बहुराज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 लोकसभा में पारित, अब सहकारी संस्थाओं पर भी लागू होगा सूचना का अधिकार अधिनयम
नई दिल्ली, 25 जुलाई। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में बहुराज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022 पर चर्चा का जवाब दिया, विधेयक को चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सहकारिता मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मल्टी-स्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी में पारदर्शिता, जवाबदेही और उसका मुनाफा बढ़ाने के लिए इस विधेयक को मंजूरी दी है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में स्वतंत्र चुनाव करवाने के लिए निर्वाचन सुधार लागू करने के लिए निर्वाचन प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है, जो लगभग निर्वाचन आयोग के बराबर शक्तिशाली होगा और इसमें सरकारी दखल नहीं होगा। इसके अलावा, अगर निदेशक मंडल की एक-तिहाई संख्या खाली हो जाती है तो फिर चुनाव करवाने की व्यवस्था की गई है।
विधेयक में बोर्ड की बैठकों में अनुशासन, सहकारी समितियों के कार्यकलाप सुचारू रूप से चलाने के भी प्रावधान हैं। समितियों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों को 3 महीने में बोर्ड मीटिंग बुलानी आवश्यक होगी। सहकारी समिति के शासन में पारदर्शिता लाने के लिए इक्विटी शेयरधारक को बहुमत का प्रावधान रखा गया है।
रक्त सम्बंधियों व निकट रिश्तेदारों को नौकरी नहीं मिलेगी
विभिन्न संवैधानिक अपेक्षाओं का अनुपालन ना करने पर बोर्ड के सदस्यों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है। कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में किसी के भी ब्लड रिलेशन या डिस्टेंट रिलेशन में नौकरी नहीं दी जा सकेगी। विधेयक में सूचना के अधिकार को भी शामिल किया गया है।
भर्ती की प्रक्रिया में पारदर्शिता का प्रावधान
विधेयक में सोसायटी के सदस्यों में अनुशासन, निदेशक बोर्ड में कमज़ोर और सीमांत वर्गों के प्रतिनिधित्व और प्रोफेशनलिज़्म के सम्बंध में प्रावधान किए गए हैं। विधेयक में कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने, केन्द्रीय पंजीयक द्वारा स्वीकृत पैनल से ऑडिटर की नियुक्ति करने और ऑडिट और एकाउंट्स के निर्धारित मानकों के माध्यम से वित्तीय अनुशासन लाने जैसे विषयों के बारे में प्रावधान किए गए हैं।
विधेयक में सरकार की पूर्वानुमति से सरकारी शेयरों के रिडेम्प्शन, बहुराज्य सहकारी समिति को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद समापन (लिक्विटेशन) और सहकारी बैंकों पर बैंकिंग रेगूलेशन एक्ट 1949 लागू करने जैसी व्यवस्थाएं भी की गई हैं।
विधेयक के अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान
लोकसभा में प्रस्तुत विधेयक में, समवर्ती लेखापरीक्षा (करंट ऑडिट) से त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई, केन्द्रीय पंजीयक द्वारा कपटपूर्ण और अवैध गतिविधियों में लिप्त समिति के गठन, कार्यकरण और वित्तीय स्थिति की जांच पड़ताल से अनुशासन के अनुपालन पर भी बल दिया गया है। साथ ही, व्यापार में सुगमता लाने के लिए पंजीकरण प्रक्रिया में संशोधन, आवेदन के त्वरित निपटान, इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आवेदन, दस्तावेज, जांच आदि अपलोड करने के प्रावधान भी विधेयक में किए गए हैं।