फिर बोतल से बाहर आया पैक्स मैनेजरों की स्क्रीनिंग का जिन्न, एसीबी ने सीसीबी से स्क्रीनिंग का रिकार्ड कब्जे में लिया
जयपुर, 6 फरवरी (मुखपत्र)। ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स/लैम्पस) में मुख्य कार्यकारी (व्यवस्थापक/सहायक व्यवस्थापक) के पद पर नियमितिकरण के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया सम्पन्न कराने वाली जिला स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की राडार पर गयी है। इस बार, जोधपुर सम्भाग के जालौर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड में सवा दो साल पहले हुई स्क्रीनिंग का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। एसीबी ने वर्ष 2022 में तत्कालिन प्रबंध निदेशक के.के. मीणा के कार्यकाल में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक की कार्यवाही का विस्तृत ब्यौरा प्राप्त करना आरम्भ कर दिया है। एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मांगीलाल राठौड़ की ओर से तलख पत्र लिखे जाने के बाद, जालौर सीसीबी प्रबंध ने एसीबी को स्क्रीनिंग सम्बंधी पत्रावली उपलब्ध करानी आरम्भ कर दी है। सीसीबी द्वारा प्रधान कार्यालय में उपलब्ध रिकार्ड एसीबी को सौंप दिया गया है जबकि व्यवस्थापक से सम्बंधित रिकार्ड उपलब्ध कराने के लिए सोसाइटी अध्यक्षों को लिखा गया है।
रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां राजस्थान के दिनांक 28.07.2022 की पालना में जालौर में साल 2022 में हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के उपरांत, जालौर सीसीसी से सम्बंधित लगभग एक सौ ग्राम सेवा सहकारी समितियों में मुख्य कार्यकारी पद के लिए नियमितिकरण की अनुशंसा की गयी थी। जालौर में कुल 200 पैक्स हैं।
इस मामले में, मुखपत्र द्वारा एसीबी के एडिशनल एसपी राठौड़ से दूरभाष से सम्पर्क किया गया, लेकिन उन्होंने अदालत में गवाही में व्यस्त होने के कारण, बाद में सम्पर्क करने के लिए कहा। बाद में उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।
22 अप्रेल, 2024 को तत्कालिन सहकारिता रजिस्ट्रार द्वारा स्क्रीनिंग मामले में विभागीय जांच का निर्णय लिया गया और एक आदेश जारी कर, तत्कालिन अतिरिक्त रजिस्ट्रार-वन राजीव लोचन शर्मा की अध्यक्षता में जांच दल का गठन किया था। जांच दल के मुखिया के रूप में राजीव लोचन द्वारा 9 मई 2024 को 26 बिन्दुओं का एक प्रपत्र जारी कर, समस्त केंद्रीय सहकारी बैंकों से स्क्रीनिंग की प्रक्रिया से सम्बंधित सूचनाएं मांगी गयी थी। राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ के तत्कालिन प्रदेश प्रवक्ता हनुमान सिंह राजावत (वर्तमान में राजस्थान बहुउद्देश्यीय सहकारी कर्मचारी यूनियन, जयपुर के प्रांतीय अध्यक्ष) ने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय से स्थगनादेश प्राप्त कर लिया, जिसके बाद से विभागीय जांच आगे नहीं बढ़ पायी।
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