राष्ट्रीयसहकारिता

सहकारी क्षेत्र पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त शासन का मॉडल बने – मोदी

सहकारी विपणन, सहकारी विस्तार और सलाहकार सेवा पोर्टल के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट के ई-पोर्टल लॉन्च किए गए

नई दिल्ली, 1 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अमृत काल के दौरान गांवों और किसानों के विकास में सहकारी क्षेत्र की भूमिका का विस्तार होने वाला है। सरकार और सहकार मिलकर विकसित भारत के सपने को दोहरी शक्ति प्रदान करेंगे। यह जरूरी है कि सहकारी क्षेत्र पारदर्शिता और भ्रष्ट्राचार मुक्तशासन का एक मॉडल बने। इसके लिए सहकारी क्षेत्र में डिजिटल प्रणाली को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री शनिवार को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर प्रगति मैदान में 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस को सम्बोधित कर रहे थे।

इस बार सहकारी कांग्रेस का मुख्य विषय ‘अमृत काल : जीवंत भारत के लिए सहयोग के माध्यम से समृद्धि’ है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने सहकारी विपणन, सहकारी विस्तार और सलाहकार सेवा पोर्टल के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट के ई-पोर्टल लॉन्च किए।

प्रधानमंत्री ने भारत को दुनिया का अग्रणी दूध उत्पादक देश बनाने में डेयरी सहकारी समिति के योगदान और भारत को दुनिया के शीर्ष चीनी उत्पादक देशों में से एक प्रमुख देश बनाने में सहकारी समितियों की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने रेखांकित किया कि देश के कई हिस्सों में सहकारी समितियां छोटे किसानों के लिए एक बड़ी समर्थन प्रणाली बन गई हैं।

सहकारी समितियों को एक मंच पर लाये

सरकार ने विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सहकारी क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने का फैसला किया। इसलिए पहली बार एक अलग मंत्रालय का गठन किया गया था और सहकारी समितियों के लिए बजट का आवंटन किया गया। इसके परिणामस्वरूप सहकारी समितियों को कॉर्पोरेट क्षेत्र की ही भांति एक मंच पर प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने सहकारी समितियों को सुदृढ़ करने के उपायों की भी जानकारी दी और कर की दरों में कमी का उल्लेख किया। उन्होंने सहकारी बैंकों को मजबूत करने के उपायों के बारे में जानकारी दी और इनकी नई शाखाएं खोलने और आपके घरों तक सहकारी बैंकिंग सेवाओं (डोरस्टेप बैंकिंग) को पहुंचाने का उदाहरण दिया।

पीएम ने कहा कि प्राथमिक स्तर की मुख्य सहकारी समितियां और प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) पारदर्शिता की मॉडल बनेंगी। 60,000 से अधिक पैक्स का कंप्यूटरीकरण पहले ही हो चुका है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों को उनके लिए उपलब्ध प्रौद्योगिकी का पूरा उपयोग करना चाहिए।

आयात को कम करने के लिए सहकारी समितियां आगे आयें

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत खाद्य तेल, दालों, मछली आहार और प्रसंस्कृत खाद्य आदि के आयात पर लगभग 2 से 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करता है। उन्होंने किसानों और सहकारी समितियों से इस दिशा में काम करने और खाद्य तेल के उत्पादन में राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने का आग्रह किया।

मछली पालन में व्यापक सम्भावना

प्रधानमंत्री ने मत्स्य सम्पदा योजना की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह किसी जल निकाय के पास रहने वाले ग्रामीणों और किसानों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन गया है। मत्स्य पालन क्षेत्र में 25 हजार से अधिक सहकारी समितियां कार्य कर रही हैं, जहां मछली प्रसंस्करण, मछली सुखाने, मछली उपचार, मछली भंडारण, मछली कैनिंग और मछली परिवहन जैसे उद्योगों को सुदृढ़ बनाया गया है। पिछले 9 वर्ष में अंतर्देशीय मत्स्य पालन भी दोगुना हो गया है। सहकारी क्षेत्र को इस अभियान में योगदान देने की आवश्यकता है।

पीएम मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मछली पालन जैसे कई नए क्षेत्रों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) की भूमिका का विस्तार हो रहा है। सरकार देश भर में 2 लाख नई बहुउद्देशीय समितियां बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। साथ ही, सहकारी समितियों की शक्ति उन गांवों और पंचायतों तक भी पहुंचेगी, जहां यह प्रणाली काम नहीं कर रही है।

एफपीओ छोटे किसानों की बड़ी शक्ति बन रहे

किसान उत्पादन संगठनों (एफपीओ) की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि 10 हजार नए एफपीओ बनाने पर काम चल रहा है और 5 हजार पहले ही गठित किये जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि ये एफपीओ छोटे किसानों को बड़ी शक्तिऔर सामथ्र्य प्रदान करने जा रहे हैं। ये छोटे किसानों को बाजार में बड़ी ताकत बनाने के माध्यम हैं।

बीज से लेकर बाजार तक, कैसे छोटा किसान हर व्यवस्था को अपने पक्ष में खड़ा कर सकता है, कैसे बाजार की ताकत को चुनौती दे सकता है- यह उसी का अभियान है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार ने पीएसी के माध्यम से एफपीओ बनाने का भी फैसला किया है, जिससे इस क्षेत्र में असीमित सम्भावना के द्वार खुलते हैं।

किसानों की आय बढाने के लिए सहकारी क्षेत्र के समर्थन की जरूरत

प्रधानमंत्री ने शहद उत्पादन, जैविक खाद्य पदार्थ, सौर पैनल और मृदा परीक्षण जैसे किसानों की आय बढ़ाने के अन्य उपायों का भी उल्लेेख किया और सहकारी क्षेत्र से समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने रसायन मुक्त खेती के संदर्भ में हाल ही में पीएम-प्रणाम योजना की चर्चा की, जिसका उद्देश्य रसायन मुक्त खेती का प्रचार करना और वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देना है। इसके लिए भी सहकारी समितियों के समर्थन की आवश्यकता होगी। उन्होंने सहकारी समितियों से आग्रह किया कि वे हर जिले में पांच गांव को गोद लें, ताकि कृषि में रसायनों का उपयोग न हो।

गोबरधन योजना में कचरे को धन में बदलने की क्षमता

प्रधानमंत्री ने गोबरधन योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह ऐसी योजना है, जहां कचरे को धन में बदलने के लिए पूरे देश में कार्य किया जाता है। सरकार ऐसे संयंत्रों का एक विशाल नेटवर्क तैयार कर रही है, जो गोबर और कचरे को बिजली और जैविक उर्वरकों में बदल देते हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि कई कंपनियों ने अब तक देश में 50 से अधिक बायोगैस संयंत्र बनाए हैं। उन्होंने सहकारी समितियों से आगे आने और गोबरधन संयंत्रों का समर्थन करने का आग्रह किया। इससे न केवल पशुपालकों को लाभ होगा, बल्कि उन पशुओं को भी लाभ होगा जिन्हें सड़कों पर छोड़ दिया गया है।

24 करोड़ पशुओं का टीकाकरण

प्रधानमंत्री ने डेयरी और पशुपालन क्षेत्र में किए गए समग्र कार्यों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पशुपालक सहकारी आंदोलन से जुड़े हैं। खुरपका-मुंहपका रोग का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह लम्बे समय से पशुओं के लिए बहुत परेशानी का कारण रहा है, जबकि पशुपालकों को हर साल हजारों करोड़ रुपये का भारी नुकसान भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पहली बार पूरे देश में नि:शुल्क टीकाकरण अभियान शुरू किया है, जहां 24 करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया गया है।

उन्होंने बताया कि एफएमडी को अभी तक पूर्णत: खत्म नहीं किया जा सका है। उन्होंने सहकारी समितियों से इसके लिए आगे आने का आग्रह किया। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि डेयरी क्षेत्र में पशुपालक अकेले हितधारक नहीं हैं, बल्कि हमारे पशु भी समान हितधारक हैं। प्रधानमंत्री ने सहकारी समितियों से सरकार द्वारा शुरू किए गए विभिन्न मिशनों को पूरा करने में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने अमृत सरोवर, जल संरक्षण, प्रति बूंद अधिक फसल, सूक्ष्म सिंचाई आदि मिशनों में भागीदारी का आह्वान किया।

700 लाख टन भंडारण क्षमता की योजना तैयार

प्रधानमंत्री ने भंडारण के विषय पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भंडारण सुविधाओं की कमी ने बहुत लम्बे समय तक खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। हम उत्पादित अनाज का 50 प्रतिशत से भी कम भंडारण करने में सक्षम हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना लेकर आई है। हमने अगले पांच वर्ष में 700 लाख टन भंडारण क्षमता की योजना तैयार की है, जबकि पिछले कई दशकों में अब तक केवल 1400 लाख टन की भंडारण क्षमता ही उपलब्ध है।

उन्होंने बताया कि कृषि बुनियादी ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कोष बनाया गया है और पिछले 3 वर्ष में उसमें 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया है। इस निवेश का एक बड़ा हिस्सा पीएसी से है और उन्होंने कहा कि फार्मगेट बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहकारी समितियों से अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।

सहकारिता देश के आर्थिक स्रोत का एक शक्तिशाली माध्यम बनेगी

प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि नये भारत में सहकारिता देश के आर्थिक स्रोत का एक शक्तिशाली माध्यम बनेगी। उन्होंने सहकारी मॉडल का पालन करके आत्मनिर्भर बनने वाले गांवों के निर्माण की आवश्यकता पर भी जोर दिया। पीएम ने सुझाव दिया कि सहकारिता में सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और इसे राजनीति के स्थान पर सामाजिक नीति और राष्ट्रीय नीति का वाहक बनना चाहिए।

इस अवसर पर केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह, केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा, एशिया प्रशांत के लिए अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष दिलीप संघानी भी उपस्थित थे।

17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस

17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस का आयोजन 1-2 जुलाई 2023 को सहकारी आंदोलन में विभिन्न प्रवृत्तियों पर चर्चा करने, अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रदर्शित करने, सामना की जा रही चुनौती को प्रदर्शित करने और भारत के सहकारी आंदोलन के विकास के लिए भविष्य की नीतिगत दिशा तैयार करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। ‘अमृत काल – जीवंत भारत के लिए सहयोग के माध्यम से समृद्धि’ के मुख्य विषय पर सात तकनीकी सत्र आयोजित होंगे। इसमें प्राथमिक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की सहकारी समितियों, अंतरराष्ट्रीय सहकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के प्रतिनिधियों, मंत्रालयों, विश्वविद्यालयों और प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों सहित 3600 से अधिक हितधारक शामिल हो रहे हैं।

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