सहकारी सोसाइटी में 89 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि, धारा 55 की जांच का आदेश
श्रीगंगानगर, 1 मई (मुखपत्र)। गंगानगर जिले की बड़ी और प्रतिष्ठित सहकारी संस्थाओं में गिनी जाने वाली किसान बहुउदेश्यीय ग्राम सेवा सहकारी समिति, लालगढ़ जाटान में लाखों रुपये की वित्तीय अनियमितता पायी गयी हैं। अब इन वित्तीय अनियमितताओं के लिए जवाबदेही तय करने के लिए सहकारी अधिनियम के तहत जांच का आदेश दिया गया है। प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट में सोसाइटी में 89 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितताओं पाये जाने के बाद, उप-रजिस्ट्रार दीपक कुक्कड़ ने जम्मेदारी तय करने के लिए राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 55 के तहत जांच का आदेश दिया है। निरीक्षक कार्यकारी मुकेश मीणा को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। मीणा को 6 बिन्दुओं पर अपनी जांच करके जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।
उल्लेखनीय है कि किसान ग्राम सेवा सहकारी समिति में वित्तीय अनियमितताओं की आशंका जताते हुए सहकारिता मंत्री गौतम कुमार दक को शिकायत हुई थी। मंत्री के निर्देश पर हुई प्रारम्भिक जांच में गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक की लालगढ़ जाटान शाखा के अंतर्गत किसान बहुउद्देश्यीय ग्राम सेवा सहकारी समिति, लालगढ़ जाटान में 89 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई।
गबन का एक बिन्दू अछूता
कार्यकारी निरीक्षक योगेश अग्रवाल की रिपोर्ट में 89 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख है, लेकिन समिति की बैलेंस शीट में 25 लाख रुपये की फर्जी एंट्री का जिक्र गबन के रूप में नहीं किया गया। लाभ-हानि खाते के मिलान के लिए व्यवस्थापक महेंद्र कुमार ने 25 लाख रुपये की फर्जी एंट्री डाल रखी है, जिसके बारे में व्यवस्थापक को राहत देते हुए बैंक से मिलान करने की अनुशंसा की गयी है। हालांकि, जानकारी मिली है कि अभी तक इस 25 लाख रुपये की एंट्री का मिलान नहीं हुआ है।
ये आरोप अब तक साबित हुए
जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में महेंद्र कुमार को मिनी बैंक की मियादी जमाओं मे 50 लाख 34 हजार रुपये तथा भवन निर्माण में 38 लाख 57 हजार रुपये की वित्तीय अनियमितताओं का दोषी माना है। इसके अलावा प्रोत्साहन राशि में गड़बड़ी भी पायी गयी थी, लेकिन जांच के दौरान ही, आरोपित व्यवस्थापक द्वारा 82 हजार रुपये की राशि जमा करवा दिये जाने के कारण, उसे इस आरोप में दोषमुक्त कर दिया गया।
यह तथ्य भी सामने आया कि सोसाइटी द्वारा तीन बार भवन निर्माण कराया गया, लेकिन इसके लिए न तो सहकारिता विभाग को अवगत कराया, न ही टेंडर किये और न ही आरटीपीपी एक्ट की पालना की। केवल समिति का प्रस्ताव लिया और लोगों द्वारा मिनी बैंक में जमा करवायी गयी राशि से भवन का निर्माण करवा लिया। इसके लिए मिनी बैंक में खाताधारकों द्वारा जमा राशि का दुरूपयोग किया गया।
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