राज्यसहकारिता

हाईकोर्ट का सरकार को निर्देश, पैक्स मैनेजर को सेवा विस्तार देने के प्रस्ताव पर दो सप्ताह में निर्णय करें

राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड की विफलता बनने जा रही राज्य सरकार की गलफांस

जोधपुर, 6 जुलाई (मुखपत्र)। ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स, लैम्पस) में व्यवस्थापकों की भर्ती के मामले में राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड की घोर विफलता राज्य सरकार की गलफांस बनने जा रही है। साल 2017 में सहकारी भर्ती बोर्ड के गठन के बाद से अब तक, पूरे प्रदेश में एक भी ग्राम सेवा सहकारी समिति में व्यवस्थापक/सहायक व्यवस्थापक की भर्ती नहीं की गयी, जबकि सहकारिता विभाग ने भर्ती बोर्ड के अस्तित्व में आने के दिन से आज तक सोसाइटी स्तर पर व्यवस्थापकों की भर्ती पर रोक लगा रखी है।

इससे प्रदेश की पैक्स और लैम्पस में व्यवस्थापकों के हजारों पद रिक्त हैं और सोसाइटियों का दैनिक संचालन करना दुश्वार हो रहा है। ऐसे ही एक मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर खंडपीठ ने राज्य सरकर को निर्देश दिया है कि वो अधिवार्षिकी आयु पूर्ण कर सेवानिवृत्त हो चुके एक व्यवस्थापक को सेवा विस्तार देने के सोसाइटी के प्रस्ताव पर दो सप्ताह में निर्णय करे।

यह मामला गंगानगर जिले के सूरतगढ़ क्षेत्र की 3 एफडीएम ग्राम सेवा सहकारी समिति से सम्बंधित है। सोसाइटी के अध्यक्ष मनीष कुमार की याचिका पर हाईकोर्ट जज अरुण भंसाली की एकल पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वो सेवानिवृत्त हो चुके व्यवस्थापक जगदीश प्रसाद को सेवानिवृत्ति उपरांत सेवा विस्तार देने के सोसाइटी के प्रस्ताव पर दो सप्ताह में निर्णय ले। मनीष कुमार की ओर से एडवोकेट अशोक चौधरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर, सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव, रजिस्ट्रार सहकारी समितियां और प्रबंध निदेशक, गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड को पार्टी बनाया है।

सेवानिवृत्ति दी तो समिति का संचालन रुक जायेगा

याचिका में कहा गया है कि जगदीश प्रसाद सोसाइटी में कार्यरत एकमात्र कर्मचारी है, जिसका नियमानुसार, जिला स्तरीय कमेटी द्वारा नियमितिकरण किया गया है। जगदीश को अधिवार्षिकी आयु पूर्ण कर 31 मई 2023 को सेवानिवृत्त होना था, लेकिन इससे पहले ही सोसाइटी ने एक प्रस्ताव पारित कर जगदीश को सेवाविस्तार देने का प्रस्ताव पारित कर दिया और उसे 60 साल की आयु पूर्ण होने पर सेवानिवृत्त नहीं किया।

यह मामला बैंक प्रबंधन के संज्ञान में लाया गया, तो बैंक ने अध्यक्ष को नोटिस जारी कर, जगदीश प्रसाद को सेवानिवृत्त करने का निर्देश दिया गया। इसे मनीष कुमार ने अदालत में चुनौती देते हुए बताया कि स्थायी कर्मचारी के अभाव में समिति का संचालन करना सम्भव नहीं होगा। समिति के पास कुल 1100 सदस्यों में 700 ऋणी सदस्य हैं और समिति के कार्यक्षेत्र में आठ गांव-चक आते हैं।

6722 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में 3155 पद रिक्त

याचिका में सहकारी भर्ती बोर्ड की विफलता का उल्लेख करते हुए बताया कि गया कि 2017 में सहकारी भर्ती बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक एक बार भी व्यवस्थापकों की भर्ती नहीं की गयी है और सोसाइटी स्तर पर व्यवस्थापकों की भर्ती किये जाने पर रोक लगायी हुई है। कोर्ट को बताया गया कि मई 2021 में राज्य की कुल 6722 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में मुख्य कार्यकारी के 3155 पद रिक्त थे। उसके बाद से अब तक दो साल के दौरान बड़ी संख्या में और भी पद रिक्त हुए होंगे। इससे सोसाइटियों का संचालन करना बहुत मुश्किल हो गया है।

ये कैसा सहकारी भर्ती बोर्ड

उल्लेखनीय है कि राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड का गठन, साल 2017 में तात्कालिन भाजपा सरकार द्वारा किया गया था, जब डेगाना वाले अजयसिंह किलक सहकारिता मंत्री हुआ करते थे। तब से आज तक तीन सदस्यीय भर्ती बोर्ड अपना स्वतंत्र कार्यालय तक स्थापित नहीं कर पाया है। भर्ती बोर्ड के पास स्थायी अध्यक्ष या सदस्य सचिव नहीं है। पिछले 6 साल के दौरान आधा दर्जन अध्यक्ष और इतने ही सदस्य सचिव व सदस्य बदले जा चुके हैं।

पिछले एक साल में भर्ती बोर्ड की एक भी बैठक नहीं हुई है। अपेक्स बैंक और केंद्रीय सहकारी बैंकों में भर्ती को गत एक साल से लटकाया जा रहा है। ग्राम सेवा सहकारी समितियों के इतर, कई केंद्रीय सहकारी बैंकों की हालत इस कदर खराब है कि वे चाहकर भी स्टाफ को छुट्टी नहीं दे पाते क्योंकि उनके पास रिलीवर ही नहीं है। कई बैंक शाखाओं में चेकर-मेकर की भूमिका एक ही कर्मचारी निभा रहा है।

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