रक्षक ही भक्षक ! राजस्थान के सबसे पुराने केंद्रीय सहकारी बैंक में ब्रांच मैनेजर ने किया करोड़ों का गबन
ग्राम सेवा सहकारी समितियों के सदस्यों के नाम डमी लोन जारी कर करोड़ों का गबन किया, शेयर बाजार में लगा दी सारी रकम
जयपुर, 17 फरवरी (मुखपत्र)। राजस्थान के सबसे पुराने केंद्रीय सहकारी बैंक – अजमेर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड (DCCB) की एक शाखा में करोड़ों रुपये का गबन हो गया है। इस गबन का मुख्य कारण, निवर्तमान बैंक प्रबंधन की घोर लापरवाही और रजिस्ट्रार, सहकारी समितियांं के निर्देशों को धत्ता बताते हुए, 65 साल के अधिक आयु के सेवानिवृत्त कार्मिकों को संविदा पर रखा जाना माना जा रहा है। अमजेर सीसीबी की किशनगढ़ ब्रांच में हुए इस घोटाले में 67 साल के संविदा कार्मिक तेजाराम की आईडी को शाखा प्रबंधक ऋषभ शर्मा द्वारा ही ऑपरेट किये जाने का मामला सामने आया है।
तेजाराम अजमेर सीसीबी में लोन सुपरवाइजर के पद से रिटायर्ड हुआ था और उसके बाद से प्रबंधन का कृपापात्र रहते हुए 65 साल की आयु पार करने के बाद भी संविदा पर बैंक में कार्यरत है। 67 साल का तेजाराम कई साल से किशनगढ़ ब्रांच में कैशियर के पद पर कार्यरत है। वह पहले इसी शाखा में ऋण पर्यवेक्षक था और सेवानिवृत्ति के बाद से इसी शाखा में कार्यरत है। ऐसी जानकारी है कि तेजाराम को कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं होने के कारण, तेजतर्रार और अति महत्वाकांक्षी शाखा प्रबंधक ऋषभ शर्मा ही कैशियर की आईडी ऑपरेट कर रहा था। किशनगढ़ प्रकरण, अजमेर सीसीबी के प्रशासन अनुभाग और ऑपरेशन अनुभाग की लापरवाही का जीवंत प्रमाण कहा जा सकता है। प्रशासन अनुभाग ने 67 साल के तकनीक से अनभिज्ञ संविदा कार्मिक को न केवल कैशियर के रूप में नियुक्त किया, बल्कि उसे आईडी भी जारी की और ऑपरेशन अनुभाग, पिछले कई महीने से नियमित रूप से, एक ही ब्रांच से, किसी अन्य बैंक में, एक व्यक्ति के नाम होने वाले आरटीजीएस पर नजर रखने में विफल रहा।
बैंक प्रबंधन ने गबन की पुष्टि करते हुए बताया कि इस मामले में किशनगढ़ शाखा प्रबंधक ऋषभ शर्मा को निलम्बित कर, निलम्बन काल में उसका मुख्यालय बैंक प्रधान कार्यालय रखा है। ऋषभ शर्मा मूलत: जयपुर का रहने वाला है, जो कि केंद्रीय सहकारी बैंकों की सीधी भर्ती के 2018 बैच में प्रबंधक वर्ग में चयनित होकर, 2020 अजमेर सीसीबी में नियुक्त हुआ था।
बैंक द्वारा करवायी गयी प्रारम्भिक जांच में लगभग 3 करोड़ 50 लाख रुपये के गबन की पुष्टि हो चुकी है। जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार, अजमेर रेणु अग्रवाल ने धारा 55 की जांच का आदेश जारी कर, जांच कमेटी का गठन कर दिया है।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि किशनगढ़ शाखा प्रबंधक ऋषभ शर्मा ने बैंक शाखा की विभिन्न सोसाइटियों के सदस्यों के नाम डमी लोन दिखाकर, करोड़ों रुपये का गबन किया और इस प्रकार धोखाधड़ी से अर्जित राशि को शेयर बाजार में लगाता रहा। ऋषभ, डमी लोन के बदले प्राप्त होने वाली राशि को एक निजी बैंक में अपने ही खाते में नियमित रूप से आरटीजीएस करता रहा। उस खाते से राशि शेयर बाजार में लगाया जा रही थी। यह प्रक्रिया कई महीनो से चल रही थी, लेकिन बैंक का ऑपरेशन सैल इसे पकडऩे में नाकाम रहा।
यह मामला फरवरी, 2025 के पहले सप्ताह में खुला। इसके बाद, बैंक प्रबंधन ने प्रारम्भिक जांच करवाई, जिसमें लगभग 3.50 करोड़ रुपये के गबन का खुलासा हुआ। हालांकि, यह प्रारंभिक सूचना है और बैंक प्रबंधन अपने स्तर पर चार सदस्यों की जांच कमेटी गठित कर, प्रकरण की विस्तृत जांच भी करवा रहा है। प्रबंधन द्वारा यह प्रकरण रजिस्ट्रार कार्यालय और अपेक्स बैंक के संज्ञान में लाया जा चुका है।
अपेक्स बैंक द्वारा मामले की जांच के लिए सहायक महाप्रबंधक मनीष राव को अजमेर भेजा जा रहा है। जोनल एडिशनल रजिस्ट्रार द्वारा प्रारंभिक जांच की अनुशंसा के आधार पर, राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 2001 की धारा 55 की जांच के लिए गठित जांच कमेटी में भी राव को सदस्य नामित किया गया है।
सूत्रों की मानें तो ऐसा ही एक प्रकरण, 2024 में भी अजमेर केंद्रीय सहकारी बैंक की किसी अन्य ब्रांच में हुआ था, लेकिन तत्कालिन बैंक प्रबंधन ने, गड़बड़ी करने वाले बैंकिंग सहायक से गबन की राशि मय ब्याज जमा करवाकर, मामले को दबा दिया था।
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