राज्यसहकारिता

राजस्थान की इन सहकारी समितियों में स्थापित होंगे कस्टम हायरिंग सेंटर, सहकारिता विभाग ने जारी की सूची

जयपुर, 4 अप्रेल (मुखपत्र)। राजस्थान सरकार ने, कृषक वर्ग, विशेषकर लघु एवं सीमांत श्रेणी के किसान को, बाजार से कम किराया दर पर, खेती में काम आने वाले कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश की 61 ग्राम सेवा सहकारी समिति में कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना की स्वीकृति दी है। सक्षम स्तर पर अनुमोदन के पश्चात, सहकारिता विभाग ने मंगलवार को ऐसी समितियों की सूची जारी कर दी। राज्य सरकार की राजस्थान कृषि तकनीकी मिशन के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना की जाती है।

सहकारिता रजिस्ट्रार मेघराज सिंह रतनू के अनुसार, जिला चूरू की 5, झुंझनूं की 4, जयपुर की 8, सवाईमाधोपुर की 3, सिरोही की 2, टोंक की 6, नागौर की 2, बाड़मेर की 22, श्रीगंगानगर की 6, अलवर की 2, बांसवाड़ा की 1 और कोटा की 1 ग्राम सेवा सहकारी समिति में कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना की प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी गयी है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की बजट घोषणा के तहत प्रदेश में 2022-23 एवं 2023-24 के दौरान 1500 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किये जाने हैं।

8 लाख रुपये अनुदान

उल्लेखनीय है कि योजना अंतर्गत 10 लाख रुपये की लागत से कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना की जाती है। इसमें से 8 लाख रुपये का अनुदान राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध कराया जाता है, शेष दो लाख रुपये सम्बंधित समिति को अपने फंड में से खर्च करने होते हैं।

इन यंत्रों की होगी खरीद

सहकारिता विभाग द्वारा वैसे तो, समितियों को अपने क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति व किसानों की जरूरत के अनुरूप कृषि यंत्र खरीद कर, कस्टम हायरिंग सेंटर का संचालन करने की छूट दी गयी है। फिर भी, खेतों की गहरी जुताई और बुवाई के लिए काम आने रोटावेटर और फसल अवशेष प्रबंधन के लिए स्ट्रा रीपर की खरीद किया जाना अनिवार्य है। आमतौर पर समितियों द्वारा कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए रोटावेटर व स्ट्रा रीपर के अलावा ट्रैक्टर, थ्रेसर, सीड ड्रिल, डिस्क हैरो, सीड-कम-फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन, पावर टिलर, कल्टीवेटर, हैपी सीडर आदि की खरीद कर, किसानों को किराये पर दिये जाते हैं।

error: Content is protected !!