पैक्स के माध्यम से जल्द शुरू होगा लॉन्गटर्म एग्रीकल्चर फाइनेंस – अमित शाह
नई दिल्ली, 26 नवम्बर। भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स, लैम्पस) को मजबूती प्रदान करने के लिए अल्पकालीन फसली ऋण (एसटी लोन) के साथ-साथ अब प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के माध्यम से लॉन्ग टर्म एग्रीकल्चर फायनेंस की संभावना पर काम करना शुरू कर दिया है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड (NAFSCOB) के हीरक जयंती समारोह को सम्बोधित करते हुए यह बात कही। नई दिल्ली के भारत मण्डपम में आयोजित कार्यक्रम में देश भर के राज्य सहकारी बैंक (StCB), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB) के प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यक्रम में केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल और मुरलीधर मोहोल, और सहकारिता मंत्रालय के सचिव आशीष कुमार भूटानी भी उपस्थित थे।
अपने सम्बोधन में अमित शाह ने कहा कि जब तक हम पैक्स को मजबूत नहीं करते, तब तक जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के कोई मायने ही नहीं है और पैक्स को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार ने कई शुरुआत की हैं। उन्होंने कहा कि पैक्स के पुराने बायलॉज अप्रासंगिक हो गए थे। हमने इनमें बहुत सारे परिवर्तन किए हैं और मॉडल बायलॉज बनाकर राज्यों को भेजे और सभी राज्यों ने इन्हें स्वीकार कर लिया है। मॉडल बायलॉज में हमने कई नई गतिविधियों को जोड़ा है। अब पैक्स प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र भी चला सकते हैं, डेयरी भी चला सकते हैं, मछुआरा समिति भी चला सकते हैं और लगभग 744 पैक्स को ड्रग लाइसेंस भी मिल गए हैं। पैक्स को फर्टिलाइजर का लाइसेंस भी मिला है और लगभग 39 हजार पैक्स आज कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) बन चुके हैं और गांवों में 300 से अधिक सेवाएं देने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी 20 से अधिक गतिविधियों से पैक्स बायबल होंगे, जिससे जिला सहकारी बैंक और राज्य सहकारी बैंकों की संख्या बढ़ेगी।
अमित शाह ने कहा कि नेफ्सकॉब की भूमिका पैक्स को वायबल करना, पारदर्शी और आधुनिक बनाना और इनके कंप्यूटराइजेशन को पूर्ण रूप से हासिल करने की होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार, पैक्स के माध्यम से लॉन्ग टर्म फाइनेंस की संभावना भी खोज रही है, जिससे पैक्स के बिजनेस में भी बढ़ोतरी होगी और किसान अधिक सशक्त होंगे।