मुखपत्र

टांटिया हॉस्पिटल में डॉ. अभिषेक गुप्ता ने किया दुर्लभ बीमारी का उपचार

श्रीगंगानगर, 14 जून (मुखपत्र)। जिस बीमारी को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हॉस्पिटल के चिकित्सक भी डायग्नोज नहीं कर सके, और सामान्य टीबी का इलाज करते रहे, उस बीमारी को सुखाडिय़ा मार्ग पर स्थित टांटिया हॉस्पिटल (मल्टीस्पेशिलिटी क्रिटिकल केयर सेंटर) में सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक गुप्ता ने डायग्नोज किया और उसका उपचार किया। मजदूरी करके अपने बच्चे पालने वाले इस परिवार की महिला अब पूर्णत: स्वस्थ है।

 

आशारानी

पंजाब में अबोहर के निकट खुइयां सरवर में रहने वाले कृष्णलाल की पत्नी आशारानी (30) को खांसी हुई थी। उसने अबोहर के एक अस्पताल में चिकित्सक को दिखाया। उन्होंने टीबी बताई और दवाई दे दी। पंद्रह दिन में भी जब वह ठीक नहीं हुई तो कृष्णलाल फिर चिकित्सालय पहुंचा। इस बार उन्होंने भठिंडा भेज दिया। वहां राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित एक हॉस्पिटल में दिखाया गया। वहां भी टीबी ही बताई गई। इस तरह लगभग दो माह तक वे लोग परेशान रहे। आखिर किसी ने उन्हें टांटिया हॉस्पिटल में दिखाने की सलाह दी और वे यहां आए। यहां डॉ. अभिषेक गुप्ता ने उसकी जांच की। जब रोगी को लाया गया तो उसका ऑक्सीजन लेवल 60 प्रतिशत था और डब्ल्यूबीसी 31 हजार तक पहुंच चुका था। यानी इंफेक्शन बहुत ज्यादा था। जांच में पता चला कि महिला के फेफड़े की झिल्ली फट गई थी। इससे पूरे शरीर में मवाद और हवा फैल गई थी। इसे मेडिकल की भाषा में पल्मोनरी हाइडिडेड सिस्ट कहते हैं। फेफड़ों की झिल्ली में ट्यूब डालकर मवाद और रेशे को निकाला गया।

डॉ. गुप्ता ने बताया कि यह बहुत दुर्लभ केस था। यह एक लाख में किसी एक को ही होता है। इसमें 99 प्रतिशत मामलों में ऑप्रेशन की जरूरत पड़ती हैं परंतु टांटिया हॉस्पिटल में उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाओं के चलते छोटा-सा चीरा लगाकर ट्यूब डाली गई और बिना ऑप्रेशन के मवाद निकाल दिया गया। उन्होंने बताया कि इस तरह के मामलों में रोगी के बचने की संभावना एक प्रतिशत ही होती है।

उल्लेखनीय है कि डॉ. अभिषेक गुप्ता की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। डायरेक्ट्रेट ऑफ पलमनरी रीहैबिलेटेशन के फेलो डॉ. गुप्ता आईएसआर की ओर से वर्ष 2018 में तैयार की गई दुनिया के पांच सौ प्रमुख चिकित्सकों की सूची में शामिल होने का गौरव रखते हैं। वे काफी अनुभवी हैंए उनकी दक्षता से एलर्जी, अस्थमा, टीबी, फेफड़ों का कैंसर, धूम्रपान से होने वाले फेफड़े के रोग, निमोनिया, आईएलडी, नींद से जुड़ी बीमारियों, खर्राटों के साथ श्वास की तकलीफ आदि के मरीज लाभान्वित हो रहे हैं।

 

 

 

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