राज्यसहकारिता

सहकारी मिनी बैंक में करोड़ों रुपये का गबन, मोटी रकम गंवाने वालों ने को-आपरेटिव एक्ट की जांच को दी चुनौती

जिस सोसाइटी अध्यक्ष को अधिनियम अंतर्गत जांच में बाइज्जत बरी किया गया, पुलिस ने उसे 8.75 करोड़ रुपये के गबन में बराबर का दोषी मानते हुए चार्जशीट पेश की

हनुमानगढ़, 22 नवम्बर। हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड ( HKSB) की तलवाड़ा झील ग्राम सेवा सहकारी समिति एवं मिनी बैंक में हुए 8 करोड़ 75 लाख रुपये के गबन का शिकार हुए ग्रामीणों को अभी तक न्याय का इंतजार है। इस गबन के दोनों मुख्य सूत्रधार – अध्यक्ष कृष्ण कुमार जांदू और व्यवस्थापक सुधीर भार्गव जेल में हैं जबकि तीसरा आरोपी यानी सहायक व्यवस्थापक सुनील जांदू, जो कि अध्यक्ष का रिश्तेदार है, अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर है।

इस घोटाले की अधिनियम अंतर्गत जांच करने वाले जांच अधिकारी ने अध्यक्ष जांदू के साथ पूरी सहानुभूति रखते हुए या आर्थिक स्वार्थ से वशीभूत होकर, उसे गबन में बराबर का दोषी नहीं माना। धारा 55 की जांच करने वाले सहकारी निरीक्षक इन्द्रजीत ने 8 करोड़ 75 लाख 53 हजार 879 रुपये के घोटाले में जांदू को केवल 5 लाख 55 हजार 803 रुपये के एक सहकार स्वरोजगार व्यक्तिगत ऋण का ही दोषी माना और धारा 57(1) मेें आचरण की जांच के पश्चात 57(2) में तत्कालिन उप रजिस्ट्रार, हनुमानगढ़ मनोज कुमार मान ने जांदू को इस एक मात्र ऋण के दोष से भी बरी कर दिया, जबकि इससे पहले हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक में प्रबंध निदेशक रहते हुए मान के आदेश पर ही, टिब्बी शाखा प्रबंधक अनिल कुमार द्वारा तलवाड़ा जीएसएस में हुए गबन के लिये व्यवस्थापक सुधीर भार्गव और अध्यक्ष कृष्ण कुमार जांदू के खिलाफ पुलिस थाना में आईपीसी की धारा 409, 120बी के अंतर्गत नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया था। यह प्रकरण अधिकारियों की सीट बदलने के साथ प्राथमिकताएं बदलने का जीवंत उदाहरण है।

कृष्ण कुमार जांदू, अध्यक्ष
सुनील भार्गव, व्यवस्थापक

पुलिस ने अपने स्तर पर मामले की गंभीरता से जांच करने के पश्चात जांदू और भार्गव के खिलाफ अदालत में आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 201/120बी के तहत चालान पेश किया। पुलिस ने जांच में पाया कि टिब्बी स्थित सहकारी बैंक की शाखा और एसबीआई शाखा से जब-जब धन की निकासी की गयी, तब-तब प्रत्येक चेक पर व्यवस्थापक सुधीर के साथ अध्यक्ष के भी हस्ताक्षर थे, और संचालक मंडल ने इन दोनों को ही समिति के लेन-देन के लिए अधिकृत कर रखा था। प्रदेश में तब कांग्रेस की सरकार थी और जांदू को सत्ता का संरक्षण प्राप्त था। वह तलवाड़ा झील ग्राम सेवा सहकारी समिति का अध्यक्ष होने के साथ-साथ टिब्बी क्रय विक्रय सहकारी समिति का अध्यक्ष और केवीएसएस अध्यक्ष होने के नाते हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड में संचालक मंडल का सदस्य था, साथ ही कांग्रेस पार्टी की ओर से हनुमानगढ़ जिला परिषद का डायरेक्टर भी है। इसलिए जांदू को साधारण ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े अशिक्षित अध्यक्ष के रूप में परिभाषित किया जाना उचित नहीं है। वह सक्रिय राजनेता है, जो सोसाइटी की प्रत्येक गतिविधि में सक्रिय रूप से भागीदार रहा और जिसने हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक के अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ा, हालांकि हार गया।

जांदू की सोसाइटी के प्रत्येक लेन-देन में सक्रिय हिस्सेदारी, चेकों पर हस्ताक्षर एवं अक्टूबर-2022 में सहकारी चुनाव से कुछ समय पहले ही टिब्बी शाखा में संचालित सोसाइटी के बैंक खाते से बड़ी मात्रा में चेक द्वारा धन की निकासी आदि दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने जांदू को गबन में बराबर का दोषी माना और 31 अगस्त 2024 को अदालत में चार्जशीट प्रस्तुत की। इससे पूर्व, घोटाले में जांदू की संलिप्तता को देखते हुए, 6 जून 2024 को पुलिस ने कृष्ण कुमार जांदू को गिरफ्तार कर लिया और रिमांड अवधि समाप्त होने पर अदालत के आदेशानुसार, 11 जून 2024 जेल में डाल दिया। इस घोटाले को लेकर जांदू के खिलाफ कुल चार मुकदमे दर्ज हैं। एक केस बैंक द्वारा दर्ज करया गया है, शेष तीन जमाकर्ताओं द्वारा दर्ज कराये गये हैं, जिनकी मियादी जमा की बड़ी रकम हड़प ली गयी।

इनमें एक मुकदमा संचालक मंडल के सदस्य गुरलाल सिंह पुत्र जसवंत सिंह और दूसरा मुकदमा कृष्ण कुमार जांदू के रिश्तेदार रोहताश जांदू पुत्र साहबराम की ओर से दर्ज कराया गया है। गुरलाल के तीन भाइयों के 32 लाख रुपये और रोहताश के परिवार के 47 लाख रुपये इस गबन की भेंट चढ़ गये। व्यवस्थापक सुधीर भार्गव 16 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया गया और रिमांड अवधि समाप्त होने के पश्चात, वह 21 अगस्त से न्यायिक हिरासत में है। पुलिस ने 2 सितम्बर 2024 को दोनों के खिलाफ एसीजेएम, टिब्बी की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। इस केस को पुख्ता सुबूत के साथ अदालत तक पहुंचाने में अनुसंधान अधिकारी उप निरीक्षक रजनजीतकौर ने पूरी मेहनत और शिद्दत के साथ अपने कर्तव्य को अंजाम दिया।

चालान पेश किये जाने के पश्चात, जांदू ने, इस मामले में उसे जबरिया फंसाये जाने की बात कहते हुए, जोधपुर हाईकोर्ट में रेगुलर बेल के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया, जिसे 20 सितम्बर 2024 को खारिज कर दिया गया। अदालत ने अपनी टिप्पणी में जांदू को गबन में बराबर का दोषी करार देते हुए उसका जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा, ‘समिति के संरक्षक के रूप में, याचिकाकर्ता (कृष्ण कुमार जांदू) को ग्राम सेवा सहकारी समिति के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता थी, लेकिन इसके बजाय, उन्होंने बड़ी राशि का गबन करके समिति के हितों के खिलाफ काम किया। न्यायाधीश ने आगे कहा, ‘आवेदक (जांदू) के सम्बंध में रिकॉर्ड पर रखी गई विशाल प्रथम दृष्टया सामग्री, याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपों को देखते हुए, मेरा विचार है कि वर्तमान मामले में आरोप की प्रकृति और गंभीरता, याचिकाकर्ता को दी गई भूमिका, आवेदक के पूर्ववृत्त और याचिकाकर्ता के खिलाफ स्थापित मामले को देखते हुए, याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किए जाने का हकदार नहीं पाया गया है। उपरोक्त के मद्देनजर, मुझे नहीं लगता कि यह याचिकाकर्ता को नियमित जमानत देने के लिए उपयुक्त मामला है। इसलिए, वर्तमान याचिका खारिज की जाती है।

इधर, इस मामले में पीडि़त लोगों ने, राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2001 की धारा 57(2) के निर्णय के विरुद्ध एडिशनल रजिस्ट्रार (अपील्स), जोधपुर के यहां, अपील कर रखी है, जो अभी लम्बित है। यदि पुलिस द्वारा पेश चार्जशीट और कृष्ण कुमार जांदू की जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय की टिप्पणी को देखें, तो धारा 55 की सम्पूर्ण जांच ही खारिज किये जाने योग्य है, क्योंकि इस प्रकरण में पुलिस जांच और सहकारी अधिनियम अंतर्गत की गयी जांच में दिन-रात का अंतर है। पुलिस की जांच में 8 करोड़ 75 लाख 53 हजार 879 रुपये के गबन/वित्तीय अनियमितता में कृष्ण कुमार जांदू को बराबर का दोषी माना गया है, जबकि अधिनियम अंतर्गत जांच में जांदू को केवल 5 लाख 55 हजार रुपये का दोषी माना गया था, जिसे बाद में सहकारी अफसरों ने उस मामूली आरोप से मुक्त कर दिया। अब यह एडिशनल अपील्स के विवेक पर निर्भर करता है कि वो को-ऑपरेटिव एक्ट के प्रावधानों, लोगों के साथ बेदर्दीपूर्वक हुई ठगी, सहकारिता के प्रति आमजन के विश्वास के साथ खिलवाड़, पुलिस की चार्जशीट और जमानत याचिका पर हाईकोर्ट की टिप्पणी को देखते हुए, लोगों के लिए राहतभरा निर्णय सुनाते हैं या फिर……। इस प्रकरण की सुनवाई 24 अक्टूबर 2024 को एडिशनल रजिस्ट्रार अपील्स पी.पी. सिंह के समक्ष होनी थी, लेकिन सिंह के अस्वस्थ होने के कारण अब आगामी सुनवाई 24 दिसम्बर 2024 को होनी है।

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