप्रेरणा से राज्य सरकार की अध्यपेक्षा पर या तो स्वयं या अपने लिखित आदेश द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति के जरिये किसी सहकारी सोसाइटी के गठन, अवधि विशेष में किये गये कारबार और वित्तीय स्थिति के बारे में जांच कर सकेगा।
57. अधिभार
वर्तमान प्रावधान
(1) यदि इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन की गयी किसी लेखापरीक्षा, जांच, निरीक्षण या किसी समापक की रिपोर्ट के आधार पर रजिस्ट्रार की जानकारी में यह आता है कि किसी व्यक्ति ने, जिसने ऐसी सोसाइटी के संगठन या प्रबंध में कोई भाग लिया है या जो सोसाइटी का कोई अधिकारी या कर्मचारी है या किसी भी समय रहा है, इस अधिनियम, नियमों या उपविधियों के उपबंधों के प्रतिकूल कोई संदाय कर दिया है या जानबूझकर उपेक्षा करके सोसाइटी की आस्तियों में कमी कर दी है या ऐसी सोसाइटी के धन या अन्य सम्पत्ति का दुर्विनियोग किया है या उसे कपटपूर्वक रख लिया है तो रजिस्ट्रार ऐसे व्यक्ति के आचरण के बारे में स्वयं जांच कर सकेगा या अपने द्वारा इस निमित्त लिखित आदेश द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति को जांच करने के निदेश दे सकेगा:
परन्तु इस धारा के अधीन आचरण की कोई जांच ऐसे किसी व्यक्ति द्वारा नहीं की जायेगी जिसने उसी मामले में पूर्व में लेखापरीक्षा, जांच, निरीक्षण या समापन की रिपोर्ट प्रस्तुत की है;
परन्तु यह और कि ऐसी कोई भी जांच किसी कार्य या लोप की तारीख से 6 वर्ष की समाप्ति के पश्चात् या ऐसे कार्य या लोप का रजिस्ट्रार को ज्ञान होने की तारीख से दो वर्ष की समाप्ति के पश्चात् नहीं की जायेगी:
परन्तु यह भी कि समान्य कारबारी समझबूझ के साथ सोसाइटी के हित में किये गये किसी कार्य या विनिश्चय के कारण हुई कोई कारबारी हानि ऐसी जांच की विषयवस्तु नहीं होगी।
(2) जहाँ उप-धारा (1) के अधीन कोई जांच की जाये, वहां रजिस्ट्रार, संबंधित व्यक्ति को अपना मामला अभ्यावेदित करने का अवसर देने के पश्चात्, उससे धन या सम्पत्ति या उसके किसी भाग का ऐसी दर से ब्याज सहित प्रतिसंदाय करने या प्रत्यावर्तित करने या ऐसी सीमा तक अभिदाय और खर्चों का या प्रतिकर का संदाय करने की अपेक्षा करते हुए आदेश कर सकेगा जिसे रजिस्ट्रार न्यायोचित और साम्यपूर्ण समझे।
57. अधिभार
प्रस्तावित प्रावधान
(1) यदि इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत किये गए ऑडिट, जांच, निरीक्षण या परिसमापक की रिपोर्ट के आधार पर रजिस्ट्रार के ज्ञान में आता है कि कोई व्यक्ति जिसने ऐसी सोसायटी के संगठन या प्रबंधन में कोई हिस्सा लिया है या जो किसी समय सोसायटी का अधिकारी या कर्मचारी रहा है, ने इस अधिनियम, नियमों या उपविधियों के प्रावधानों के विपरीत कोई भुगतान किया है या जानबूझकर उपेक्षा से सोसायटी की परिसंपत्तियों में कोई कमी की है या ऐसी सोसायटी से संबंधित किसी धन या अन्य संपत्ति का दुरुपयोग किया है या धोखाधड़ी से उसे अपने पास रखा है, तो रजिस्ट्रार ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के खिलाफ ऐसे ऑडिट, जांच, निरीक्षण या परिसमापक की रिपोर्ट के आधार पर और संबंधित व्यक्ति को और किसी मृत व्यक्ति के मामले में उसके प्रतिनिधि को, जो उसकी संपत्ति को विरासत में लेता है, आरोपों का जवाब देने के लिए उचित अवसर देने के बाद आरोप तय कर सकेगा और उससे यह अपेक्षा करते हुए आदेश दे सकेगा, कि वह धन या संपत्ति या उसके किसी हिस्से को, ऐसी दर पर ब्याज के साथ, जैसा कि रजिस्ट्रार निर्धारित करे, सोसाइटी की सम्पत्तियों के दुरूपयोग, प्रतिधारण, दुराचरण या न्यासभंग के मुआवजे के रूप में इतना योगदान करे, जितना वह निर्धारित करे।

प्रदेश का यह केंद्रीय सहकारी बैंक कई दिन से रामभरोसे, न एमडी, न ईओ, न एडिशनल ईओ

 

सरकार ने ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण योजना में ब्याज अनुदान के 112 करोड़ रुपये जारी किये

रक्षक ही भक्षक ! राजस्थान के सबसे पुराने केंद्रीय सहकारी बैंक में ब्रांच मैनेजर ने किया करोड़ों का गबन

 

 

सहकारिता विभाग के 11 अधिकारियों के विरुद्ध एसीबी जांच की अनुमति दी

अब सहकारी संस्थाओं में भी अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा, नये कोऑपरेटिव कोड में प्रावधान

दो सहकारी अधिकारियों का पदस्थापन, एक एम.डी. का स्थानांतरण

पैक्स मैनेजर को पीएफ और बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया, हाईकोर्ट ने कहा- चेयरमैन को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए

किसानों को केवल 5 प्रतिशत ब्याज दर पर मिलेगा कृषि ऋण, सहकारी बैंकों को 130 करोड़ रुपये के लक्ष्यों का आवंटन

सहकारी सोसाइटी के नो-ड्यूज प्रमाण पत्र के बाद ही कृषि भूमि की रजिस्ट्री और इंतकाल दर्ज हो – राजपाल

 

 

 

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