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तीन भाइयों ने सहकारी बैंक से एक ही दिन कर्ज लिया, अदालत ने चेक अनादरण में एक ही दिन तीनों को कैद की सजा सुनाई

जयपुर, 4 मार्च (मुखपत्र)। प्रदेश के एक सहकारी बैंक से तीन सगे भाइयों ने एक ही दिन आवास ऋण प्राप्त किया। तीनों ने किश्त का चुकारा करने के लिए एक ही तारीख के चेक दिये, जो बैंक खाते में पर्याप्त राशि नहीं होने के कारण अनादरित हो गये। संयोग से अदालत ने तीनों भाइयों को एक ही दिन 2-2 साल कारावास और जुर्माना राशि से दंडित किया। यह प्रकरण हनुमानगढ़ प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक लिमिटेड (PLDB) से सम्बंधित है।

हनुमानगढ़ पीएलडीबी सचिव पीथदान चारण ने बताया कि बैंक की रावतसर शाखा से खोडां गांव के तीन भाइयों – महावीरप्रसाद, रामकुमार और साहबराम ने अलग-अलग उद्देश्य के लिए 13 अक्टूबर 2013 को ऋण स्वीकृत कराया था। महावीरप्रसाद ने ग्रामीण आवास योजना में 12 लाख रुपए तथा कृषि यंत्र खरीदने के लिए 2 लाख रुपए का ऋण लिया। 18 जनवरी 2014 को व्यावसायिक वाहन खरीदने के लिए 5.50 लाख रुपए का ऋण लिया था। महावीर ने 17 जून 2016 को 9,47,289 रुपए का चेक दिया, जो अनादरित हो गया। बैंक ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद पेश किया गया। सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट ने महावीर प्रसाद को दोषी मानते हुए जुर्माने सहित 11 लाख रुपए बैंक को चुकाने के आदेश दिए, साथ ही 2 साल कारावास की सजा सुनाई।

प्रत्येक को दो साल कैद की सजा

रामकुमार ने ग्रामीण आवास के लिए 11.80 लाख रुपए और डेयरी के लिए 3.20 लाख रुपए का ऋण लिया था। ऋण चुकाने के लिए 17 जून 2016 को 5,44,609 रुपए का चेक बैंक को सौंपा, यह अनादरित हो गया। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 2 साल कारावास की सजा और जुर्माना सहित 7 लाख रुपए बैंक को चुकाने का फैसला सुनाया।

तीसरे भाई साहबराम ने इसी बैंक शाखा से इसी दिन, ग्रामीण आवास के लिए 12 लाख रुपए और तारबंदी के लिए 2 लाख रुपए का ऋण लिया था। साहबराम ने 17 जून 2016 को 5,72,521 रुपए का चेक बैंक को सौंपा, लेकिन अनादरित हो गया। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जुर्माना सहित 7 लाख रुपए बैंक को चुकाने के साथ 2 वर्ष कारावास की सजा सुनाई। बैंक की ओर से पैनल लॉयर जयपाल झोरड़ और संजय बराड़ा ने पैरवी की।

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