राज्य सहकारी बैंक की वार्षिक आमसभा में हंगामा, अध्यक्षों ने किया बहिष्कार
जयपुर, 20 दिसम्बर (मुखपत्र) । राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक लिमिटेड (SLDB) की 60वीं वार्षिक आमसभा (AGM) का आयोजन शुक्रवार को झालाना सांस्थानिक क्षेत्र स्थित राज्य सहकारी शिक्षा एवं प्रबंध संस्थान (RICEM) में किया गया। प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों (PLDB) के प्रति राज्य सरकार के उपेक्षित रवैये से त्रस्त विभिन्न बैंक अध्यक्षों ने वार्षिक आमसभा का बहिष्कार कर दिया और सरकार व सहकारिता विभाग के प्रति नारेबाजी कर रोष व्यक्त किया।
अध्यक्षीय सम्बोधन के तुरंत बाद, एजेंडा पर कार्यवाही आगे बढऩे से पहले ही अध्यक्षों ने ऋण वितरण, नाबार्ड से पुनर्वित्त, कर्मचारियों की भर्ती और एकमुश्त समझौता योजना को लेकर हंगामा कर दिया। अध्यक्षों का आरोप था कि सरकार भूमि विकास बैंकों की सुध नहीं ले रही। प्रदेश सरकार से आर्थिक पैकेज और नाबार्ड से पर्याप्त पुनर्वित्त नहीं मिलने के कारण, सभी 36 पीएलडीबी की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है और अब सरकार के सहयोग के बिना पीएलडीबी की स्थिति में सुधार हो पाना सम्भव नहीं है। नाबार्ड से रिफायनेंस नहीं मिल रहा। वित्त वर्ष के 9 माह बीतने को हैं, लेकिन इस साल राज्य बैंक की ओर से एक भी प्राथमिक सहकारी बैंक को पुनर्वित्त आधारित ऋण वितरण का लक्ष्य नहीं दिया गया। बैंकों में कर्मचारियों के 80 फीसदी से अधिक पद रिक्त हैं, लेकिन दो दशक से भूमि विकास बैंकों में रिक्त पदों पर भर्ती नहीं हो रही। पीएलडीबी द्वारा एक साल से एकमुश्त समझौता योजना (OTS) की मांग की जा रही है। राज्य बैंक द्वारा राज्य सरकार को समझौता योजना का प्रारूप बनाकर भेजे हुए कई महीने हो गये, लेकिन वित्त विभाग की स्वीकृति नहीं मिल रही। वार्षिक आमसभा में प्रशासक और रजिस्ट्रार के प्रतिनिधि की अनुपस्थिति पर भी अध्यक्षों ने नाराजगी जाहिर की और वे एजीएम का बहिष्कार कर, बैठक स्थल से बाहर आकर नारेबाजी करने लगे।
एक साल से ओटीएस का इंतजार
बैठक के पश्चात, पीएलडीबी रायसिंहनगर के अध्यक्ष कालूराम थोरी ने एक वीडियो जारी कर बताया कि एसएलडीबी की वार्षिक आमसभा में प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के अध्यक्षों ने किसानों एवं बैंकों की समस्याओं को लेकर एजीएम का बहिष्कार किया। अध्यक्षों की मांग है कि एकमुश्त समझौता योजना तुरंत प्रभाव से लागू की जाये, नाबार्ड के पुनर्वित्त आधारित ऋण वितरण प्रक्रिया पुन: शुरू की जाये और कर्मचारियों के रिक्त पदों पर भर्ती की जाये। हमारी राजस्थान सरकार से मांग है कि किसानों की कृषि सम्बंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए दीर्घावधि ऋण के लिए नाबार्ड से पर्याप्त रिफायनेंस की सुविधा दिलायी जाये और डिफाल्टर किसानों को पुन: सहकारी साख सुविधा का लाभ देने के लिए कई महीनों से वित्त विभाग के पास लम्बित ओटीएस को स्वीकृत किया जाये, जब तक हमारी मांगे स्वीकार नहीं की जाती, तब तक, हम राज्य बैंक की एजीएम में शामिल नहीं होंगे।
जाट ने की एजीएम की अध्यक्षता
इससे पूर्व, सहकारिता मंत्रालय के सचिव आशीष कुमार भूटानी की जयपुर में आयोजित बैठक में व्यक्त होने के कारण, एडिशनल रजिस्ट्रार-द्वितीय और राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक की प्रशासक राज्य बैंक की आमसभा में नहीं पहुंच पाईं। रजिस्ट्रार के प्रतिनिधि के रूप में पी.डी.एम. भी शुरू में अनुपस्थित रहे। हालांकि, वित्त विभाग के प्रतिनिधि के रूप में भानूप्रकाश उपस्थित रहे। प्रशासक की अनुपस्थिति में, चित्तौडग़ढ़ पीएलडीबी अध्यक्ष बद्रीप्रसाद जाट की अध्यक्षता में एजीएम की कार्यवाही आरम्भ हुई। अध्यक्षीय उदबोधन के तुरंत बाद, अध्यक्षों ने अपनी मांगों को लेकर, हंगामा कर दिया और फिर एजीएम का बहिष्कार कर चले गये।
एमडी मनाते रहे, लेकिन अध्यक्ष नहीं माने
उधर, राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक, अजय उपाध्याय ने अध्यक्षों की बात को सुनकर, उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन देते हुए, एजीएम की कार्यवाही को सुचारू ढंग से सम्पादित करने के लिए सहयोग की अपेक्षा की, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गयी। उपाध्याय ने अध्यक्षों से आग्रह किया कि वे आज की बैठक की कार्यवाही को सम्पन्न करावें और इसके ठीक एक महीने पश्चात पुन: विशेष बैठक का आयोजन कर, उसमें अध्यक्षों की मांगों एवं पीएलडीबी की समस्याओं पर चर्चा करा ली जायेगी और अध्यक्ष चाहें तो इस विशेष बैठक का एजेंडा आज ही तय कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि अपेक्स बॉडी होने के कारण, एसएलडीबी की ऑडिट रिपोर्ट विधानसभा तक जाती है, इसलिए आज की एजीएम को शांतिपूर्वक ढंग से सम्पन्न करने के लिए एजेंडे के बिन्दुओं पर चर्चा करें, लेकिन उनकी अपील नाकाफी सिद्ध हुई।
देर से बैठक में पहुंचे पीडीएम आशुतोष भट्ट ने भी अध्यक्षों को मनाने की कोशिश की और उन्हें रिफायनेंस एवं ओटीएस के सम्बंधि में एसएलडीबी एवं रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों से अवगत कराया, लेकिन अध्यक्ष नहीं माने। बाद में पर्याप्त संख्या बल नहीं होने के कारण, एजीएम को समाप्त घोषित कर दिया गया।
अध्यक्षों के अनुसार, सरकार अध्यक्षों को वार्ता के लिए आमंत्रित करे और एक माह में किसानों एवं पीएलडीबी की समस्याओं का समाधान करे तोा एक माह बाद, पुन: एजीएम बुलायी जा सकती है। बैठक में विभिन्न बैंकों के अध्यक्ष और प्रशासक उपस्थित हुए।