राष्ट्रीयसहकारिता

गांधीधाम में इफको नैनो डीएपी संयंत्र का शिलान्यास, रोजाना 2 लाख बोतल तरल डीएपी का उत्पादन होगा

नई दिल्ली, 12 अगस्त। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को गुजरात के गांधीधाम में इफको नैनो डीएपी (तरल) संयंत्र का भूमिपूजन एवं शिलान्यास किया। इस अवसर पर इफको (इंडियन फार्मर फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव लिमिटेड) के अध्यक्ष दिलीप संघाणी और प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि गांधीधाम में बनने वाला संयंत्र, इफको के मौजूदा 30 लाख टन डीएपी उत्पादन करने वाले संयंत्र से भी अधिक उत्पादन करेगा। उन्होंने कहा कि तरल उर्वरक देश के अर्थतंत्र और कृषि क्षेत्र को मल्टी डाइमेनशनल लाभ देने वाला है। नैनो डीएपी के छिड़काव से भूमि प्रदूषित नहीं होगी, जिससे प्राकृतिक खेती की राह आसान होगी और इससे मिट्टी की उर्वरकता के साथ-साथ कृषि उत्पाद बढ़ेगा और भूमि संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

शाह ने कहा कि इफको डीएपी (तरल), सरकार के सब्सिडी के बोझ को कम करेगा और आयात कम कर भारत को यूरिया और डीएपी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा। शाह ने इस महत्वपूर्ण पहल के लिए इफ़को को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि इफको ने न केवल दुनियाभर में सबसे पहले नैनो फर्टिलाइजर की शुरुआत की है, बल्कि इससे फर्टिलाइजर के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लक्ष्य को हासिल करने में बहुत अधिक मदद मिलेगी।

अमित शाह ने गांधीधाम में 70 एकड़ में करीब 350 करोड़ रुपये की लागत से जो संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, उसके लिए इफको ने बैंक से एक रुपया भी उधार नहीं लिया है, इसमें शतप्रतिशत इक्विटी इफको की है। इफको की इक्विटी का मतलब 4 करोड़ किसानों की इक्विटी है क्योंकि इफको का पैसा पैक्स और बाकी कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से वापस किसान के पास जाता है।

6 करोड़ बैग का आयात कम होगा

उन्होंने कहा कि इस संयंत्र से प्रतिदिन 500 मिलीलीटर की दो लाख नैनो बोतल देश और दुनिया में भेजी जाएंगी, जिससे डीएपी की 6 करोड़ बैग का आयात कम होगा और भारत फर्टिलाइजर के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बनेगा। इससे लगभग 10,000 करोड़ रुपये की खाद सब्सिडी और करीब 3500 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत होगी। श्री शाह ने भरोसा जताया कि एक साल के अंदर ही इस कारखाने में तरल डीएपी का उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह प्लांट जीरो लिक्विड डिसचार्ज के आधार पर बनाया गया है, जिससे पर्यावरण की सुरक्षा होगी और फर्टिलाइजर के दाम में भी कमी आएगी।

फर्टिलाइजर क्षेत्र में को-ऑपरेटिव क्षेत्र मजबूत आधार स्तम्भ

अमित शाह ने कहा कि को-ऑपरेटिव सेक्टर, फर्टिलाइजर के उत्पादन और बिक्री में देश की कृषि क्रांति का एक मजबूत स्तंभ बनकर खड़ा है और आज यह स्तंभ और ज्यादा मजबूत और ताकतवर हुआ है। उन्होंने कहा कि वो दिन चले गए जब हमें विदेशों से गेहूं और चावल लाने पड़ते थे। आज हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम और सरकारों के लगातार प्रयास से भारत अन्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन गया है।

देश को प्राकृतिक हरित क्रांति की जरूरत

अमित शाह ने कहा कि देश को एक बार फिर हरित क्रांति की ज़रूरत है, लेकिन यह हरित क्रांति एक अलग प्रकार की होगी और इसका लक्ष्य सिफ़र् उत्पादन नहीं होगा। नई हरित क्रांति में भारत को दुनिया को प्राकृतिक खेती का रास्ता बताना होगा और इसके लिए प्राकृतिक खेती की हरित क्रांति लानी होगी। इस प्रकार की हरित क्रांति लानी होगी, जिससे किसानों को अपनी उपज का अधिक मूल्य मिले और वे प्रति एकड़ में अधिकतम उपज हासिल कर सके। साथ ही, विश्व में भारत के किसानों के ऑर्गेनिक उत्पादों को बेच कर विश्वभर से भारत में सम्पत्ति लाने का काम इस हरित क्रांति से करना होगा।

हरित क्रांति के तीन लक्ष्य

सहकारिता मंत्री ने कहा कि नई हरित क्रांति के तीन लक्ष्य हैं। पहला, उत्पादन के साथ-साथ गेहूं, चावल, दलहन और तिलहन सहित सभी खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर बनना। दूसरा, किसान की प्रति एकड़ उपज को बढ़ाना और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर भूमि का संरक्षण करना। तीसरा, प्राकृतिक कृषि उत्पादों को विश्व भर के बाज़ारों में निर्यात कर किसान के घर तक समृद्धि पहुँचाना। केंद्र सरकार इन तीनों लक्ष्यों के प्रति पूरी तरह समर्पित है।

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