मुखपत्र

टांटिया यूनिवर्सिटी के वेटरनरी कॉलेज एंड हॉस्पिटल की पहल, अब होम्योपैथी पद्धति से होने लगा पशुओं का इलाज

श्रीगंगानगर, 30 मार्च (मुखपत्र)। मनुष्यों में बिना किसी साइड इफेक्ट के हर बीमारी के सफल उपचार के बाद अब पशुओं में भी होम्योपैथी से उपचार होने लगा है। हनुमानगढ़ रोड स्थित टांटिया यूनिवर्सिटी के श्रीगंगानगर वेटरनरी कॉलेज के हॉस्पिटल में होम्योपैथी से पशुओं की बीमारी का उपचार शुरू कर दिया गया है। यह राजस्थान में पहला पशु चिकित्सालय है, जहां होम्योपैथी पद्धति से पशुओं का उपचार किया जा रहा है।

श्रीगंगानगर वेटरनरी कॉलेज के डीन डॉ. आरपीएस बघेल ने बताया कि विश्व के कुछ देशों में होम्योपैथी से पशुओं की चिकित्सा की जाती है। भारत में सबसे पहले केरल में और फिर उत्तरप्रदेश के मथुरा में इस पद्धति पर काम शुरू हुआ था। राजस्थान में होम्योपैथी से पशुओं का इलाज संभवत: पहली बार श्रीगंगानगर वेटरनरी कॉलेज के हॉस्पिटल में शुरू किया गया है। डॉ. बघेल ने बताया कि होम्योपैथी सबसे सस्ती चिकित्सा पद्धति है। पशु उपचार बहुत ही महंगा रहता है। अत: होम्योपैथी दवाइयों से उपचार शुरू होने से पशु पालकों को काफी राहत मिलेगी।

यूनिवर्सिटी में होम्योपैथी से पशु चिकित्सा संबंधी एक कोर्स आरंभ करने के लिए आयोजित बैठक में वेटरनरी कॉलेज के डीन डॉ. आरपीएस बघेल, डॉ. रामवीर शर्मा, डॉ. महेंद्र मिलिंद, डॉ. गगनदीपसिंह, डॉ. लोकेंद्र तथा होम्योपैथी कॉलेज के डीन डॉॅ. चरणजीतसिंह, प्रोफेसर डॉ. आरके विश्वास एवं डॉ. विनय सेन मौजूद थे।

इसी सत्र से शुरू होगा सर्टिफिकेट कोर्स

यूनिवर्सिटी के निदेशक (शोध एवं अकादमिक) डॉ. प्रवीण शर्मा ने बताया कि इसी वर्ष से 6 माह का सर्टिफिकेट कोर्स इन वेटरनरी होम्योपैथी शुरू किया जाएगा। इस तरह का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने वाला यह राजस्थान में संभवत: पहला वेटरनरी कॉलेज होगा। अगले सत्र जुलाई-2024 से यह कोर्स आरंभ किया जाएगा। यह कोर्स बीवीएससी एंड एएच तथा एएचडीपी करने वाले अर्थात पशु चिकित्सक ही कर पाएंगे। इस योजना पर टांटिया यूनिवर्सिटी का होम्योपैथी एवं वेटरनरी कॉलेज मिलकर काम कर रहे हैं। डॉ. शर्मा के अनुसार राजस्थान वेटरनरी यूनिवर्सिटी में भी यह कोर्स शुरू करने पर मंथन हो रहा है।

सीसीआर से एमओयू का मिलेगा लाभ

डॉ. प्रवीण शर्मा ने बताया कि कुछ समय पूर्व ही टांटिया यूनिवर्सिटी का सेंट्रल कौंसिल ऑफ रिसर्च (सीसीआर) से एमओयू हुआ है, जिसके तहत दोनों मिलकर शोधकार्य करेंगे। इस एमओयू का लाभ होम्योपैथी से पशु चिकित्सा में भी लिया जा सकेगा। कौंसिल की देखरेख में शोध होगा तो और बेहतर परिणाम आएंगे।

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