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मुख्य सचिव के नेतृत्व वाली शीर्ष सहकारी संस्था के लिए सरकार के पास एक भी “योग्य” पूर्णकालिक अफसर नहीं!

राजफैड में महाप्रबंधक वाणिज्य पद के एडिशनल चार्ज का ड्रामा जारी, 49 दिन में चार अफसर बदल दिये

एक साल से पूर्णकालिक अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर पायी सरकार

जयपुर, 5 मार्च (मुखपत्र)। एक ओर सरकार के स्तर पर किसानों के हित में एवं उनकी आय में बढोतरी के लिए कई योजनाएं क्रियान्वित किये जाने का दावा किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर, कृषि जिंसों की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए, राज्य सरकार की सबसे बड़ी एजेंसी -राजफैड (राजस्थान सहकारी विपणन संघ लिमिटेड), जिसके प्रशासक राज्य के मुख्य सचिव सुधांश पंत हैं, के लिए पिछले एक साल में सरकार को ऐसा एक भी सहकारी अधिकारी नहीं मिला, जो पूर्ण रूप से राजफैड में महाप्रबंधक (वाणिज्य) के पद का दायित्व निभा सके।

राज्य सरकार ने 5 मार्च 2025 को एक आदेश जारी कर, राजफैड में महाप्रबंधक वाणिज्य (जीएमसी) के पद का अतिरिक्त कार्यभार, कार्तिकेय मिश्र, एडिशनल रजिस्ट्रार को सौंप दिया। वे एक महीने में तीसरे और पिछले केवल 49 दिन में ऐसे चौथे सहकारी अधिकारी हैं जिन्हें जीएमसी के पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। मिश्र, रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, राजस्थान के तकनीकी सहायक हैं और सतर्कता अधिकारी भी हैं।

पहले के आदेश में, जीएमसी के पद का अतिरिक्त कार्यभार आरएस चूण्डावत, एडिशनल रजिस्ट्रार को सौंपा गया था। चूण्डावत, सहकारी शिक्षा एवं प्रबंध संस्थान (राइसेम) के निदेशक हैं। साथ ही, राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड (आरसीआरबी) के पदेन सचिव भी हैं। सहकारी भर्ती बोर्ड द्वारा राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड एवं प्रदेश के 29 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) में विभिन्न संवर्ग के 449 पदों एवं राजफैड में 49 पदों पर भर्ती करवायी जा रही है, जिसकी परीक्षाएं इसी माह आरम्भ होने वाली हैं। इसके अलावा राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन (आरसीडीएफ) मे 505 पदों पर भर्ती प्रस्तावित है। चूण्डावत के पास काम की अधिकता को देखते हुए, बुधवार को सहकारिता विभाग के संयुक्त शासन सचिव दिनेश कुमार जांगिड़ एक आदेश जारी कर, उन्हें जीएमसी के पदभार से मुक्त कर दिया, लेकिन उन्हीं की भांति अत्यधिक कार्य की व्यस्तता वाले अधिकारी (कार्तिकेय मिश्र) को राजफैड में अतिरिक्त सेवा देने का फरमान सुना दिया।

 

49 दिन में चार अफसर बदल दिये

बायें से – इन्दर सिंह, इन्दरराज मीणा, आरएस चूंडावत और कार्तिकेय मिश्र

उल्लेखनीय है कि राजफैड जीएमसी पद पर पिछले 49 दिन में राज्य सहकारिता सेवा के चार अफसर बदले जा चुके हैं। हालांकि, राजफैड की बागडोर ब्यूरोक्रेसी के मुखिया सुधांश पंत, मुख्य सचिव के हाथ में आने के बाद से, सरकार ने किसी सहकारी अफसर को जनरल मैनेजर (जीएमसी) पद का फुलफ्लेज चार्ज नहीं दिया। इस पद पर, इससे पूर्व पूर्णकालिक ऑफिसर राज्य सहकारिता सेवा के सीनियर एडिशनल कैडर के अधिकारी प्रेमप्रकाश माण्डोत थे, जिन्हें 22 फरवरी 2024 को अतिरिक्त रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, उदयपुर के पद पर स्थानांतरित कर दिया गया था।

इसी स्थानांतरण सूची में एडिशनल रजिस्ट्रार (प्रोसेसिंग) के पद पर लगाये गये वरिष्ठ अधिकारी इन्दर सिंह गुर्जर को, जीएमसी पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था। इन्दर सिंह के पास लगभग एक साल तक जीएमसी का एडिशनल चार्ज रहा। सरकार ने 15 जनवरी 2025 को इन्दर सिंह से जीएमसी के पद का अतिरिक्त कार्यभार वापिस लेकर, एडिशनल रजिस्ट्रार इन्द्रराज मीणा को सौंपा था। वे राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी के पद पर कार्यरत हैं, जो ट्रांसफर और पोस्टिंग के दायरे में नहीं आता। सरकार की एक उच्च कमेटी सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी की नियुक्ति करती है।

एक सप्ताह के भीतर ही इन्द्रराज मीणा से चार्ज लेकर आरएस चूंडावत को दे दिया गया, जो अब कार्तिकेय मिश्र को मिल गया है। राज्य में राजफैड द्वारा सहकारी समितियों के माध्यम से 10 मार्च 2025 तक मूंगफली की समर्थन मूल्य पर खरीद की जा रही है और फिर, कोटा संभाग में 15 मार्च से तथा राज्य के शेष भागों में 1 अप्रेल से 2025 से तिलहनी तथा दलहनी कृषि जिंसों की समर्थन मूल्य पर खरीद प्रारम्भ की जानी है, लेकिन सरकार फिलहाल महाप्रबंधक (वाणिज्य) के पद का चार्ज-चार्ज खेलने में व्यस्त है। इस बीच, सरकार की ओर से तीन जिलों में मूंगफली खरीद में अनियमितताओं की जांच का आदेश भी दिया गया है।

कई अधिकारी उपलब्ध, लेकिन….

ऐसा नहीं है कि जीएससी के पद पर, सहकारिता सेवा के एडिशनल रजिस्ट्रार संवर्ग के अधिकारी को ही लगाया जाता है। पूर्व में समय-समय पर ज्वाइंट रजिस्ट्रार कैडर के सूझवान अधिकारी भी इस पद पर सफल सेवाएं दे चुके हैं। दिलचस्प स्थिति यह है कि प्रधान कार्यालय में लगभग एक दर्जन योग्य एडिशनल रजिस्ट्रार/ज्वाइंट रजिस्ट्रार उपलब्ध हैं, जिनके पास, तकनीक सहायक और राइसेम निदेशक के पद की अपेक्षा काम का बोझ कम है, लेकिन शायद सरकार की उन पर नजर नहीं पड़ी। सवाल यह है कि सहकार से समृद्धि के शोरगुल के बीच, मुख्य सचिव सुधांश पंत ये तमाशा देखने पर मजबूर क्यों हैं?

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