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भर्ती की फाइल को घुमाने के नाम पर ही 27 लाख रुपये गटक गये सहकारी भर्ती बोर्ड के कर्ताधर्ता

काम नहीं तो वेतन क्यों? क्या जिम्मेदारों से राशि की वसूली नहीं होनी चाहिये?

जयपुर, 31 मई (मुखपत्र) । सहकारिता आंदोलन की विकेंद्रीयकरण की भावना के ठीक विपरीत, सात साल पहले, राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड का गठन किया गया था, जो हाल के महीनों में अपनी निष्क्रियता के कारण अप्रासांगिक प्रतीत होने लगा है। भर्ती बोर्ड के कर्णधार ही इसके लिए सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। पिछले सवा दो साल से यानी 27 महीनों से अलग-अलग कारण से सहकारी संस्थाओं में भर्ती की मांग को लम्बित रखने के नाम पर ही, लभगभ एक लाख रुपये महीने की औसत से 27 लाख रुपये का भारी-भरकम बजट डकार लिया गया और पैक्स से लेकर अपेक्स बैंक तक, किसी भी संस्था में, कोई भर्ती नहीं की गयी।

स्थायी कार्यालयविहीन और स्थायी अध्यक्ष/सदस्य/कार्मिक विहीन सहकारी भर्ती बोर्ड रूपी ठेले को ठेलने के लिए अध्यक्ष, सचिव और रजिस्ट्रार के प्रतिनिधि सदस्य को, हर माह उनके मूल वेतन के 10 प्रतिशत के बराबर की खर्ची मिलती है, जिसे भर्ती बोर्ड वहन करता है। इनके अलावा, 6 और कार्मिक भर्ती बोर्ड का काम देखते हैं, उन्हें भी मूल वेतन के 10 प्रतिशत के बराबर मेहनताना मिलता है। इनका सबको मूल वेतन के 10 प्रतिशत के बराबर, औसतन लगभग एक लाख रुपये रुपये हर माह मिलते हैं। पिछले 27 माह से, बिना कोई भर्ती किये, भर्ती बोर्ड के सदस्य और इससे जुड़े कार्मिक, प्रतिमाह एक लाख रुपये अपनी जेब में भर रहे हैं।

पैक्स में 7 साल से, सहकारी बैंकों में 27 माह से भर्ती का इंतजार

पिछले 7 साल से ग्राम सेवा सहकारी समितियां और पिछले सवा दो साल से अपेक्स बैंक और 29 केंद्रीय सहकारी बैंक, रिक्त पदों पर भर्ती के लिए सहकारी भर्ती बोर्ड की ओर बड़ी ही कातर दृष्टि से देख रहे हैं, लेकिन बोर्ड के मुख्य कर्ताधर्ता को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा। उन्हें भर्ती की फाइल को बार-बार सरकार के पास भेजकर मार्गदर्शन मांगने में असीम आनंद की प्राप्ति हो रही है। दूसरी ओर, केंद्रीय सहकारी बैंकों का कामकाज और कार्मिकों की कार्यक्षमता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। कुछ बैंकों में कार्मिकों का जबरदस्त अभाव है। मात्र दो से तीन कार्मिक की बैंक शाखाओं का संचालन कर रहे हैं। कार्मिक जरूरत पर अवकाश का उपभोग नहीं कर पा रहे। क्योंकि बैंक के पास उनके लिए रिलीवर ही नहीं है।

राजफैड में भर्ती लम्बित

रजिस्ट्रार कार्यालय के बगल में ही राजफैड का प्रधान कार्यालय है। राजफैड में 52 रिक्त पदों पर भर्ती की फाइल – राइसेम, अतिरिक्त रजिस्ट्रार-प्रथम और शासन सचिवालय – के बीच झूल रही है। बोर्ड ने सहकारी बैंकों की भांति, राजफैड में भर्ती की फाइल को भी फुटबाल बना रखा है।

पैक्स में तीन हजार पद रिक्त

सहकारी आंदोलन की सबसे छोटी लेकिन महत्वपूर्ण इकाई प्राथमिक कृषि ऋणदात्री सोसाइटी (PACS) में मुख्य कार्यकारी के तीन हजार से अधिक पद रिक्त हैं। साल 2017 में सहकारी भर्ती बोर्ड के गठन के समय ही, तत्कालिन सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने, पैक्स में प्रबंध कमेटी द्वारा अपने स्तर पर कर्मचारियों को भर्ती करने पर रोक लगा दी थी। तब यह कहा गया था कि पैक्स में कर्मचारियों की भर्ती, सहकारी भर्ती बोर्ड करेगा। भर्ती बोर्ड के गठन के बाद से अब तक पैक्स में कार्मिकों की भर्ती नहीं हुई है।

भर्ती बोर्ड के अस्तित्व में आने के समय भी पैक्स, लैम्प्स में एक हजार से अधिक पद रिक्त थे। पिछले पांच साल में सहकारिता विभाग 1200 से अधिक नयी पैक्स का गठन कर चुका है। इस अवधि में सात-आठ सौ से अधिक मुख्य कार्यकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस प्रकार, आज की स्थिति में पैक्स में मुख्य कार्यकारी के तीन हजार से अधिक रिक्त पद हैं। कुछ जिलों में एक-एक व्यवस्थापक के पास 4 से 5 पैक्स का अतिरिक्त चार्ज है, लेकिन मानव संसाधन के अभाव में, दम तोड़ती सहकारी साख सरंचना की इस सबसे महत्वपूर्ण इकाई के भविष्य और इनसे जुड़े लाखों किसानों की अल्पकालीन कृषि जरूरतों के प्रति भर्ती बोर्ड को कोई चिंता नहीं है। पिछले 7 साल में एक भी पैक्स कार्मिक भर्ती नहीं किया और न ही सोसाइटियों को अपने स्तर पर कार्मिक भर्ती करने की छूट दी गयी।

भर्ती बोर्ड की वैधानिक स्थिति

राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड, जयपुर राज्य की सहकारी समितियों के कर्मचारियों की भर्ती हेतु चयन एवं अनुशंसा हेतु राजस्थान सहकारी समिति अधिनियम, 2001 की धारा 29-बी, सपठित 2003 का सनियम 39-ए, के तहत बनाया एक वैधानिक निकाय है। सहकारी भर्ती बोर्ड में राजस्थान सहकारी समिति नियम, 2003 के नियम 39-ए में निर्धारित एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य हैं, जिनमें अतिरिक्त रजिस्ट्रार-प्रथम पदेन अध्यक्ष, रजिस्ट्रार सदस्य सहकारी समिति राजस्थान का एक नामिती अधिकारी सदस्य और निदेशक, राइसेम सदस्य सचिव हैं।

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