हाई कोर्ट ने सहकारी सोसाइटी के बर्खास्त व्यवस्थापक की सेवाएं बहाल की
जोधपुर, 26 जनवरी (मुखपत्र)। राजस्थान उच्च न्यायालय ने ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड से बर्खास्त व्यवस्थापक की सेवाएं बहाल करते हुए पुन: सोसाइटी में ज्वाइन कराने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि यदि संचालक मंडल, पैक्स मैनेजर को पुन: ज्वाइन नहीं कराता है, तो ऐसी स्थिति में उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां को यह अधिकार होगा कि वह सम्बंधित समिति के समस्त वित्तीय लेनदेन पर रोक लगा सकेगा।
जस्टिस दिनेश की मेहता की अदालत ने श्रीमती सुनीता सिंवर पत्नी विनोद कुमार, निवासी 11 टी.के. की याचिका पर गत सप्ताह यह आदेश सुनाया। सुनीता का कहना है कि वो 11 टी.के. ग्राम सेवा सहकारी समिति, जिला श्रीगंगानगर में व्यवस्थापक पद पर कार्यरत थी। संचालक मंडल ने उसे सुनवाई का उचित अवसर दिये बिना और विविधत प्रक्रिया की पालना किये बिना ही, प्रतिशोधात्मक रूप से 16 जुलाई 2024 को उसकी व्यवस्थापक की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां श्रीगंगानगर द्वारा इस सम्बंध में सोसाइटी अध्यक्ष को तीन बार पत्र लिखे गये, लेकिन सुनीता की सेवाएं बहाल नहीं की गयी।
इस पर सुनीता द्वारा अधिवक्ता एल.के. रामधारी के माध्यम से हाई कोर्ट में एसबी सिविल रिट पटीशन संख्या 806/2025 दायर की गयी, जिस पर सुनवाई करते हुए, जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने 17 जनवरी 2025 को अंतरिम आदेश पारित कर, सोसाइटी द्वारा पारित आदेश दिनांक 16 जुलाई 2024 का प्रभाव और संचालन स्थगित कर दिया और सोसाइटी को निर्देशित किया कि वह सुनीता की व्यवस्थापक पद पर सेवाएं बहाल करे। अदालत ने सुनीता को निर्देशित किया कि वह 24 जनवरी 2025 को सोसाइटी अध्यक्ष कुलदीप बाना के समक्ष अपनी उपस्थित दर्ज कराये। यदि अध्यक्ष सेवाएं बहाल नहीं करता है, तो ऐसी स्थिति में उप रजिस्ट्रार, सोसाइटी के समस्त वित्तीय लेनदेन पर रोक लगा देगा।
ज्वाइनिंग पर संशय बरकरार
इस सम्बंध में सोसाइटी अध्यक्ष कुलदीप बाना ने बताया कि न्यायालय के आदेशानुसार, सुनीता ने 24 जनवरी को उपस्थिति का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया है परन्तु सुनीता ने सोसाइटी हैडक्वार्टर में अपनी सेवाएं देना आरंभ नहीं किया है। दूसरी ओर, सुनीता का कहना है कि उससे प्रार्थना पत्र तो ले लिया गया है, लेकिन न तो विधिवत ज्वाइन कराया गया, न ही चार्ज दिया गया है। इस मामले में वे वित्तदाता बैंक (गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक) के अधिकारियों को वस्तुस्थिति से अवगत करा चुकी हैं और हाई कोर्ट के निर्देशानुसार, सोमवार को उप रजिस्ट्रार से भी मिलेंगी।
संघ ने जतायी प्रसन्नता
इधर, राजस्थान सहकारी कर्मचारी यूनियन (बीएमएस) ने राजस्थान हाई कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए, इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि राज्य सरकार और सहकारिता विभाग से निराश-हताश व्यवस्थापक वर्ग को अदालत से न्याय की उम्मीद है। यूनियन के पदाधिकारियों, जिलाध्यक्ष पवन मण्डा, प्रदेश मंत्री रामभगत शर्मा, मनदीप सिंह, हरजिन्द्र सिंह आदि ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले से समिति कर्मचारियों में उत्साह है कि यदि बिना ठोस कारण समिति कर्मचारियों पर कोई अध्यक्ष कार्यवाही करेगा, तो उसके समक्ष न्याय पाने के लिए कोर्ट का विकल्प मौजूद है।
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