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फ्रॉड की देरी से जानकारी देने पर आरबीआई ने राजस्थान के इस सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक पर दो लाख रुपये जुर्माना लगाया

नई दिल्ली, 29 अप्रेल। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने राजस्थान के एक केंद्रीय सहकारी बैंक पर 2 लाख रुपये का मौद्रिक दंड लगाया है। सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में हुए फ्रॉड की जानकारी समय पर नाबार्ड को नहीं दिये जाने पर यह अर्थदंड लगाया गया है। यह आदेश 29 अप्रेल 2024 को जारी किया गया।

जानकारी के अनुसार, केंद्रीय सहकारी बैंक में हुए फ्रॉड की देरी से नाबार्ड को जानकारी देने पर, आरबीआई द्वारा दि सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीकानेर पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

बीकानेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की एक शाखा में वर्षों से बड़े आर्थिक घोटाले की फाइल बैंक प्रशासन ने दबा रखी है। बैंक में पिछले एक दशक से (केवल पांच माह का समय छोडक़र) सहकारिता सेवा के अधिकारी रणवीर सिंह प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। इस ब्रांच में रणवीर सिंह के कार्यकाल में ही घोटाला हुआ और इसकी जांच भी करवायी गयी, लेकिन दोषी कर्मचारी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिस बैंक प्रबंधक को मुख्य तौर पर जिम्मेदार माना गया, वह सेवानिवृत्त भी हो चुका। यह राशि क्रय विक्रय सहकारी समिति की बतायी जा रही है।

जानकारी मिली है कि बैंक की अन्य शाखा में भी ऋण वितरण में बड़ी रकम फंस चुकी है, लेकिन इसकी प्राथमिक जांच के बाद फाइल बंद कर दी गयी। साल 2022 में हुई प्राथमिक जांच की रिपोर्ट में बड़े आर्थिक घोटाले की आशंका व्यक्त करते हुए, अधिनियम अंतर्गत जांच की अनुशंसा की गयी थी, लेकिन विभागीय अधिकारियों या बैंक प्रबंधन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। इस ब्रांच में एक ही मद में कई लोगों को बड़ी रकम का लोन दिया गया, जो न केवल ब्रांच क्षेत्र से बाहर के लोग थे, बल्कि एक ही परिवार में एक साथ कई लोगों में लोन की बंदरबांट हुई, लेकिन लोन की रिकवरी शून्य रही। पूरा लोन ही एनपीए हो गया। इस मामले में भी बैंक प्रबंधन द्वारा आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अभी तक इस घोटाले की भी नाबार्ड या आरबीआई को कोई सूचना नहीं दी गयी।

यह है मामला

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 16 अप्रैल 2024 के आदेश द्वारा दि सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बीकानेर, राजस्थान पर राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा जारी ‘धोखाधड़ी – वर्गीकरण, रिपोर्टिंग और निगरानी के लिए दिशानिर्देश’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए 2 लाख रुपये का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46(4)(1) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया।

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में नाबार्ड द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। नाबार्ड के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने में देरी का आरोप सिद्ध हुआ है, जिसके लिए मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

 

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