सहकारी अफसर निलम्बित, नियम 16 सीसीए में जांच बैठायी, रिश्वतकांड के बाद सरकार ने लिया निर्णय
एक दिन पहले ही हरप्रीतकौर के कार्यालय का सहकारी निरीक्षक 2.75 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था
जयपुर, 16 अगस्त (मुखपत्र)। राज्य सरकार ने स्वतंत्रता दिवस को, देर सायं एक आदेश जारी कर, उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां जयपुर (शहर) के पद पर कार्यरत राज्य सहकारिता सेवा की अधिकारी हरप्रीत कौर को निलम्बित कर दिया। उप रजिस्ट्रार, जयपुर (शहर) के पद को इकाई अधिकारी के दृष्टिकोण से राज्य की सबसे हॉट सीट माना जाता है। माना जा रहा है कि इस कार्यालय के एक सहकारी निरीक्षक की एंटी क्रप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा 2 लाख 75 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तारी के पश्चात, राज्य सरकार ने उप रजिस्ट्रार के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही का निर्णय लिया है।
सहकारिता विभाग के उप शासन सचिव मुकेश जोशी की ओर से 15 अगस्त 2025 की सायंकाल में जारी आदेशानुसार, हरप्रीतकौर, उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां जयपुर (शहर) के विरुद्ध राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के नियम 16 के तहत विभागीय जांच कार्यवाही का निर्णय लिया गया है। इसके दृष्टिगत हरप्रीत कौर को राजस्थान सिविल सेवा (सीसीए) नियम 1958 के नियम 13 के तहत तुरंत प्रभाव से निलम्बित किया जाता है।
आदेशानुसार, उप रजिस्ट्रार हरप्रीतकौर का निलम्बन काल में मुख्यालय कार्यालय रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, जयपुर रहेगा। निलम्बन काल में नियमानुसार निर्वाह भत्ता देय होगा। कौर को निर्देशित किया गया है कि वे निलम्बन अवधि में वह प्रतिदिन अपनी उपस्थित रजिस्ट्रार कार्यालय में दर्ज करायेंगी और रजिस्ट्रार की पूर्वानुमति प्राप्त किये बिना अपना मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगी।
सहकारी निरीक्षक की गिरफ्तारी के बाद हुई अनुशासनात्मक कार्यवाही

उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, जब पूरा देश, आजादी की वर्षगांठ की तैयारी में उत्साहपूर्वक व्यस्त था, उसी समय उप रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, जयपुर (शहर) में पदस्थ सहकारिता निरीक्षक नारायण वर्मा को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा 2 लाख 75 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। नारायण के पास सहकारी संस्थाओं के लिक्विेशन का काम है और उसकी कार्यालय में उपस्थित प्राय: शून्य रहती है। एसीबी ने उसे जीपीएस से ट्रैक कर एवं करीब 10 किलोमीटर तक पीछा करने के उपरांत परिवादी से 2 लाख 75 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था।
वह परिवादी से 25-25 हजार रुपये की तीन किश्तों में 75 हजार रुपये पहले ले चुका था। परिवादी के हाउसिंग सोसाइटी द्वारा विकसित कालोनी में दो भूंखडों के विवाद में आने की कारण, उस पर स्टे दिलाने की एवज में कुल पांच लाख रुपये की मांग की गयी थी। परिवादी की शिकायत थी कि नारायण वर्मा द्वारा स्टे दिलाने के लिए उप रजिस्ट्रार के लिए चार लाख रुपये (प्रति भूखंड दो लाख रुपये) और स्वयं के लिए एक लाख रुपये रिश्वत की मांग की गयी थी।
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