राज्यसहकारिता

पाण्डवों के अधूरे काम को बाड़मेर वालों ने पूरा किया, स्वर्ग तक बना दी सीढ़ी

बाड़मेर, 1 मार्च (मुखपत्र)। महाभारत काल में एक आख्यान आता है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने के वर्षों पश्चात पाण्डवों ने सशरीर स्वर्ग में जाने के लिए धरती से स्वर्ग तक सीढिय़ां बनायी थी। इसके लिए श्रीकृष्ण ने पाण्डवों को 6 मास के बराबर की एक रात्रि का समय दिया था, शर्त यह थी सूर्योदय से पूर्व सीढ़ी बनकर तैयार होनी चाहिए। पाण्डवों ने स्वर्ग तक सीढ़ी बनने का 99 प्रतिशत कार्य कर लिया था, तब 6 मास के बराबर वाली रात्रि समाप्त हो गयी और सूर्योदय होने से सीढिय़ां अधूरी रह गयी। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है, जिसका नाम बाथू की लड़ी मंदिर है। दावा किया जाता है कि यही वो मंदिर है, जहां पाण्डवों द्वारा स्वर्ग तक सीढिय़ों का निर्माण किया गया था। ये थी द्वापर युग की बात। अब बात कलयुग की।

आपको यह जानकार हैरानी होगी कि जो काम पाण्डव नहीं कर पाये, उसे बाड़मेर में कुछ लोगों ने सहकारी अफसरों और सरपंच, पटवारी व ग्राम विकास अधिकारी की मदद से कर दिया। इन सबने धरती से स्वर्ग तक सीढिय़ों का निर्माण पूरा कर लिया है, जिसके चलते उन्होंने स्वर्गवासी लोगों से हिस्सा पूंजी जुटाकर, उन्हें समिति का सदस्य बनाकर, एक नयी ग्राम सेवा सहकारी समिति का गठन कर लिया है।

नई सोसाइटी के गठन के लिए खूंटी पर टांगे नियम

यह मामला बाड़मेर जिले के बायतु क्षेत्र में नवगठित मातासर ग्राम सेवा सहकारी समिति का है, जिसका गठन भुरटिया ग्रामसेवा सहकारी समिति से अलग करके किया गया है। इस समिति के गठन के लिए मृत किसानों को हिस्सेदार और कई मृतक किसानों को सदस्य किसानों का नॉमिनी बनाया गया है। भूमिहीन, नाबालिगों को भी सोसाइटी का सदस्य बनाते हुए, शेयर कैपिटल व सदस्य संख्या की पूर्ति किये जाने का आरोप है। नवगठित सोसाइटी के संचालक मंडल के गठन में भी गड़बड़ी सामने आयी है। मातासर सोसाइटी के दो संचालक मंडल सदस्यों का कहना है कि उन्होंने नयी समिति की सदस्यता के लिए न तो हस्ताक्षर किये हैं, न ही अंगूठा लगाया। सब रेकार्ड फर्जी ढंग से तैयार किया गया ताकि 3 लाख रुपये शेयर कैपिटल और तीन सौ सदस्यों की न्यूनतम शर्त को पूर्ण कर, पृथक सोसाइटी का गठन किया जा सके।

दो कार्यकारिणी मेम्बर ने किया खंडन

सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार बाड़मेर द्वारा 19 जनवरी 2023 को कार्यकारिणी प्रमाणपत्र जारी किया गया, जिसमें 75 साल के जोराराम, 71 साल के खेताराम के अलावा बचनसिंह, लालाराम, चूनाराम, रीता, भल्लाराम, जेठाराम, सवाईराम, भगवानाराम, रूखमो और 27 साल के हरिओम शर्मा को कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया है। इसमें से खेताराम पुत्र तेजाराम और रूखमो पत्नी पेमाराम जाट ने नोटेरी से तस्दीकशुदा लिखित बयान दिया है कि हमारे द्वारा मातासर सोसाइटी की सदस्यता के लिए आवेदन ही नहीं किया गया। दोनों का कहना है कि खाद्य सुरक्षा में नाम जुड़वाने के लिए दस्तावेज लिये गये थे और जो ओटीपी लिया गया, वो भी इसी काम के लिए बताया गया था। कुछ लोगों ने गुमराह करके मातासर जीएसएस की सदस्यता सूची में नाम जोड़ दिया और प्रबंध कार्यकारिणी में शामिल कर लिया।

सदस्यता सूची में गड़बड़ी

मातासर ग्राम सेवा सहकारी समिति की सदस्यता सूची में भी बड़ी गड़बड़ी पकड़ में आयी है। इसमें सदस्यता क्रमांक 109 और 110 पर दो सगे भाइयों – देवाराम पुत्र मेहाराम और कंवराराम पुत्र मेहाराम का नाम अंकित है और दोनों भाइयों के जन्म में केवल 7 माह का अंतर बताया गया है। हालांकि, इसके बावजूद दोनों भाई नाबालिग हैं, लेकिन सदस्य संख्या पूरी करने के लिए इनके नाम सूची में जोड़े गये। विद्यालय रेकार्ड के अनुसार, देवाराम की जन्मतिथि 6/6/2005 तो कंवराराम की जन्मतिथि 20/02/2006 है। इसके अलावा सदस्यता सूची में क्रमांक 265 पर महेंद्र कुमार का नाम भी अंकित है, जिसकी मृत्यु मई 2021 में हो चुकी है।

बाहरी पंचायतों के किसानों को सदस्य बनाया

सदस्यता सूची तैयार करने में एक और फर्जीवाड़ा किया गया। सदस्यता क्रमांक 171 पर मेहराराम जाट और 249 पर गोपाराम जाट के नाम अंकित हैं, लेकिन राजस्व रिकार्ड के अनुसार, उपरोक्ता दोनों व्यक्ति मातासर ग्राम पंचायत क्षेत्र में निवास नहीं करते। स्वयं सरपंच पन्नाराम ने इस बात की लिखित मे तस्दीक भी की है।

पृथक सोसाइटी के गठन की सहमति भी नहीं ली गयी

भुरटिया ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक सुरेंद्र सिंह राजपूत ने बताया कि भुरटिया जीएसएस से, प्रस्तावित मातासर ग्राम सेवा सहकारी समिति के गठन की सहमति नहीं ली गयी। भुरटिया ग्राम सेवा सहकारी समिति के कार्यक्षेत्र में केवल दो ही पंचायतें – भुरटिया व मातासर आती हैं और इन दोनोंं पंचायतों के 1382 सदस्य हैं।

आबादी भूमि उपलब्ध नहीं, पट्टा कैसे मिलेगा

इस मामले को उठाने वाले भुरटिया ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड के अध्यक्ष रेखाराम चौधरी ने आरोप लगाया कि नवगठित मातासर ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष भल्लाराम, बाड़मेर सीसीबी के अधिकारियों और मातासर ग्राम पंचायत के सरपंच, पटवारी व ग्राम विकास अधिकारी ने मिलकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। मातासरस ग्राम पंचायत की ओर से अंडरटेंकिंग जारी की गयी है कि समिति को आबादी क्षेत्र में 1500 वर्गमीटर का पट्टा दे दिया जायेगा जबकि मातासर ग्राम पंचायत मुख्यावास पर आबादी भूमि उपलब्ध ही नहीं है।

दूसरी शाखा के लोन सुपरवाइजर ने बनायी तुलनात्मक रिपोर्ट

रेखाराम चौधरी यह भी आरोप लगाते हैं कि भुरटिया से अलग होकर बनी मातासर सोसाइटी बायुत शाखा क्षेत्र में आती है, जिसकी तुलनात्मक रिपोर्ट इसी शाखा के ऋण पर्यवेक्षक अथवा सहकारी कार्यकारी निरीक्षक द्वारा जारी की जानी थी, लेकिन मिलीभगत के चलते यह रिपोर्ट कृषि मंडी शाखा के ऋण पर्यवेक्षक बिशनाराम द्वारा तैयार की गयी, जबकि उसे इस प्रकार की रिपोर्ट तैयार करने का कोई आदेश नहीं दिया गया था। आरोप है कि ऋण पर्यवेक्षक ने अपनी पारिवारिक सदस्य को लाभान्वित करने के लिए इस कृत्य को अंजाम दिया।

मृतकों को बनाया नॉमिनी

रेखाराम चौधरी ने आरोप लगाया कि सदस्यता सूची में 40 ऐसे किसानों के नाम हैं, जिनका नॉमिनी मृत व्यक्तियों को बनाया गया है। आमतौर पर किसान द्वारा अपनी पत्नी या पुत्र/पुत्री को ही नॉमिनी बनाया जाता है। यह नियम भी स्पष्ट है कि किसी जीवित व्यक्ति को ही नॉमिनी बनाया जा सकता है। परन्तु मातासर जीएसएस की सदस्यता सूची में हुकमाराम मेघवाल, रणछोड़ाराम जाट, नेनाराम जाट, जेठाराम जाट, हीराराम जाट, आईदानराम जाट, गोकला जाट, बिसनाराम जाट, अणदाराम, किरताराम, रामू सहित 40 ऐसे नाम हैं, जिनमें सदस्य किसान के पिता को नॉमिनी बनाया गया है, इन सब नॉमिनी की मृत्यु हो चुकी है। केवल जमाबंदी के आधार पर फर्जी सदस्यता सूची बनायी गयी।

70 सदस्यों ने दिये शपथ पत्र

इस बारे में उच्चाधिकारियों को फर्जीवाड़े से अवगत कराते हुए जो दस्तावेज प्रस्तुत किये गये हैं, उनमें 70 सदस्यों की ओर से इस आशय का शपथ पत्र दिया गया है कि उनके द्वारा न तो मातासर ग्राम सेवा सहकारी समिति की सदस्यता के लिए आवेदन किया गया है, न हिस्सा राशि जमा करवायी गयी है। सोसाइटी की ओर से तीन लाख रुपये हिस्सा राशि पेटे और एक लाख रुपये अमानत राशि पेटे बैंक में जमा करवाया गया है, लेकिन यह राशि समिति में किन सदस्यों की ओर से जमा करवायी गयी, उसका रिकार्ड में अंकन नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्वार्थपूर्ति के लिए नियमों को ताक में रखकर अमानत राशि जमा करायी गयी है।

error: Content is protected !!