रिद्धि सिद्धि होम डवल्पर्स के नाम जमीन की रजिस्ट्री शून्य घोषित करने के मामले में गुुरुवार को होगी सुनवाई
श्रीगंगानगर, 11 सितम्बर (मुखपत्र)। सहकारी बैंक में गिरवी रखी हुई जमीन को रिद्धि सिद्धि होम डवल्पर्स प्राइवेट लिमिटेड (जरिये डायरेक्टर मुकेश शाह) द्वारा खरीदी गयी कृषि भूमि की रजिस्ट्री शून्य घोषित करने के मामले में गुरुवार को सुनवाई होगी। सहकारिता विभाग के खंडीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार, बीकानेर के कार्यालय में 12 सितम्बर को प्रात: 11 बजे सुनवाई होनी है। रिद्धि सिद्धि होम डवल्पर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा यह जमीन गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की सुखाडिय़ा सर्किल ब्रांच के डिफाल्टर ऋणी जगमन सिंह और सह-ऋणी उसकी माता, सर्वजीत कौर पत्नी सतनाम सिंह निवासी चक 6 जैड से खरीदी गयी है, जिस पर बैंक अपना दावा कर रहा है। बैंक के दावे में कहा गया है कि जगमन सिंह और सर्वजीत कौर द्वारा साल 2017 में यह जमीन बैंक के नाम रहन दर्ज करवायी गयी थी, जिसके आधार पर दोनों को किसान सहकार कल्याण योजना के तहत 20 लाख रुपये की लिमिट (लोन) स्वीकृत की गयी थी। इसमें एक साल की अवधि में पूरी रकम चुकाकर खाता शून्य करना होता है, फिर उसी दिन ऋण की पूरी रकम पुन: जारी कर दी जाती है।
गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक द्वारा प्रकरण प्रस्तुत करने पर, सहकारिता विभाग की ओर से रिद्धि-सिद्धि होम डवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड (डायरेक्ट मुकेश शाह) द्वारा गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक के डिफाल्टर ऋणी से खरीदी गयी कृषि भूमि को पुन: बैंक के नाम रहन दर्ज कराने की कार्यवाही आरम्भ की गयी। हालांकि, इस भूमि का इंतकाल रिद्धि-सिद्धि होम डवलपर्स प्रा. लि. के नाम दर्ज हो चुका है, तथापि, राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम के प्रावधान के अनुसार, डिफाल्टर ऋणी से कर्ज की वसूली के लिए रजिस्ट्री को निरस्त करवाकर, शून्य घोषित कराने एवं पुन: बैंक के नाम रहन दर्ज करवाने के लिए मुकेश शाह और जमीन बेचने वाले मां-पुत्र को नोटिस जारी कर, अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2001 की धारा 39(ग) के तहत जारी नोटिस के अनुसार, यह नहरी कृषि भूमि चक 6 जैड, पटवार हल्का रामनगर, भू.अभि. नि. क्षेत्र रामनगर, तहसील श्रीगंगानगर में खाता संख्या 71/9 के मुरबा नम्बर 81 किला नम्बर 01, 02, 09, 10, 11, 12, 19, 20, 21, 22 में कुल रकबा 2.579 है। इसमें से 2.007 रकबा का बेचान रिद्धि सिद्धि होम डवल्पर्स प्रा.लि. को किया गया है। यह बेशकीमती कृषि भूमि चक 6 जैड में स्थित है, जिस पर मुकेश शाह अपनी नई आवासीय कालोनी विकसित कर रहे हैं। यह जमीन, पुरानी आबादी में निवर्तमान पार्षद एडवोकेट संजय धारीवाल के घर के पास स्थित, राजकीय डिस्पेंसरी के ठीक सामने है, जो दो मुख्य सडक़ों के बीच आती है।
2017 में बैंक के नाम रहन दर्ज
नोटिस के अनुसार, उक्त भूमि बैंक को पक्ष में प्रत्याभूति निष्पादन करते हुए सहकार किसान कल्याण योजनान्तर्गत ऋण (लिमिट) उपलब्ध करवाया गया था। बैंक द्वारा सर्वजीत कौर और जगमन सिंह द्वारा 20 लाख रुपये का ऋण 12 जुलाई 2017 को स्वीकृत किया गया। इस भूमि को बैंक द्वारा 10 जुलाई 2017 को उप पंजीयक, श्रीगंगानगर की पुस्तक संख्या 1 जिल्द संख्या 1349 में पृष्ठ संख्या 113, क्रम संख्या 201703103103195 पर पंजीबद्ध किया गया तथा अतिरिक्त पुस्तक सख्या 1 जिल्द संख्या 8886 के पृष्ठ संख्या 89 से 92 पर चस्पा किया गया, के अनुसार बतौर रहन दर्ज किया गया। समय पर लोन की किश्त का चुकारा नहीं करने के कारण, कर्ज की रकम बढक़र 35 लाख 61 हजार 446 रुपये (ब्याज एवं अन्य खर्च अतिरिक्त) बकाया चल रही हैं।
बैंक का कर्ज चुकाये बिना 2020 में शाह को बेच दी जमीन
बैंक का दावा है कि जगमन सिंह द्वारा बैंक का कर्ज चुकाये बिना ही, अगस्त 2020 में रकबा 2.007 हैक्टेयर रकबा नहरी का बेचान रिद्धि सिद्धि होम डवलपर्स प्रा.लि. जरिए डायरेक्टर मुकेश शाह को कर दिया गया, जो कि उप पंजीयक श्रीगंगानगर के पंजीयन रजिस्टर में 11 अगस्त 2020 को पुस्तक संख्या 1 जिल्द संख्या 1476 में पृष्ठ संख्या 192 क्रम संख्या 202003103103477 पर पंजीबद्ध किया गया तथा अतिरिक्त पुस्तक संख्या जिल्द संख्या 3395 के पृष्ठ संख्या 440 से 450 पर चस्पा किया गया है।
सहकारी अधिनियम में रजिस्ट्री शून्य घोषित करने का प्रावधान
राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2001 की धारा 39(ग) के प्रावधानों के अनुसार – “कोई भी सदस्य खण्ड (क) के अधीन की गई घोषणा में विनिदिष्ट स्थावर सम्पत्ति को पूर्णत: या उसके किसी भाग को तब तक अन्य संक्रांत नहीं करेगा, जब तक सदस्य द्वारा उधार ली गयी सम्पूर्ण रकम का, उस पर के ब्याज सहित संदाय पूर्ण रूप से न कर दिया जाये और इस खण्ड के उल्लंघन में किया गया सम्पत्ति का कोई भी अन्य संक्रामण शून्य होगा।”
राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2001 की धारा 38 और 39 में, सहकारिता विभाग के पास यह पावर है कि वो कर्जदार द्वारा सहकारी बैंक के पक्ष में रहन दर्ज करायी गयी भूमि को, कर्ज चुकता होने तक, किसी भी समय पुन: बैंक के नाम रहन दर्ज करवा सकता है, भले ही वह जमीन किसी को भी या कितनों को भी और कितनी भी रकम में क्यों नहीं बेची गयी हो। धारा 38 में यह प्रावधान है कि यदि बैंक ने रहन दर्ज नहीं करवाया है और कर्जदार ने बैंक का कर्ज चुकाये बिना ही, वह जमीन किसी और को बेच दी, तब भी बैंक, ऐसी बेची गयी जमीन की रजिस्ट्री को शून्य घोषित करवाकर, पुन: बैंक के नाम दर्ज करवाया जा सकता है।