राष्ट्रीय सहकारिता नीति की घोषणा जल्द, 20 साल के लिए बनेगी नीति : अमित शाह
नई दिल्ली, 30 जून। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि कुछ ही समय में राष्ट्रीय सहकारिता नीति की घोषणा भी होगी, जो 2025 से 2045 तक, यानी लगभग आजादी की शताब्दी तक अमल में रहेगी। वे सोमवार को नई दिल्ली में राज्यों के सहकारिता मंत्रियों की मंथन बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस राष्ट्रीय सहकारिता नीति के तत्वावधान में ही हर राज्य की सहकारिता नीति वहां की सहकारिता की स्थिति के अनुरूप बने और इसके लक्ष्य भी निर्धारित हों। तभी आज़ादी की शताब्दी तक हम एक आदर्श कोऑपरेटिव स्टेट बन सकेंगे।
मॉडल एक्ट से आयेगा अनुशासन
शाह ने कहा कि पूरे देश में सहकारिता के क्षेत्र में अनुशासन, नवाचार और पारदर्शिता लाने का काम मॉडल एक्ट से होगा। दो लाख पैक्स के निर्णय के तहत वित्त वर्ष 2025-26 के लक्ष्य को फरवरी माह में ही समाप्त कर दिया जाए, तभी हम 2 लाख पैक्स के लक्ष्य तक समय से पहुंच सकेंगे।
बैठक में चर्चा के मुख्य बिंदुओं में देशभर में 2 लाख बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (एमपैक्स) की स्थापना की प्रगति और ग्रामीण सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को बढ़ावा देना शामिल है। सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के कार्यान्वयन पर भी बैठक के दौरान विस्तृत चर्चा हुई। बैठक में भाग ले रहे प्रतिनिधियों ने ‘सहकारी समितियों के बीच सहकार’ के दृष्टिकोण के तहत ‘अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025’ में अपने योगदान को भी सामने रखा।
यूसीबी, क्रेडिट सोसाइटी पर फोकस करें
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंक और क्रेडिट सोसायटी पर हमें विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। हम कोऑपरेटिव बैंक को बैंकिंग एक्ट के तहत ले आए हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी लचीली अप्रोच अपनाते हुए हमारी कई समस्याएं दूर की हैं। बाकी बची समस्याएं तभी दूर हो सकती हैं, जब हम पारदर्शिता के साथ बैंक का संचालन और कर्मचारियों की भर्ती करें। उन्होंने क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी और अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के संचालन में और अधिक पारदर्शिता लाने की ज़रूरत पर बल दिया।
सेहत के लिए जरूरी है प्राकृतिक खेती
सहकारिता मंत्री ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि सभी राज्यों के सहकारिता मंत्री अपने-अपने राज्यों में कृषि मंत्रियों के साथ समन्वय स्थापित कर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें, ताकि आम जनमानस के साथ-साथ धरती माता का स्वास्थ्य भी सुधरे।
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