सहकारिता

क्या एक असंतुलित कमेटी केंद्रीय सहकारी बैंक और पैक्स के मध्य असंतुलन को दूर कर पायेगी?

जयपुर, 20 फरवरी (मुखपत्र)। केंद्रीय सहकारी बैंकों और ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स) के मध्य बढ़ते असंतुलन के कारणों की जानकारी एवं उसे नियंत्रित करने के उपाय सुझावित करने हेतु गठित कमेटी के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह लगाया जा रहा है। कमेटी में ग्राम सेवा सहकारी समितियों की ओर से, सहकारी कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि के रूप में नंदलाल वैष्णव, महादेव सिंह ऐचरा, कुलदीप जंगम और टीकेंद्र कटारा शामिल है।

विभिन्न सोसाइटियों में कार्यरत व्यवस्थापक का कहना है कि नंदलाल वैष्णव और महादेव सिंह ऐचरा, दोनों ही व्यवस्थापक पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और कुलदीप जंगम फिलहाल किसी भी समिति के कर्मचारी नहीं हैं (हालांकि जंगम ने स्वयं को बारां जिले की बैगना पैक्स का मुख्य कार्यकारी बताया है)। ऐसे में ये तीन व्यक्ति, समितियों में कार्यरत कर्मचारियों के हित में क्या बात करेंगे? क्या इस महत्वपूर्ण कमेटी के लिए पूरे राजस्थान में यही पात्र लोग बचे थे?

 

नंदलाल वैष्णव और कुलदीप जंगम, दोनों ही स्वयं को राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ का प्रदेश अध्यक्ष बताते हैं। वैष्णव वाले संगठन में महादेव सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष और जंगम वाले संघ में टीकेंद्र कटारा प्रदेश महामंत्री होने का दावा करते हैं। राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ की एक और प्रदेश कार्यकारिणी है, जिसके प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण तिवाड़ी हैं, जो भीलवाड़ा से हैं। उनकी कार्यकारिणी का प्रत्येक सदस्य, समिति में नियोजित हैं। तिवाड़ी की रेडवास ग्राम सेवा सहकारी समिति, प्रदेश की पहली ऐसी पैक्स है, जिसे पैक्स कम्प्यूटरीकरण के लिए गो-लाइव किया गया, लेकिन तिवाड़ी या उनकी कार्यकारिणी का कोई पदाधिकारी अपेक्स बैंक द्वारा गठित समिति में सदस्य नहीं है। दूसरी ओर, कमेटी में एक और व्यवस्थापक विशेष आमंत्रित सदस्य हैं, जिनकी पैक्स जयपुर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड से सम्बद्ध है, लेकिन जयपुर जिले की कुल 370 समितियों में केवल इन्हीं सज्जन की समिति में पैक्स कम्प्यूटरीकरण का कार्य आज तक आरम्भ नहीं हो शुरू नहीं हो पाया यानी पारदर्शिता का नितांत अभाव है।

भीलवाड़ा जिले की बिजोलिया ब्रांच की बिजोलिया ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक रहे नंदलाल वैष्णव को सेवानिवृत्त हुए दो साल से अधिक समय हो चुका है। बिजोलिया पैक्स की आर्थिक स्थिति इस कदर खराब रही कि नंदलाल स्वयं ग्रेच्यूटी और पीएफ का लाभ नहीं ले पाये। छुट्टियों की एवज में नगद भुगतान भी नहीं मिला। मिलता भी कैसे, क्योंकि समिति तो वर्षों से हानि में थी। समिति व्यवस्थापक ने ऋण वितरण के अलावा कोई काम ही नहीं किया। बिजोलिया समिति से सेवानिवृत्त होने के बाद, नंदलाल ने अपने गृहनगर की लाडपुरा सोसाइटी में एक साल तक संविदा पर काम किया, लेकिन उसके बाद वहां से हटा दिया गया।

भीलवाड़ा सीसीबी से जानकारी मिली है कि 31 मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार, बिजोलिया ग्राम सेवा सहकारी समिति का अल्पकालीन फसली ऋण वितरण केवल 66 लाख 35 हजार रुपये था, जबकि समिति की भीलवाड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक की ओर देनदारी 72 लाख 9 हजार रुपये थी। यानी बैंक और समिति के मध्य 5 लाख 74 हजार रुपये का असंतुलन है। 31 मार्च 2023 को बिजोलिया पैक्स 35 लाख 69 लाख रुपये की संचित हानि में थी। अब आप भी बताइये कि जिस शख्स के रहते समिति असंतुलन में रही और जिसके कर्मचारी रहते सोसाइटी 35 लाख रुपये से अधिक की संचित हानि में पहुंच गयी, जो व्यवस्थापक अपना पीएफ और ग्रेच्यूटी नहीं ले पाया, वह व्यक्ति बैंकों और समितियों के मध्य असंतुलन को लेकर क्या सुझाव देगा। वो व्यक्ति क्या सुझाव देगा, जो सेवानिवृत्त होने के बाद केवल बड़े अफसरों के बीच रहने मात्र के लिए कमेटी का सदस्य बना हुआ है और उस व्यक्ति से पारदर्शिता की क्या उम्मीद की जाये, जो स्वयं पारदर्शिता के भय से पैक्स कम्प्यूटीकरण से दूर भाग रहा है।

दूसरी ओर, इसी समिति में, व्यवस्थापक संगठनों के प्रतिनिधियों से ठीक उलट, सकारात्मक विचारधारा वाले विद्वान सहकारी अधिकारी शामिल हैं, जिनमें एडिशनल रजिस्ट्रार इंदर सिंह (भरतपुर जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार और एमडी, अलवर सीसीबी), ज्वाइंट रजिस्ट्रार संजय गर्ग (एमडी, गंगानगर सीसीबी), ज्वाइंट रजिस्ट्रार आलोक चौधरी (एमडी, उदयपुर सीसीबी) और ज्वााइंट रजिस्ट्रार अनिल काबरा (एमडी, सीसीबी भीलवाड़ा), अपेक्स बैंक के जीएम पी.के. नाग, डीजीएम किरण वर्मा आदि हैं।
जिस कमेटी में ही इतना असंतुलन हो, वो बैंक और सोसाइटी के मध्य असंतुलन को दूर करने में अपनी भूमिका का निर्वहन कैसे करेगी? कमेटी में, कर्मचारी संगठनों के अनुपयोगी प्रतिनिधियों के स्थान पर यदि बेहतरीन काम करने वाली श्रेष्ठ समितियों के व्यवस्थापकों को शामिल कर, नये सिरे से मंथन किया जाये, तब कहीं जाकर कमेटी की सार्थकता सिद्ध हो पायेगी और तभी सुदूर क्षेत्रों – गंगानगर (470 किमी.), भीलवाड़ा (250 किमी.), कोटा (252 किमी.) और अलवर (172 किमी.) से सहकारिता सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों का जयपुर आना सार्थक हो पायेगा।

21 को फिर होगी कमेटी की बैठक

केंद्रीय सहकारी बैंकों और ग्राम सेवा सहकारी समितियों के मध्य बढ़ते असंतुलन के कारणों की जानकारी एवं उसे नियंत्रित करने के उपाय सुझावित करने हेतु गठित कमेटी की आगामी बैठक 21 फरवरी 2024 को अपराह्न 12.30 बजे राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (अपेक्स बैंक) जयपुर में होगी। इसमें उपरोक्त चारों प्रबंध निदेशकों व अपेक्स बैंक के अधिकारियों के अलावा व्यवस्थापक, जीएसएस गेगल एवं केकड़ी अजमेर सीसीबी, व्यवस्थापक जीएसएस पावटा, जालौर सीसीबी, व्यवस्थापक तलवाड़ा जयपुर सीसीबी, नंदलाल वैष्णव, प्रतिनिधि व्यवस्थापक संगठन, महादेव सिंह, प्रतिनिधि व्यवस्थापक संगठन और राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ, जयपुर के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप जंगम एवं प्रदेश महामंत्री टीकेंद्र कटारा (अपेक्स बैंक की ओर से प्रसारित बैठक के सूचना पत्र के अनुसार) को आमंत्रित किया गया है।

 

 

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