स्क्रीनिंग की जांच की पटकथा लिखने वालों ने चुना शासन सचिव का कंधा, निशाने पर कौन?
जयपुर, 14 मई (मुखपत्र)। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही, ग्राम सेवा सहकारी समितियों यानी पैक्स, लैम्पस में साल 2022 में हुई व्यवस्थापकों/सहायक व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग का जिन्न, फिर से बोतल से बाहर आ गया है। इससे सहकारिता सेवा के अधिकारियों के एक वर्ग का मंसूबा पूरा होता दिख रहा है, जिन्हें पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के शासनकाल में सहकारिता मंत्रालय द्वारा साइडलाइन कर दिया गया था। स्क्रीनिंग में हुई कथित अनियमितताओं की जांच के लिए अतिरिक्त रजिस्ट्रार-प्रथम राजीव लोचन शर्मा की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है।
शासन सचिव (सहकारिता) के आदेश से गठित जांच कमेटी के अध्यक्ष के रूप में राजीव लोचन शर्मा द्वारा प्रदेश के जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB) से व्यवस्थापकों की स्क्रीनिंग को लेकर विभिन्न सूचनाएं 7 दिवस में उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया गया है। सूचनाओं की पुष्टि के लिए सम्बंधित दस्तावेज/प्रमाण पत्रों की प्रमाणित प्रति भी प्रपत्र के साथ प्रेषित करने के लिए कहा गया है। शर्मा को अपने से असहमति रखने वालों को सहज ढंग से निपटाने के लिए जाना जाता है और इस काम के लिए वे लम्बे-चौड़े प्रपत्र तैयार करने में सिद्धहस्त हैं।
कुल 26 बिन्दूओं के इस प्रपत्र में पैक्स/लैम्पस का नाम, पंजीकरण संख्या व दिनांक, कर्मचारी का नाम मय पिता का नाम, स्क्रीनिंग से पूर्व धारित पद (सहायक व्यवस्थापक/व्यवस्थापक), समिति संचालक मंडल में एवं एजीएम में नियुक्ति की दिनांक, नियुक्ति के समय आयु, नियुक्ति के समय शैक्षिणक योग्यता, स्क्रीनिंग के समय शैक्षिणक योग्यता, बैंक द्वारा लेन-देन के लिए अधिकृत किए जाने की दिनांक, स्क्रीनिंग के समय आयु, स्क्रीनिंग के लिए संचालक मंडल एवं एजीएम में प्रस्ताव लिए जाने की दिनांक, बैंक एवं समिति द्वारा संतोषजनक सेवा का प्रमाण पत्र की सूचना, यदि सेवा नियमों के तहत दण्डित किया गया हो तो उसका विवरण, कार्मिक के विरुद्ध सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 55 के जांच परिणाम या लम्बित, धारा 57 का निर्णय या प्रकरण लम्बित की जानकारी मांगी है। इसी तरह यदि किसी पुलिस थाना में आपराधिक प्रकरण किसी धारा के तहत दर्ज हो तो उसका विवरण और समिति में मुख्य कार्यकारी का पद रिक्त होने की दिनांक की भी सूचना मांगी गई है।
क्या समिति वेतन का भुगतान करने के लिए सक्षम है?
राज्य स्तरीय जांच समिति के अध्यक्ष द्वारा निम्नलिखित सूचनाओं का ब्यौरा भी मांगा गया है, जैसे –
1. क्या समिति व्यवस्थापक को वेतन भुगतान करने के लिए सक्षम है?
2. क्या अभ्यर्थी द्वारा पूर्व में स्क्रीनिंग का लाभ प्राप्त किया अथवा नहीं? 3. क्या उसी समिति में स्क्रीनिंग की गई, जिस हेतु आवेदन किया गया है?
कार्य अनुभव की गणना
कमेटी अध्यक्ष द्वारा स्क्रीनिंग वाले व्यवस्थापकों/सहायक व्यवस्थापकों की डीफैक्टो मुख्य कार्यकारी के रूप में कार्य अनुभव की गणना की भी रिपोर्ट मांगी गई है। यदि एक से अधिक समिति में कार्य अनुभव की गणना है, तो उक्त समितियों का नाम व कार्यानुभव सम्बंधी पृथक-पृथक विवरण सहित समितियों के परस्पर सहमति प्रस्ताव एवं उस प्रस्ताव की उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां द्वारा अनुमोदन की प्रति भी मांगी गई है।
वर्षवार ऑडिट रिपोर्ट की सूचना
ऑडिट रिपोर्ट वर्षवार मांगी गई है, जिसमें कर्मचारी का नाम अंकित हो, यदि एक से अधिक समिति में कार्य अनुभव को सम्मिलित किया गया है, तो उक्त पृथक-पृथक समितियों ऑडिट रिपोर्ट वर्ष का विवरण सहित संबंधित अंश प्रति की विशेष लेखा से प्रमाणित प्रति भी मांगी गयी है।
वेतन का ब्यौरा भी मांगा गया
कमेटी ने सम्बंधित व्यवस्थापक/सहायक व्यवस्थापक के वेतन सम्बंधी सूचना उपलब्ध कराने के लिए भी कहा गया है। सम्बंधित सोसाइटी ने किस दिनांक से वेतन भुगतान किया जा रहा है और यदि एक से अधिक समितियां द्वारा वेतन भुगतान किया जा रहा है, तो उक्त भुगतान संबंधी पृथक-पृथक विवरण सहित उपस्थिती पंजिका की प्रति व वेतन भुगतान स्टेटमेंट की संबंधित प्रबंध निदेशक द्वारा समिति की रोकड़ पुस्तिका में मिलान कर प्रमाणित प्रति भी मांगी है।
किसे निबटाने के लिए लिखी गयी यह पटकथा
स्क्रीनिंग वाले घटनाक्रम में दो बातें स्पष्ट हैं। नम्बर एक, पहले स्क्रीनिंग की जांच की पटकथा लिखी गयी और फिर पूरी प्लानिंग के साथ स्क्रीनिंग को लेकर एक राज्यस्तरीय समाचार पत्र में समाचारों की विशेष शृंखला प्रकाशित करायी गयी, जिसकी तकनीकी भाषा से स्पष्ट हो गया कि इसका फीडबैक, सहकारी अफसरों द्वारा दिया गया, जो कभी स्क्रीनिंग प्रक्रिया में सतत संलग्न रहे होंगे। नम्बर दो, कमेटी अध्यक्ष द्वारा तैयार अत्यंत विस्तारित प्रपत्र से ये प्रतीत होता है कि यह सब किसी अधिकारी विशेष को निबटाने की प्रक्रिया मात्र है, जिसमें शासन सचिव के कंधे का उपयोग किया जा रहा है।
क्या होती है स्क्रीनिंग
प्रदेश की ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कार्यरत मुख्य कार्यकारी (व्यवस्थापकों या सहायक व्यवस्थापक) के नियमितिकरण की अनुशंसा के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक का आयोजन किया जाता है। पहले इसमें, जिला कलेक्टर अध्यक्ष होते थे, पिछली सरकार के कार्यकाल में जिला कलेक्टर को बाहर कर, सहकारिता विभाग के खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार को अध्यक्ष नामित कर दिया गया। कमेटी में सम्बंधित ग्राम सेवा सहकारी समिति का अध्यक्ष व इकाई अधिकारी यानी उप रजिस्ट्रार सदस्य होते हैं और सम्बंधित जिला केंद्रीय सहकारी बैंक का प्रबंध निदेशक सदस्य सचिव होता है। स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात ही, व्यवस्थापक को चयनित श्रेणी का दर्जा प्राप्त होता है, जिसके बाद वह चयनित वेतन शृंखला के तहत वेतन-भत्ते प्राप्त कने का अधिकारी होता है।
भर्ती बोर्ड की विफलता पर भी एक जांच कमेटी की आवश्यकता
उल्लेखनीय है कि गत डेढ़ साल से अतिरिक्त रजिस्ट्रार-प्रथम के नाते राजीव लोचन शर्मा ही राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड के पदेन अध्यक्ष हैं और अपने कार्यकाल के दौरान वे राजफैड, अपेक्स बैंक, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक में विभिन्न संवर्ग के एक हजार से अधिक पदों पर भर्ती करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं, जिसकी जांच के लिए भी एक कमेटी होनी चाहिए। प्रदेश में 2017 में जब सहकारी भर्ती बोर्ड का गठन किया गया था, तब एक हजार से अधिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों के पद रिक्त थे। पिछली सरकार के कार्यकाल में लगभग डेढ़ हजार नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों का गठन किया गया और इस अवधि में 500 से अधिक व्यवस्थापक सेवानिवृत्त हो गये। इस प्रकार, तीन हजार से अधिक समितियों में मुख्य कार्यकारी का पद रिक्त है, लेकिन साल 2023 से लेकर अब तक, भर्ती बोर्ड ने पैक्स, लैम्पस में व्यवस्थापकों की भर्ती के लिए एक बार भी प्रयास नहीं किया। सहकारी बैंकों और सोसाइटियों में भर्ती को नीयतन टाला गया या परिस्थितिवश, इसकी जांच के लिए भी शासन सचिव को एक कमेटी का गठन करना चाहिए।