नागौर की दो ग्राम सेवा सहकारी समितियों में अध्यक्ष पति और पत्नी ने परिवार के सदस्यों के नाम लोन बांटकर ऋण माफी में किया घोटाला, एसीबी में प्रकरण दर्ज
जयपुर, 22 अगस्त। राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार और वर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में किसानों की कर्जमाफी के दौरान हुए घोटालों की पोल खुलने का सिलसिल अनवरत जारी है। ताजा मामला नागौर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की सूदवाड़ ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड और नीम्बोला ग्राम सेवा सहकारी समिति लि. में सामने आया है। सूदवाड़ जीएसएसएस में पति तो नीम्बोला जीएसएसएस में पत्नी अध्यक्ष थी।
दोनों ने स्वयं और बेटे-बहुओं के साथ अपने जानकारों के नाम अल्पकालीन फसली ऋण वितरित कर दिए। इसके लिए पटवारी की फर्जी हस्ताक्षर कर राजस्व रिकॉर्ड और साख सीमा की रिपोर्ट बनाई। फसली ऋण लेने के बाद पहले वर्ष 2018 में भाजपा राज में और फिर वर्ष 2019-20 में वर्तमान कांग्रेेस राज में हुई कर्जमाफी में लोन भी चुकता हो गया। इस जालसाजी में सोसायटी व्यवस्थापक भी लिप्त था। मामले में एसीबी ने एफआईआर दर्ज कर ली, जिसमें अध्यक्ष दम्पति के परिवार को नामजद किया गया है।
2018 में शुरू हुआ फर्जीवाड़ा
फर्जीवाड़े की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई, जब कर्जमाफी की सुगबुगाहट शुरू हुई थी। सूदवाड़ा जीएसएस अध्यक्ष रामचंद्र था तथा निंबोला जीएसएस की अध्यक्ष उसकी पत्नी मंजू थी। आरोपियों ने व्यवस्थापक मंशाराम के साथ मिलकर खुद व परिवार के नाम अल्पकालीन फसली ऋण उठाए। भाजपा राज में कर्जमाफी में प्रत्येक सदस्य के पचास हजार रुपए तक माफ हुए। इसके बाद वर्ष 2019 दुबारा एक-एक लाख रुपए के लोन उठाए जो कांग्रेस सरकार की कर्जमाफी योजना में पूरे ही माफ हो गए।
फर्जी रिकॉर्ड तैयार किया, पटवारी के जाली हस्ताक्षर भी किए
ग्राम सेवा सहकारी समितियों में उन सदस्य किसानों/बंटाईदार को ही फसली ऋण मिलता है, जिनके नाम जमीन होती है। अध्यक्ष पति-पत्नी ने लोन के लिए फर्जी रिकॉर्ड तैयार किया गया। इसके लिए पटवारी के जाली हस्ताक्षर तक कर दिए। व्यवस्थापक ने इसे मंजूर कर लिया। खुलासे के बाद एसीबी ने प्राथमिक जांच की, जिसमें पुलिस निरीक्षक मीरा बेनीवाल ने आरोपी प्रथम दृष्टया सही माने। एसीबी ने मुख्यालय ने करीब साढ़े आठ लाख रुपए के गबन की नामजद रिपोर्ट दर्ज की है। मामले में जिस तरह जालसाजी की है, उससे साफ है कि इसमें व्यवस्थापक के अलावा नागौर केंद्रीय सहकारी बैंक की शाखा के कर्मचारी भी लिप्त हो सकते हैं। एसीबी अब जाली दस्तावेज के साथ अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत की भी पड़ताल करेगी।
ये हैं आरोपी
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रकरण में जिन व्यक्तियों को नामजद किया गया है, उनमें रामचंद्र पुत्र शिवकरण जाट, तत्कालीन अध्यक्ष जीएसएस सूदवाड़, रामचंद्र की पत्नी मंजू, तत्कालीन अध्यक्ष जीएसएस नींबोला, रामचंद्र के दो पुत्र मूलाराम व सुनील, मूलाराम की पत्नी गीता, सुनील की पत्नी सुमन, मंशाराम व्यवस्थापक जीएसएस नींबोला, गिरधारी लाल और पूनाराम पुत्र गणेश निवासी निम्बोल, गिरधारी की पत्नी रामेश्वरी, पूनाराम की पत्नी संतोष और सफी मोहम्मद चौहान निवासी पादूखुर्द।