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स्क्रीनिंग प्रक्रिया की जांच पर हाईकोर्ट ने रोक लगायी

कलयुग के हनुमान अपने साथियों के लिए जोधपुर से लाये संजीवनी बूटी

जोधपुर, 30 मई (मुखपत्र)। कलयुग के हनुमान इस बार जोधपुर से अपने साथियों के लिए संजीवनी बूटी लेकर आएं हैं, जिससे महीनों से वेतन के अभाव में एवं स्क्रीनिंग प्रक्रिया की जांच से मूर्छित होने की कगार पर पहुंच चुके ग्राम सेवा सहकारी समितियों के सैकड़ों कार्मिकों को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स) में मुख्य कार्यकारी (व्यवस्थापक/सहायक व्यवस्थापक) के पद पर साल 2022 में आयोजित स्क्रीनिंग प्रक्रिया की जांच पर गुुरुवार को स्थगनादेश पारित कर, आगामी आदेश तक स्क्रीनिंग की जांच पर रोक लगा दी है। राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश प्रवक्ता हनुमान सिंह राजावत की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, जोधपुर उच्च न्यायालय की न्यायाधीश रेखा बोराणा की एकल पीठ ने आज गुरुवार को यह अंतरिम आदेश पारित किया।

राजावत द्वारा स्क्रीनिंग की जांच के लिए राज्य स्तरीय जांच कमेटी के गठन और कमेटी द्वारा केंद्रीय सहकारी बैंकों से सूचना एकत्र करने को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया था कि पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा केवल दो जिलों – बूंदी व अजमेर में स्क्रीनिंग प्रक्रिया पर रोक लगायी गयी थी, जिसे पूरे राजस्थान के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिये। याचिका में प्रमुख शासन सचिव सहकारिता, रजिस्ट्रार सहकारी समितियां राजस्थान, एडिशनल रजिस्ट्रार-प्रथम एवं अध्यक्ष राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग जांच कमेटी जयपुर, राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड और उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, जोधपुर को प्रतिवादी बनाया गया है। अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में, स्क्रीनिंग प्रक्रिया की जांच के लिए 22 अप्रेल 2024 को गठित कमेटी द्वारा जांच करने और 9 मई 2024 को प्रपत्र द्वारा सूचनाएं एकत्र करने पर आगामी आदेश तक रोक लगाते हुये, पांचों प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।

राजावत की ओर से पैरवी करते हुए वकील ने कहा कि जांच कमेटी का गठन और स्क्रीनिंग के सम्बंध में सूचनाएं मांगा जाना, प्राथमिक कृषि सहकारी सोसाइटी चयन प्रक्रिया और व्यवस्थापकीय सेवा नियम 2022 के नियम 26.6.2 का स्पष्ट उल्लंघन है। वकील ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में दिनांक 30.09.2022 को रिट संख्या 12717/2022 एवं 14257/2022 को लेकर जो आदेश पारित किया है, वह केवल बूंदी और अजमेर जिले की ग्राम सेवा सहकारी समितियों के संदर्भ में था, इसे पूरे राज्य में समान रूप से लागू नहीं किया जा सकता।

राजावत ने बताया कि, यह याचिका राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ की ओर से महामंत्री नंदाराम चौधरी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महादेव सिंह ऐचरा और कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष व जालोर जिलाध्यक्ष हनुमान सिंह राजावत की ओर से दायर की गयी थी, लेकिन संघ की ओर से उन्हें अधिकृत किये जाने के कारण, इसे हनुमान सिंह राजावत की ओर से लिस्ट किया गया। उन्होंने कहा कि पिछले कई महीनोंं से वेतन से जूझ रहे व्यवस्थापकों के लिए स्क्रीनिंग की जांच एक अनावश्यक और मानसिक रूप से प्रताडि़त करने वाला निर्णय है। क्योंकि, साल 2022 में रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुरूप ही स्क्रीनिंग प्रक्रिया सम्पन्न की गयी थी।

जांच कमेटी ने अत्यंत विस्तृत सूचनाएं मांगी

उल्लेखनीय है कि एक समाचार विशेष में प्रकाशित समाचार को लेकर शासन सचिव, सहकारिता द्वारा 2022 में प्रदेशभर में सम्पन्न स्क्रीनिंग प्रक्रिया की जांच के लिए 22 अप्रेल 2024 को राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया गया, जिसका अध्यक्ष, सहकारिता विभाग के अतिरिक्त रजिस्ट्रार-प्रथम राजीव लोचन शर्मा को बनाया गया है। शर्मा द्वारा 9 मई 2024 को केंद्रीय सहकारी बैंकों से स्क्रीनिंग के सम्बंध में सूचनाएं एकत्र करने के लिए 26 बिन्दुओं का एक अन्यंत कलिष्ठ प्रपत्र तैयार किया गया है, जिसने केंद्रीय सहकारी बैंकों को मुनीम के रूप में ग्राम सेवा सहकारी समितियों से सूचनाएं एकत्र करने के लिए बाध्य कर दिया है। 2022 में स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूर्ण होने के उपरांत, सहकारिता विभाग द्वारा 26 बिन्दुओं के एक प्रपत्र में पहले से ही बैंकों से सूचनाएं एकत्र कर ली गयी थी, लेकिन अब जांच के नाम पर कमेटी के अध्यक्ष द्वारा शासन सचिव और रजिस्ट्रार को अंधेरे में रखकर एवं उसी प्रपत्र में अनावश्यक रूप से सात बिन्दुओं को संशोधित कर, अत्यंत विस्तृत सूचनाएं मांग ली गयी, जिसमें व्यवस्थापकों की उपस्थिति पंजिका और सोसाइटी की रोकड़ का मिलान तक शामिल है। सूचनाएं अत्यधित विस्तृत और कठिन होने के कारण फिलहाल किसी बैंक द्वारा विभाग को सूचनाएं नहीं भेजी गयी हैं।

 

 

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