RGHS में हर साल हजारों करोड़ रुपये की अनियमितता का आरोप, जांच की मांग
– सहकारी भंडार से कई गुणा महंगी दवाईयां बेच रहे प्राइवेट मेडिकल स्टोर
– राजस्थान जिला सहकारी उपभोक्ता थोक भंडार समन्वय समिति ने मंत्री को सौंपा ज्ञापन
जयपुर, 30 सितम्बर (मुखपत्र) । राजस्थान जिला सहकारी उपभोक्ता थोक भंडार समन्वय समिति ने राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) में हर साल करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए विस्तृत जांच करवाये जाने की मांग की है। ज्ञापन देने वालों में समन्वय समिति के अध्यक्ष सुरेश चंद झंवर (अध्यक्ष, चित्तौडग़ढ़ भंडार), महासचिव शिवदयाल गुप्ता (अध्यक्ष, श्रीगंगानगर किसान केवीएसएस), संयोजक नगेंद्रपाल सिंह शेखावत (अध्यक्ष, बीकानेर भंडार), उपाध्यक्ष बजराम मीणा (अध्यक्ष, सवाईमाधोपुर भंडार), सचिव संजीव कुमार शर्मा (अध्यक्ष, जालौर भंडार), सचिव श्रीमती सरोज चौधरी (अध्यक्ष, नागौर भंडार) और विद्याधर साहू (उपाध्यक्ष, झुंझुनूं भंडार) शामिल रहे।
समन्वय समिति की ओर से मंत्री सौंपे गये ज्ञापन में बताया गया कि आरजीएचएस के क्रियान्वयन में कई गंभीर विंगसंतियां हैं, जिससे राजकोष को बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है। आरपीएमएफ के विपरीत आरजीएचएस में सहकारी भंडारों के साथ-साथ प्राइवेट मेडिकल दुकानों को भी अधिकृत किया गया है। जहाँ सहकारी भण्डार खरीद मूल्य पर केवल 10 प्रतिशत प्रभार ही ले सकता है, वही आरजीएचएस योजना में प्राइवेट मेडिकल स्टोर के लिये बिल्कुल अलग सॉफ्टवेयर होने के कारण ब्राडेड दवाएं एमआरपी से केवल 12 प्रतिशत कम करके दी जाती है। गम्भीर बीमारियों, जैसे कैंसर, हार्ट, गुर्दा, डायबिटिज आदि की दवाओं मे खरीद मूल्य और एमआरपी के बीच भारी अन्तर है। इस प्रकार सहकारी दवा भण्डारों और निजी मेडिकल स्टोर द्वारा वितरित दवाओं के मूल्य में हजारों रुपये का अन्तर होता है और यह राशि प्रति वर्ष हजारों करोड़ रुपये होती है जो कि सीधे-सीधे राजकोष को हानि है।
ज्ञापन में उदाहरण स्वरूप बताया गया कि एक दवा Abiraterone 250 एमजी 120 टेबलेट सहकारी संस्थाएं 6,890 रुपये में देती हैं जबकि निजी मेडिकल स्टोर वही दवा 15,094 रुपये में दे रही हैं। यानी एक दवा में 8,204 रुपये का भारी अंतर है। एक अन्य दवा Enzalutamide 40 एमजी 56 टेबलेट सहकारी दवा की दुकान पर 8,624 रुपये में बेची जा रही है जबकि निजी मेडिकल स्टोर यही दवा, यही डोज 48,400 रुपये में उपलब्ध करायी जाती है, जिसकी अन्तर राशि 39,776 रुपये है।
ज्ञापन में कहा गया है कि ये दो दवाइयां केवल उदाहरण स्वरूप बतायी जा रही हैं, जबकि मेडिकल शॉप्स पर ऐसी हजारों दवाइयां हैं, जिनमें सहकारी मेडिकल शॉप और प्राइवेट मेडिकल शॉप में बड़ा अंतर है। इससे सरकार को प्रति वर्ष करोड़ रुपये की हानि हो रही है।
हर साल राजकोष को कई हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा
‘मुखपत्र’ के साथ अनौपचारिक बातचीत में बीकानेर सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार के अध्यक्ष और समन्वय समिति के संयोजक नगेंद्रपाल सिंह ने बताया कि उनके द्वारा दवाओं के मूल्य में भारी-भरकम अंतर वाली लम्बी सूची मंत्री को सौंपी गयी है। शेखावत का दावा है कि आरजीएचएस में निजी सैक्टर को शामिल किये जाने के फलस्वरूप, सरकार को प्रति वर्ष 4000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। यह बड़ा घोटाला है। इसकी उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है। यदि सरकार इस बड़े नुकसान से बचना चाहती है तो उसे तुरंत प्रभाव से प्राइवेट सैक्टर को आरजीएचएस से बाहर करना चाहिये और आरपीएमएफ की भांति, आरजीएचएस का काम पूरी तरह से सहकारी भंडारों के सुपुर्द करना चाहिये।
सहकारी व प्राइेवट के लिए अलग-अगल सॉफ्टवेयर क्यों
ज्ञापन में समान नीति के अनुसरण में निजी मेडिकल स्टोर्स/निजी हॉस्पिटल एवं सहकारी उपभोक्ता भंडारों द्वारा संचालित सहकारी दवा की दुकानों के लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर होने पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए एक ही सॉफ्टवेयर के अंतर्गत संचालन की मांग की गयी है। ज्ञापन में कहा गया कि प्रदेशभर में लागू आरजीएचएस में एक योजना एक नीति के अंतर्गत सहकारी व निजी मेडिकल दुकानों को एक ही सॉफ्टवेयर से संचालित की जानी चाहिए। दवा आपूर्ति व बिलों के पुनर्भरण तथा प्रशासनिक प्रभार की दरें भी समान रखी जानी चाहिये। सहकारिता को बढ़ावा और सम्बल प्रदान करने के लिए आजीएचएस के अंतर्गत लाभान्वित को केवल सहकारी दुकानों से ही दवा खरीद की छूट दी जानी चाहिए। सहकारी दुकानों की एनएसी के आधार पर ही लाभान्वितों को अधिकृत निजी दुकानों से दवा खरीद की सुविधा दी जाये।
270 करोड़ रुपये की बकाया राशि जारी की जाये
ज्ञापन के अनुसार, आरजीएचएस योजना के प्रारम्भ में, उपभोक्ता सहकारिता की अपेक्स संस्था – कॉनफेड के माध्यम से 16 अगस्त 2023 तक दवाओं के पुनर्भरण की व्यवस्था थी। 16 अगस्त 2023 के पश्चात से दवा वितरण का पुनर्भरण आरजीएचएस से सीधे भण्डारों को किए जाने की व्यवस्था शुरू की गई। किन्तु न तो पूर्व में दी गई दवाओं की राशि का पुनर्भरण नियमित हुआ और न ही 17 अगस्त के पश्चात दी गई दवाओं का भी नियमित भुगतान प्राप्त हो रहा है। इसके चलते 16 अगस्त 2023 से पूर्व में राजस्थान सहकारी उपभोक्ता भण्डारों ने 105.16 करोड़ रुपये बकाया हैं और 17 अगस्त से आदिनांक तक 165 करोड़ रुपये, कुल 270 करोड़ रुपये आरजीएचएस में बकाया हैं।