ये कैसा सहकार! राज्य सहकारी बैंक की लापरवाही से 5 लाख 62 हजार किसानों की सहकारी फसली ऋण सुविधा बंद
जयपुर, 12 नवम्बर (मुखपत्र)। एक ओर, राज्य सरकार मृतप्राय: दीर्घकालीन सहकारी साख व्यवस्था में सहकारी भूमि विकास बैंकों (PLDB) को जीवनदान देने के लिए 200 करोड़ रुपये का ब्याज अनुदान और मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत एकमुश्त समझौता योजना (CM-OTS) लेकर आयी है, वहीं दूसरी ओर, राजस्थान राज्य सहकारी बैंक, जयपुर के स्तर पर लचर पर्यवेक्षण और प्रबंधकीय लापरवाही के चलते राज्य सरकार की ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण योजना से लाखों किसान वंचित हो गये हैं।
अपेक्स बैंक स्तर पर नियमित मोनेटरिंग नहीं होने से पिछले एक साल में ही लगभग 380 करोड़ रुपये का सहकारी फसली ऋण अवधिपार हो गया है। इसे मिलाकर, अब तक कुल 2145 करोड़ रुपये फसली ऋण अवधिपार हो चुका है और राजस्थान के 5 लाख 62 हजार किसानों को फसली ऋण सुविधा से वंचित कर दिया गया है। यह बदहाली तब है, जब फसली ऋण वितरण राज्य सरकार की बजट घोषणा में शामिल है और पूरा सहकारी क्षेत्र सहकार से समृद्धि के यशोगान में व्यस्त हैं।
राज्य के 29 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में वर्ष 2023-24 में ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण के 59,139 खाते और 236 करोड़ 60 लाख रुपये की राशि अवधिपार हुई जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में शॉर्ट टर्म क्रॉप लोन के लगभग 1 लाख 12 हजार खाते अवधिपार हो गये, जिससे 379 करोड़ 77 लाख रुपये का फसली ऋण अवधिपार हो गया। इस प्रकार, एक वित्तीय वर्ष में अवधिपार खातों की संख्या में 94 प्रतिशत और अवधिपार राशि में 60 प्रतिशत की चिंताजनक बढोतरी दर्ज की गयी।पिछले दस साल में यह सर्वाधिक बढोतरी है।
2145 करोड़ रुपया शॉर्ट टर्म क्रॉप लोन में फंसा
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2025 तक प्रदेश के 29 केंद्रीय सहकारी बैंकों में अल्पकालीन फसली ऋण के 5 लाख 62 हजार से अधिक खाते अवधिपार हो गये हैं, जिनमें सहकारी बैंकों की कुल 2145 करोड़ रुपये की राशि फंस चुकी है। अब इन 5.62 लाख किसानों को फसली ऋण सुविधा से वंचित कर दिया गया है।
साल में दो बार अंगूठे भी नहीं लगवा पा रहे
यह स्थिति तब है, जब प्रदेश में अल्पकालीन फसली ऋण को केवल नया-पुराना करना होता है, अर्थात किसान को किसी प्रकार की नगद राशि जमा नहीं करानी होती, किसान को दोनों फसली सीजन में दो-दो बार अंगूठा ही लगाना होता है। इस प्रक्रिया में रबी का ऋण जमा करके खरीफ सीजन के लिए जारी कर दिया जाता है और खरीफ सीजन का ऋण जमा करके, रबी सीजन के लिए जारी एक दिया जाता है। एक फसली सीजन ऋण की राशि जमा करने के बाद, दूसरे फसली सीजन के लिए ऋण जारी करते समय आमतौर पर इतनी राशि बढ़ाकर दी जाती है, जिससे किसान को फसली ऋण के लिए बाध्यकारी दो बीमा योजनाओं (अब एक बीमा योजना एवं एक कृषक रिस्क रिलीफ फंड योजना) के प्रीमियम/अंशदान के लिए, किसान को स्वयं की ओर से कोई राशि नहीं चुकानी पड़े।
समीक्षा बैठकों के एजेंडे में ऋण वसूली का बिन्दू गायब
गौरतलब है कि पिछले एक साल में ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण योजना की जब-जब समीक्षा हुई, तब-तब ऋण वितरण पर ही फोकस रहा। क्योंकि सहकारिता मंत्री या प्रमुख शासन सचिव (एवं प्रशासक, अपेक्स बैंक) के स्तर पर पिछले एक साल में आयोजित समीक्षा बैठकों में शीर्ष सहकारी बैंक ने ऋण वसूली को कभी एजेंडे में ही शामिल नहीं किया। यही कारण रहा कि प्रदेश के सहकारिता क्षेत्र में हर छोटी-बड़ी गतिविधियों की सतत मोनेटरिंग और कड़ी निगरानी रखने वाले धीर-गंभीर सहकारिता मंत्री गौतमकुमार दक और कठोर प्रशासक की छवि रखने वाली प्रमुख शासन सचिव (एवं प्रशासक, अपेक्स बैंक) मंजू राजपाल इस गंभीर बिन्दू पर चूक गये? इस मामले में राजस्थान राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक संजय पाठक से बैंक का पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।

35 लाख किसानों को ऋण वितरण का लक्ष्य
राज्य सरकार की वर्ष 2025-26 की बजट घोषणा के तहत प्रदेश के 35 लाख किसानों को, उनकी फसली जरूरत को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का ब्याजमुक्त अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराया जाना है। राज्य सरकार इसके लिए 768 करोड़ रुपये ब्याज अनुदान के रूप में सहकारी बैंकों को उपलब्ध करायेगी। अल्पकालीन फसली ऋण पर 7 प्रतिशत ब्याज लागू है, लेकिन राजस्थान में अल्पकालीन फसली ऋण पर किसानों से किसी प्रकार का ब्याज नहीं लिया जाता। शॉर्टटर्म एग्रीकल्चर लोन (एसटी लोन) पर भारत सरकार की ओर से 3 प्रतिशत और राज्य सरकार की ओर से 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान देय है। (Photo By – change.org)
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