“पैक्स से अपैक्स” संस्थाओं और सहकारी कार्मिकों के हित में सहकार नेता आमेरा ने बजट के लिए दिये महत्वपूर्ण सुझाव
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और एसीएस (वित्त) को दिया सुझावों का पत्र
जयपुर, 29 जनवरी (मुखपत्र)। सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ एवं राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) अखिल अरोड़ा ने मुकालात कर, उन्हें प्रदेश के सहकारी साख आंदोलन में ‘पैक्स से अपेक्स’ तक सहकारी बैंकिंग ढांचे व समग्र सहकारी आंदोलन मेें प्रशासनिक कार्यकुशलता, प्रोफेशनलिज्म एवं तकनीकीकरण से आर्थिक सुदृढ़ता व सक्षमता कायम कर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ध्येय वाक्य ‘सहकारिता से समृद्वि’’ एवं केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह के संकल्प ‘सहकारिता में सहकार’ को राजस्थान राज्य में धरातल पर सफल क्रियान्वयन के लिए सहकारिता में नीतिगत सुधार तथा राज्य सरकार के बजट में प्रस्ताव हेतु सुझाव प्रस्तुत किये।
सहकारी आंदोलन में जवाबदेह, पारदर्शी कुशल प्रशासनिक, व्यवस्था, आर्थिक सुदृढ़ता व सक्षमता के लिए सहकारिता में नीतिगत सुधार तथा राज्य सरकार के बजट में प्रस्ताव हेतु मुख्य सुझाव इस प्रकार हैं :-
1. भारत सरकार के पैक्स कम्प्यूटरीकरण परियोजना की जमीनी स्तर पर सफलता के लिए राज्य की 8000 पैक्स/लेम्पस में वर्षों से रिक्त पड़े पदों पर कम्प्यूटर तकनीक ज्ञान व कोशल योग्यता वाले बेरोजगार युवाओं की भर्ती की जाये।
2. पैक्स/लेम्पस में रिक्त पदों पर भर्ती की प्रशासनिक लागत की पूर्ति के लिए राज्य सरकार स्तर से बजट प्रावधान कर वित्तीय सहायता प्रदान की जावे। स्क्रीनिंग से वंचित पैक्स कार्मिेकों की स्क्रीनिंग कर उनके नियमितिकरण की अनुशंसा की जाये।
3. कुशल बैंकिंग सेेवा, वित्तीय जोखिम व्यवसाय, आधुनिक तकनीकी बैंकिंग सेवा व बैंकिंग लाइसेंस के लिए विभिन्न वित्तीय अनुशासन एवं मापदण्डों की पालना के लिए आरबीआई/नाबार्ड द्वारा राज्य सहकारी बैंक एवं जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में रिजर्व बैंक के परिपत्र ‘फिट एण्ड प्रोपर क्राइटेरिया’ के नीतिगत निर्देशानुसार ही मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति की जाये।
4. सहकारी बैंकों के शून्य ब्याज दर फसली ऋण वितरण व्यवस्था में ब्याज अनुदान एवजी केन्द्र सरकार से देय 3 प्रतिशत राशि व राज्य सरकार स्तर से देय 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान राशि का अग्रिम भुगतान किया जावे।
5. राज्य सरकार द्वारा 2018-19 एवं 2019-20 मेें की गई सहकारी ऋण माफी पेटे सहकारी बैंकों को विलम्ब भुगतान पर देय 8 प्रतिशत ब्याज राशि लगभग 800 करोड़ रुपये के लम्बित भुगतान को जारी करने के लिए बजट प्रावधान कर अविलम्ब भुगतान किया जावे, अन्यथा आरबीआई के निर्देशानुसार उक्त राशि का शत-प्रतिशत एनपीए प्रावधान किये से वर्ष 2024-25 में सभी 29 जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक संचित हानि में आ जायेगें।
6. सहकारी संस्थाओं में सभी आर्थिक अनियमितता, गबन व घोटालों की प्रभावी निर्णायक जांच कार्यवाही के लिए निष्पक्ष, सक्षम व पारदर्शी सतर्कता दल की पृथक से व्यवस्था की जावे।
7. वर्तमान प्रतिस्पर्धात्मक बेहतर बैंकिंग सेवा प्रदाता व्यवस्था में राज्य के सहकारी बैंकों के अस्तित्व को बनाये रखने व बेहतर ग्राहक सेवा उपलब्ध करवाने के लिए सहकारी बैंकों में आधुनिकीकरण, नेटबैंकिंग के लिए संरचनात्मक व्यवस्था कायम करवाने हेतु राज्य सरकार द्वारा बजट प्रावधान कर सहकारी बैंकों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जावे। सहकारी बैंकिंग सीबीएस से जोडक़र पैक्स को तकनीकी रूप से मजबूत किया जावे।
8. भारत सरकार की नीति के अनुरूप राज्य स्तर का एक बड़ा, सक्षम व सुदृढ राज्य सहकारी बैंक बनाने के लिए प्रदेश के शीर्ष सहकारी बैंक में राज्य की सभी 29 जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों को संविलियन, समामेलन व मर्जर कर एक बड़ा राज्य सहकारी बैंक बनाया जाना चाहिए।
9. राज्य सरकार द्वारा सहकारी बैंकों एवं पैक्स के माध्यम से 35 लाख किसानों को 23500 करोड़ रुपये का ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण उपलब्ध कराने की घोषणा की गयी है। राज्य सरकार द्वारा नाबार्ड से कम से कम 50 प्रतिशत पुनर्वित्त सुविधा सहकारी बैंकों को उपलब्घ करवाने का विषय भारत सरकार के समक्ष रखा जाना चाहिए अन्यथा किसान को शून्य ब्याज दर सहकारी ऋण वितरण के लिए बजट प्रावधान कर पैक्स/ सहकारी बैंकों को समुचित ऋण वितरण हेतु राशि उपलब्ध करवाई जावे।
10. सहकारी संस्थाओं में समय पर एवं नियमित रूप से चुनाव करवाकर, प्रजातांत्रिक स्वरूप बहाल किया जाये।
11. राज्य में दीर्घकालीन सहकारी साख व्यवस्था में सहकारी भूमि विकास बैंकों के पुनरूत्थान करने के लिए कार्य योजना बनाकर वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बजट प्रावधान किया जावे।
12. राज्य सहकारी बैंक एवं जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में राज्य सरकार की 25 प्रतिशत हिस्सा राशि दिये जाने के लिए बजट में प्रावधान किया जावे।
13. राज्य में सहकारी विभाग द्वारा ऋणी किसानों के लिए लागू सहकार जीवन सुरक्षा बीमा एवं राज सहकार व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा की प्रीमियम राशि का भुगतान राज्य सरकर द्वारा वहन किये जाने हेतु बजटीय प्रावधन किया जाये।
14. प्राथमिक कृषि ऋणदात्री सहकारी समितियां (पैक्स) को बैंकिंग रेग्यूलेशन एक्ट (बीआर एक्ट) के दायरे में शामिल करते हुए इन्हें सहकारी मिनी बैंक व्यवसाय के साथ जमाएं लेने का अधिकार प्रदान किया जावे।
15. सहकारिता मंत्रालय के संकल्प ‘सहकारिता में सहकार’ को धरातल पर उतारने के लिए सभी सहकारी संस्थाओं के वित्तीय लेन-देन व व्यवसाय खाते, सहकारी विभाग के सभी कार्मिकों के वेतन खाते, राज्य सरकार के विभागों व स्वायत्तशासी संस्थाओं की जमाएं व योजनाओं के अतिरिक्त राशि राज्य सहकारी बैंक एवं जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में रखने का नीतिगत निर्णय कर बजट में उसकी घोषणा की जावे।
16. पैक्स/लैम्पस में प्रभावी कार्यकुशलता व आर्थिक सुरक्षा के लिए इनमें कार्यरत व्यवस्थापक, सहायक व्यवस्थापक व सहायक कर्मियों के सुरक्षित रोजगार, वेतन भुगतान व सेवा शर्तों के लिए विधिवत ‘कैडर गठन’ की सदन में घोषणा की जाये।
17. सहकारी बैंक कार्मिकों को सेवानिवृत्ति पर केन्द्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान 25 लाख रुपये ग्रेच्यूटी दी जाये।
18. सहकारी बैंक कर्मियों को सेवानिवृति पर अर्जित उपार्जित अवकाश अधिकतम 300 दिवस की भुगतान राशि को केन्द्र व राज्य कर्मियों के समान आयकर प्रावधान से मुक्त किया जावे।
19. सहकारी बैंककर्मियों को सेवानिवृति उपरांत सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस)/यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) सुविधा लागू की जावे। सहकारी बैंककर्मियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए आरजीएचएस सुविधा का लाभ दिया जावे।
20. ग्राम सेवा सहकारी समितियों के ऋणी किसान सदस्यों की कृषि भूमि के बेचान/विक्रय/नामांतरण करने से पूर्व जिला कलेक्टर, तहसीलदार व पटवारी पैक्स/लैम्पस से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया जाना अनिवार्य किया जाये।
21. केन्द्रीय सहकारी बैंकों/भूमि विकास सहकारी बैंकों के अवधिपार दोषी ऋणी किसानों से ऋण वसूली के लिए ऋणी सदस्य की बंधक भूमि की कुर्की/नीलामी किये जाने पर सरकार द्वारा लगायी गई अस्थायी रोक को अविलम्ब हटाया जाये।
22. विभिन्न कारणों से वेतन समझौते से वंचित सहकारी बैंक कार्मिकों की समस्याओं का समाधान कर, उन्हें वेतन समझौते का लाभ एवं अन्य परिलाभ जारी किये जाये। वेतन समझौते भुगतान की पत्रावली पर वित्त विभाग की स्वीकृति व अनुमोदन की अनिवार्यता समाप्त की जाये।