सहकारी सोसाइटी कर्मचारियों की एकता के आगे सीसीबी का एमडी हुआ नतमस्तक, लोन सुपरवाइजर को बहाल किया और मांगे मानी
अलवर, 5 जून (मुखपत्र)। ग्राम सेवा सहकारी समितियां कर्मचारियों की एकता ने अलवर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक देवीदास बैरवा को नतमस्तक होने पर मजबूर कर दिया। बैरवा ने पैक्स कर्मचारियों का आंदोलन समाप्त करवाने के लिए न केवल संगठन की मांगों को स्वीकार करने के प्रति लिखित सहमति जतायी, बल्कि एक कार्यवाहक ऋण पर्यवेक्षक को पुन: बहाल कर दिया, जिसकी सेवा को आंदोलन के दौरान कठोर संदेश देने के लिए समाप्त कर दिया गया था।
राजस्थान बहुउद्देेश्यीय सहकारी सोसाइटी कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री और अलवर जिलाध्यक्ष देवेंद्र कुमार सैदावत के नेतृत्व के पैक्स कार्मिकों ने अपनी मांगों के समर्थन में 22 मई 2025 को बैंक से सम्बंधित कार्यों का बहिष्कार आंरभ कर दिया था। पैक्स कार्मिकों ने फसली ऋण वितरण एवं वसूली, किसान ऋण पोर्टल और पैक्स कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट का कार्य ठप कर दिया। वे बैंक एमडी देवीदास बैरवा की कार्यप्रणाली और पैक्स कार्मिकों की मांगों एवं समस्याओं के प्रति बैरवा के नकारात्मक दृष्टिकोण से बहुत खफा थे। बार-बार मांग पत्र दिये जाने के बावजूद, बैरवा पैक्स कार्मिकों के साथ वार्ता तक करने का तैयार नहीं हुए, जिसके चलते यूनियन ने ओमप्रकाश शर्मा की अगुवाई में संघर्ष समिति का गठन किया और फिर आंदोलन का बिगुल बजा दिया।
दबाव बनाने के लिए एलएल की सेवा समाप्त की
हालांकि, इसके बावजूद बैरवा के रवैये में कोई परिवर्तन नहीं आया, उल्टे उन्होंने आंदोलन में सक्रिय रूप से साथ देने वाले राजगढ़ शाखा के कार्यवाहक लोन सुपरवाइजर बालासहाय सैनी को 2 जून को कार्यमुक्त कर दिया। बैरवा के इस कृत्य ने आग में घी का काम किया। आंदोलनरत पैक्स कर्मियों ने आंदोलन को तेज करते हुए शाखा स्तर पर धरने आरंभ कर दिये, नारेबाजी करते हुए रैलियां निकाली और तहसीलदार/एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भिजवाने शुरू कर दिये। इसके समाचार भी व्यापक रूप से समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए। अखबारबाजी से सहकारिता विभाग ने फिर से नकारात्मक सुर्खियां बटोरी तो जयपुर से बैरवा पर दबाव पड़ा।
एमडी ने भेजा वार्ता का न्यौता
उन्होंने वार्ता का संदेश भेजा तो 4 जून को सैदावत पूरे लाव-लश्कर के साथ प्रधान कार्यालय पहुंच गये, लेकिन बैरवा संक्षिप्त प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता पर अड़ गये। इस पर साथियों से विचार के उपरांत पांच कर्मचारियों का प्रतिनिधितमंडल वार्ता के लिए पहुंचा, लेकिन पहली शर्त रखी गयी कि बालासहाय को कार्यवाहक ऋण पर्यवेक्षक के पद पर बहाल किया जाये, तब वार्ता होगी। इस पर बैरवा और उनके चहेते बैंक अफसरों ने फिर से दबाव बनाने की रणनीति के तहत सैदावत और बालासहाय की सोसाइटी की धारा 55 की जांच करवाने की धमकी दे डाली, लेकिन यह दांव भी उल्टा पड़ गया।
आप हमारी जांच करायें, हम आपके कारनामों की जांच करायेंगे
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आप सोसाइटियों की जांच करायें, हम आपके कार्यकाल में चुनिंदा सोसाइटियों को फसली ऋण वितरण, गोपालन ऋण वितरण, बैंक कर्मचारियों के आये रोज होने वाले स्थानांतरण, कार्यवाहक लोन सुपरवाइजरों के पदों की बंदरबांट, बैंक का सीआरएआर डिफाल्ट होने के बावजूद करोड़ों रुपये के व्यक्तिगत ऋण वितरण, सोसाइटियों के उचंती निरीक्षण जैसे कारनामों की जांच के लिए जयुपर में धरना लगायेंगे। माहौल गर्मा जाने पर कर्मचारियों ने आंदोलन को तेज करने की चेतावनी देते हुए प्रधान कार्यालय के समक्ष नारेबाजी शुरू कर दी। बाद में बैंक के अधिशासी अधिकारी और मुख्य प्रबंधक की समझाइश के बाद पैक्स कार्मिक पुन: वार्ता को तैयार हुए।
एलएस को बहाल किया, तब शुरू हुई वार्ता
इस घटनाक्रम के बाद और पोल खुलने के डर से एमडी देवीदास बैरवा ने सबसे पहले बालासहाय सैनी को कार्यवाहक ऋण पर्यवेक्षक के पद पर बहाल किया। इसके बाद पैक्स कार्मिकों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता में विभिन्न बिन्दुओं पर सहमति बनी और बैंक प्रबंधन ने मांगे मान लिये जाने का लिखित आश्वासन दिया। संगठन की ओर से भी लिखित में दिया गया कि यदि सात दिन में सहमति के अनुरूप मांगों की क्रियान्विति शुरू नहीं की गयी और भविष्य में बालासहाय को कार्यवाहक ऋण पर्यवेक्षक के पद से हटाया गया तो फिर से आंदोलन शुरू कर दिया जायेगा। इसके बाद, पैक्स कार्मिक 5 जून से कार्य पर लौट आये।

इन मांगों पर बनी सहमति
1. हिस्सा राशि लौटाना
बैंक द्वारा समितियों से ऋण के अनुपात में 6 प्रतिशत हिस्सा राशि नियमानुसार रखनी चाहिए, परन्तु 10-12 प्रतिशत हिस्सा राशि समितियों की बैंक के पास जमा है, जो 2020 के बाद नहीं लौटायी गई है।
निर्णय- परिचालन अनुभाग से जानकारी प्राप्त करने पर अनुभाग द्वारा यह बताया गया कि मार्च 2023 तक की समस्त बकाया हिस्सा राशि समितियों को लौटायी जा चुकी है। अप्रेल 2023 से मार्च 2025 तक की बकाया हिस्सा राशि दिनांक 10.06.2025 तक समितियों के बचत खातों में जमा कर दी जायेगी।
2. एरियर ब्याज का भुगतान करवाया जावे
निर्णय बैंक पत्र क्रमांक द्वारा प्रशा अनु./4351-4759 दिनांक 03.06.2025 द्वारा इस संबंध में सभी शाखा प्रबन्धकों को सख्त निर्देश जारी कर साप्ताहिक/पाक्षिक रूप से प्रत्येक समिति के ऋण वसूली खाते का परीक्षण करने तथा एक ऋण खाते में बैलेन्स शून्य होने पर उस खाते की वसूली अन्य ऋण खाते में जमा करने हेतु पाबन्द किया गया है तथा किसी प्रकार के विवाद की स्थिति में प्रधान कार्यालय स्तर पर मुख्य प्रबन्धक की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किये जाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें वरिष्ठ प्रबन्धक (आईटी), वरिष्ठ प्रबन्धक (ऋण) एवं प्रबन्धक (परिचालन) कमेटी के सदस्य होंगे। उक्त कमेटी में व्यस्थापक यूनियन अलवर इकाई द्वारा शाखावार नामित किये जाने वाले तीन-तीन व्यवस्थापकों को भी शामिल किया जायेगा। उक्त कमेटी 7 दिवस में वाद का निपटारा करेगी।
3. अल्पकालीन फसली ऋण राशि में बढोतरी
निर्णय- नियामक संस्थाओं यथा आरबीआई, नाबार्ड द्वारा बैंक के निर्धारित मापदण्ड सीआरएआर का 9 प्रतिशत होना अनिवार्य है। वर्तमान में सीआरएआर 7.96 प्रतिशत है। बढी हुई ऋण राशि का सीआरएआर के निर्धारण में शत-प्रतिशत प्रावधान करना अनिवार्य है। यदि अल्पकालीन फसली ऋण में मांग के अनुरुप बढोतरी की जाती है तो सीआरएआर वर्तमान स्तर से भी नीचे चली जायेगी, जिससे नियामक संस्थाओं द्वारा बैंक के लाइसेंस एवं अन्य बैकिंग सुविधाओं पर रोक लगायी जाने की संभावना है। फिर भी इस कम में बैंक प्रबन्धन द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट एवं बैंक के पास उपलब्ध वित्तीय संसाधनों के मद्देनजर मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर ऋण राशि 2 प्रतिशत बढाये जाने का निर्णय लिया गया है।
4. ब्याज अनुदान अग्रिम उपलब्ध कराया जाये
निर्णय- उक्त विषय में बैंक द्वारा पूर्व में अग्रिम ब्याज अनुदान भुगतान किया जाता रहा है। लेकिन अपेक्स बैंक के पत्र क्रमांक 8144 दिनांक 08.01.2021 द्वारा लिखा गया था कि राज्य सरकार से प्राप्त 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान राशि केन्द्रीय सहकारी बैंकों से प्राप्त क्लेम अनुसार शीर्ष बैंक के माध्यम से उपलब्ध करवाये जाने पर 2 प्रतिशत राशि ग्राम सेवा सहकारी समितियों को दी जाये।
वर्ष 2023-24 में 4 प्रतिशत ब्याज क्लेम राशि 22,76,90,753 रुपये के राज्य सरकार को भिजवाये गये हैं, जो कि राज्य सरकार से प्राप्त होना शेष है। उक्त राशि राज्य सरकार पर शेष होने के बावजूद भी बैंक द्वारा अगस्त 2024 तक के क्लेम में से 2 प्रतिशत राशि 4,48,80,962 समितियों के बचत खाते में जमा प्रदान कर दी गयी है। अत: इस क्रम में राज्य सरकार से बकाया 4 प्रतिशत ब्याज क्लेम राशि प्राप्त होने के पश्चात समितियों को शेष 2 प्रतिशत ब्याज क्लेम राशि का भुगतान किये जाने का निर्णय लिया गया।
5. जयपुर सीसीबी की तरह ब्याज का अलग बीजीएल खाता समितियों में खोला जाये
निर्णय- उक्त बिन्दु पर परिचालन अनुभाग द्वारा जानकारी में लाया गया कि बैंक में समितियों का बीजीएल खाता पृथक से संधारित है। अत: कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं है। फिर भी किसी प्रकार के वाद की स्थिति में मुख्य प्रबन्धक बैंक को अधिकृत किया गया है।
6. गो-लाइव नहीं होने तक अल्पकालीन ऋण पर लगाये प्रतिबन्ध को हटाना
निर्णय- उक्त क्रम में प्रबन्ध निदेशक, अपैक्स बैंक से प्राप्त निर्देशानुसार ही अल्पकालीन ऋण पर प्रतिबन्ध लगाया गया था। इसके पश्चात प्रबन्ध निदेशक, अपैक्स बैंक से वीसी में अनुरोध करने के पश्चात पैक्स कम्प्यूटराइजेशन में सहयोग करने एवं रिकॉर्ड उपलब्ध कराने वाली समितियों को उक्त प्रतिबन्ध से मुक्त किया जा चुका है। जैसे-जैसे व्यवस्थापकों द्वारा उक्त कार्य हेतु आवश्यक रिकॉर्ड उपलब्ध करवाया जा रहा है एवं सहयोग किया जा रहा है, उन समितियों को प्रतिबन्ध से मुक्त किये जाने का निर्णय लिया गया है।
7. व्यवस्थापकों को तीन लाख तक का व्यक्तिगत ऋण उपलब्ध कराया जाये
निर्णय- उक्त बिन्दु पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाकर फाइल बैंक प्रशासक के पास भेजी गई है एवं वहां स्वीकृति पश्चात ही आगामी कार्यवाही किया जाना सम्भव हो सकेगा।
अत: आप समिति एवं बैंक हित को सर्वोपरि रखते हुए लम्बित कार्यों का निष्पादन करें। – देवीदास बैरवा, प्रबन्ध निदेशक
संगठन के द्वारा दिये गये सुझावों को सम्मलित कर दिया गया तथा उक्त मांगों पर सहानूभूतिपूर्वक सहमति व्यक्त की गई। आगामी सात दिवस में सभी मांग पूरी कर की जावेगी, यह सहमति व्यक्त किये जाने पर कार्य बहिष्कार समाप्त किया जाता है। – देवेंद्र कुमार सैदावत एवं अन्य।
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