क्रय विक्रय सहकारी समिति के चुनाव को लेकर दायर याचिका और स्टे ऑर्डर खारिज
जोधपुर, 10 अक्टूबर (मुखपत्र)। राजस्थान उच्च न्यायालय ने क्रय विक्रय सहकारी समिति की अंतिम मतदाता सूची को चुनौती देने वाली याचिका और चुनाव को लेकर अंतरिम आदेश के रूप में मतगणना पर जारी स्थगन आदेश को रद्द कर दिया है। इसी के साथ ही क्रय विक्रय सहकारी समिति में मतगणना और इसके उपरांत नये संचालक मंडल के गठन का रास्ता साफ हो गया है। यह मामला श्रीगंगानगर की गंगानगर किसान क्रय विक्रय सहकारी समिति लिमिटेड से सम्बद्ध है।
गंगानगर किसान क्रय विक्रय सहकारी समिति में चुनाव प्रक्रिया मार्च 2023 में आरम्भ हुई थी, जिसके लिए 10 अप्रेल को मतदान हुआ था। मतदान से पूर्व ही, सोसाइटी क्षेत्र के चार व्यक्तिगत किसान सदस्यों- बलजीत सिंह पुत्र गुरमेल सिंह (चक अबोरिया), जगदेव सिंह पुत्र हाकम सिंह (चक महाराज का), सुखमीत सिंह पुत्र गुरदीप सिंह (24 एसटीजी) और सोहनलाल पुत्र करतारचंद (जमीयत सिंह वाला) ने उच्च न्यायालय की जोधपुर खंडपीठ के समक्ष अलग-अलग याचिका दायर कर, 2 अप्रेल 2023 को जारी अंतिम मतदाता सूची को चुनौती दी थी, जिसमें उनका नाम नहीं था। इन्होंने अपनी याचिका के माध्यम से अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करने और मतदान का अधिकार देने का आग्रह कोर्ट से किया था।
10 अप्रेल को हुआ था मतदान
उनका कहना था कि, मतदान 10 अप्रेल 2023 को होने वाला है और उनके द्वारा गत वित्तीय वर्ष में खरीद की शर्त को पूरा करते हुए वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान नियमानुसार न्यूनतम पांच हजार रुपये के सामान की खरीद केवीएसएस से की गयी है, लेकिन इलेक्शन ऑफिसर ने उनका नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया। इसलिए उन्हें मतदान का अधिकार दिया जाये।
चूंकि, उस समय चुनाव प्रक्रिया जारी थी, ऐसे में इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने फौरी तौर चारों को वोट देने का अधिकार प्रदान करते हुए, इनके द्वारा डाले गये वोट पृथक रखने और याचिका के निपटारा होने तक मतगणना पर रोक लगा दी थी। इस कारण से 10 अप्रेल 2023 को वोटिंग के बाद से अंतिम मतदाता सूची वाले मतदाताओं और इन चारों द्वारा किये गये मतदान की अलग-अलग मतपेटियों को सीलबंद कर सुरक्षित रखा हुआ है।
गुप्ता बने एप्लीकेंट
यह मामला छह माह से अदालत में विचाराधीन था। इस बीच, गंगानगर किसान क्रय विक्रय सहकारी समिति के निर्विरोध निर्वाचित संचालक शिवदयाल गुप्ता की ओर से एडवाकेट आर.एस. चौधीर के माध्यम से मामले की शीघ्र सुनवाई के लिए अर्जी दाखिल की गयी। इसके पश्चात, मतदान के अधिकार पर राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम व संस्था के उपनियम में चुनावों एवं मतदाताओं के बारे में वर्णित प्रावधानों पर दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के पश्चात न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की अदालत ने 7 अक्टूबर 2023 को चारों की रिट पटीशन और इस पर पूर्व में जारी स्थगनादेश को खारिज कर दिया।
अदालत ने माना की उपरोक्त चारों द्वारा, निर्धारित समय में पांच हजार रुपये के सामान की खरीद नहीं की गयी, लिहाजा ये मतदान करने के अधिकारी नहीं हैं। अदालत ने निर्देश दिया कि मतगणना के दौरान, उपरोक्त चारों के वोट को गिनती में शामिल नहीं किया जाकर, सीलबंद ही रखा जाये। पटीशनर्स की ओर से एडवोकेट बी.एस. सिद्धू और एस.एस. श्रीमाली ने पैरवी की।