कृषि मंत्री का सहकारी बैंकों पर गंभीर आरोप, सहकारी सोसाइटियों में स्थापित कस्टम हायरिंग सेंटरों के लिए कृषि उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये का घोटाला किया
सहकारिता विभाग ने जांच आरम्भ की, बैंकों से मांगी सूचनाएं
जयपुर, 19 सितम्बर। राजस्थान सरकार के कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री द्वारा सहकारिता मंत्री को अद्र्धशासकीय पत्र लिखकर, कस्टम हायरिंग सेंटर (कृषि यंत्रिकरण केंद्र) के लिए खरीदे गये ट्रैक्टर एवं अन्य कृषि यंत्रों में भारी भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और गुणवत्ताहीन खरीद का आरोप लगाया गया है। सहकारिता विभाग ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कृषि उपकरणों की खरीद की जांच आरंभ कर दी है और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों से ट्रेक्टर एवं कृषि उपकरणों की खरीद की विस्तार से सूचना मांगी गयी है। राजस्थान सरकार की बजट घोषणा के अनुरूप राजस्थान कृषि तकनीकी मिशन के अंतर्गत ग्राम सेवा सहकारी समिति, क्रय विक्रय सहकारी समिति और एफपीओ के लिए कस्टमर हायरिंग सेंटर स्वीकृत किये जाते हैं, ताकि लघु एवं सीमांत किसानों को सस्ती किराये पर ट्रैक्टर एवं अन्य उपयोगी कृषि यंत्र उपलब्ध कराये जा सकें।
योजना में अधिकतम 10 लाख रुपये में ट्रैक्टर सहित क्षेत्र की मांग के अनुरूप कृषि यंत्र क्रय किये जाते हैं। इस योजना में सरकार 80 प्रतिशत (अधिकतम 8 लाख रुपये तक) अनुदान देती है। राज्य सरकार ने 2022-23 के बजट भाषण में दो वित्त वर्ष यानी 2022-23 एवं 2023-24 में ग्राम सेवा सहकारी समिति/एफपीओ में 1500 कृषि यंत्रिकरण केंद्र खोले जाने की घोषणा की गयी थी। इनमें से 900 केंद्र साल 2022-23 में एवं शेष 600 साल 2023-24 में खोले जाने थे, हालांकि, दोनों ही वित्त वर्ष में बजट घोषणा के अनुरूप लक्ष्य अर्जित नहीं किये जा सके।
योजना के लिये राज्य स्तरीय व जिला स्तरीय कमेटी
इस योजना के क्रियान्वयन के लिए तीन सदस्यीय राज्य स्तरीय सहयोग एवं मार्गदर्शन कमेटी गठित है, जिसमें रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, राजस्थान, सहकारिता विभाग के अतिरिक्त रजिस्ट्रार (प्रोसेसिंग) और कृषि विभग के उप निदेशक कृषि (अभियांत्रिकी) शामिल हैं। इसके अलावा कृषि यंत्रों के चयन एवं खरीद में सहयोग, योजना के क्रियान्वयन की मोनेटरिंग एवं खरीदे गये कृषि यंत्रों के संयुक्त सत्यापन के लिए जिला स्तरीय कस्टम हायरिंग सेंटर मोनेटरिंग कमेटी भी गठित है, जिसमें सम्बंधित जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) के प्रबंध निदेशक को समन्वयक बनाया गया है जबकि सहकारिता विभाग के उप रजिस्ट्रार (सम्बंधित इकाई अधिकारी) और कृषि विभाग के उप निदेशक (कृषि) सदस्य हैं।
कृषि उपकरणों की खरीद के उपरांत, यह टीम, सोसइटी में जाकर क्रय किये गये कृषि यंत्रों का भौतिक सत्यापन करती है। कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना करने वाली सहकारी समिति को राज्य सरकार दो किश्तों में 8 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है, जबकि 2 साल रुपये समिति का स्वयं वहन करने होते हैं। पहली किश्त में 7 लाख रुपये दिये जाते हैं, ताकि कृषि यंत्रों की खरीद की जा सके। शेष एक लाख रुपये भौतिक सत्यापन के पश्चात मिलते हैं।
सहकारी सोसाइटी द्वारा क्रय किये जाने वाले कृषि यंत्रों की सूचना, निर्धारित प्रपत्र में सम्बंधित केंद्रीय सहकारी बैंक को दिया जाना अनिवार्य है, जिसमें चयनित कृषि यंत्र का नाम, मेक, स्पेसिफिकेशन, मूल्य, यंत्र क्रय करने की तिथि और कृषि यंत्रों पर जीपीएस स्थापित किया गया है या नहीं, की सूचना उपलब्ध करायी जाती है। उसी के आधार पर संयुक्त टीम द्वारा भौतिक सत्यापन कर रिपोर्ट सरकार को भेजी जाती है। तदोपरांत समिति को शेष एक लाख रुपये की राशि प्राप्त होती है। सहकारिता विभाग की ओर से समय-समय पर जारी स्वीकृति के अनुरूप, कस्टम हायरिंग सेंटरों की समस्त सूचनाओं को एकत्रित कर, प्रोसेसिंग अनुभाग को भेजने की जिम्मेदारी केंद्रीय सहकारी बैंक की होती है। इस योजना का नोडल, सम्बंधित डीसीसीबी के एमडी हैं।
मंत्री ने बैंकों पर लगाये गंभीर आरोप
राजस्थान सरकार के कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार दक को अद्र्धशासकीय पत्र लिखकर, जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों पर निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए कस्टमर हायरिंग सेंटरों के लिए कृषि यंत्रों एवं ट्रैक्टरों की खरीद में अनियमितता और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये हैं। मंत्री ने यह आरोप भी लगाये कि सहकारी बैंकों द्वारा नियम विरुद्ध फर्म विशेष से, कृषि यंत्रों/ट्रैक्टरों की खरीद कर, करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है और क्रय किये गये सामान की गुणवत्ता भी घटिया है और निर्धारित मानदंडों के अनुरूप नहीं है।
कृषि मंत्री के गंभीर आरोपों को ध्यान में रखते हुए, सहकारिता मंत्री के विशिष्ट सहायक ने 29 अगस्त 2024 ने रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां को पत्र लिखकर, इस प्रकरण की जांच के लिए लिखा, जिसके उपरांत रजिस्ट्रार कार्यालय के प्रोसेसिंग अनुभाग ने जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों से वर्ष 2020-21 से अब तक स्थापित कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए क्रय किये गये कृषि यंत्रों एवं ट्रैक्टरों के सम्बंध में, निर्धारित प्रपत्र में विस्तार से सूचना प्रेषित करने के लिए कहा गया है। बैंकों को यह भी बताना होगा कि कृषि यंत्रों की खरीद के लिए क्या प्रक्रिया अपनायी गयी और किस-किस सोसाइटी के लिए कहां-कहां से कृषि यंत्र/ट्रैक्टर खरीदे गये।