सहकारी सोसाइटी की ऑडिट रिपोर्ट में गबन और वित्तीय अनियमितता को उजागर नहीं करने वाली दो सी.ए. फर्मों की निगरानी मंत्री ने खारिज की, सहकारिता विभाग ने लगाया आजीवन प्रतिबंध
जयपुर, 16 अक्टूबर (मुखपत्र)। सहकारी सोसाइटी में करोड़ों रुपये के गबन, वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करने में विफल रहने वाले दो चार्टर्ड अकाउंटेंट (C.A.) की निगरानी न्यायालय, सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक द्वारा खारिज कर दी गयी है। इनमें सीए फर्म जे. कोचर एंड कम्पनी और सीए फर्म पी.के. कोचर एंड कम्पनी शामिल है। इन दोनों फर्मों द्वारा हनुमानगढ़ जिले की रतनुपरा ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड की 2017-18 से 2021-22 तक की ऑडिट की गयी थी। रतनपुरा ग्राम सेवा सहकारी समिति एवं सोसाइटी में संचालित मिनी बैंक में 2023 में 20 करोड़ रुपये से अधिक राशि का गबन एवं वित्तीय अनियमितताएं प्रकाश में आयी थी।
रजिस्ट्रार, सहकारी समितियाँ मंजू राजपाल द्वारा 8 अक्टूबर 2024 को दो अलग-अलग आदेश जारी कर, सी.ए. फर्म जे. कोचर एंड कम्पनी और सी.ए. फर्म पी.के. कोचर एंड कम्पनी को विभागीय पैनल से डि-पैनल करते हुए ब्लेक लिस्टेड कर दिया गया। अब इन दोनों सी.ए. फर्मों को सहकारी सोसाइटियों की लेखा परीक्षा के लिए गठित एवं भविष्य में गठित किये जाने वाले पैनल में शामिल किये जाने पर रोक लगा दी गयी है।
यह है प्रकरण
हनुमानगढ़ जिले में हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की संगरिया शाखा अंतर्गत रतनपुरा ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड और समिति में संचालित मिनी बैंक में साल 2023 में करोड़ों रुपये के गबन एवं वित्तीय अनियमितताओं का प्रकरण सामने आया था। प्रकरण संज्ञान में आने पर अतिरिक्त रजिस्ट्रार (द्वितीय) कार्यालय रजिस्ट्रार, सहकारी समितियाँ, राजस्थान, जयपुर द्वारा राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा-55 के अन्तर्गत, गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक संजय गर्ग से जांच करवाई गई।
जांच रिपोर्ट के आधार पर अतिरिक्त रजिस्ट्रार (द्वितीय) द्वारा धारा-55 (5) व (6) अन्तर्गत जारी जांच परिणाम व निर्देश दिनांक 22.03.2023 में समिति में हुई अनियमितताओं व गबन का ऑडिट रिपोर्ट में उल्लेेख नहीं कर ऑडिट कार्य में लापरवाही करने के लिए सम्बन्धित दोषी सीए फर्म जे. कोचर एण्ड कम्पनी चार्टर्ड अकाउन्टेंट, (ऑडिट वर्ष 2017-18, 2018-19 एवं 2021-22) और सीए फर्म पी.के. कोचर एंड कम्पनी चार्टर्ड अकाउन्टेंट, (ऑडिट वर्ष 2019-20 एवं 2020-21) को ब्लैकलिस्ट करने की कार्यवाही करने बाबत निर्देशित किया गया।
उक्त दोनों चार्टर्ड अकाउन्टेंट फर्म द्वारा समिति की राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 55 की जांच पर जारी जांच परिणाम एवं निर्देश दिनांक 22.03.2023 को अपास्त किये जाने हेतु न्यायालय, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सहकारिता, राजस्थान, जयपुर में राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम 2001 की धारा 107 में निगरानी दायर की गई। दिनांक 11.09.2024 द्वारा निगरानीकार की निगरानी अस्वीकार की जाकर ऑडिटिंग फर्म को सहकारी संस्थाओं की ऑडिट करने के लिए डि-पैनल करने की कार्यवाही, निगरानीकार ऑडिटिंग फर्म जे. कोचर एण्ड कम्पनी, चार्टर्ड अकाउन्टेंट के सम्बन्ध में भविष्य में भी सहकारी संस्थाओं की ऑडिट करने के लिए एम्पैनलमेंट पर विचार नहीं किये जाने तथा निगरानीकार ऑडिटिंग फर्म के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने हेतु दी इन्स्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउन्टेंटस ऑफ इण्डिया (आई.सी.ए.आई.) नई दिल्ली को लिखे जाने हेतु किया गया है।
आदेशानुसार, निर्देशित लेखापरीक्षा फर्म द्वारा लेखापरीक्षा कार्य के दौरान लापरवाही बरती गई है और अपने सांविधिक व पेशेवर उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं किया गया। उक्त फर्म को अपना पक्ष प्रस्तुत करने हेतु समुचित अवसर दिया गया किन्तु फर्म द्वारा संतोषप्रद उत्तर नहीं दिया गया।
सहकारिता विभाग के द्वारा जारी किये गये पैनल में पंजीयन के समय फर्म द्वारा स्वीकार की गई वर्ष 2018-2021 एवं 2021-2024 में जारी की गई विज्ञप्ति के साथ संलग्न नियम एवं शर्तों में क्रमश: शर्त संख्या 13 व 14 के अनुसार “यदि पैनल की पंजीयन अवधि में सक्षम अधिकारी को यह ज्ञात होता है कि लेखापरीक्षक द्वारा लेखापरीक्षा कार्य में नियम व प्रक्रिया विरुद्ध आचरण को छुपाया है या छुपाने में सहायक रहा है, तो उक्त लेखा परीक्षक का नाम सम्बन्धित पैनल से हटाते हुए अपेक्षित कार्यवाही की जावेगी।”
इसलिए, न्यायालय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सहकारिता, राजस्थान, जयपुर के निर्देशों की पालना में जे. कोचर एण्ड कम्पनी चार्टर्ड अकाउन्टेंट और पी.के. कोचर एण्ड कम्पनी चार्टर्ड अकाउंटेंट को सहकारी सोसायटियों की लेखापरीक्षा हेतु वर्तमान में गठित पैनल से डि-पैनल करने एवं भविष्य में गठित किये जाने वाले पैनल में शामिल किये जाने पर रोक लगाई जाती है।