राज्यसहकारिता

विधानसभा में मामला उठा तो 34 दिन बाद जागी गहलोत सरकार, फसली ऋण वसूली की अंतिम तारीख बढ़ायी गयी

…. लेकिन सरकार ने 1100 करोड़ रुपये के अवधिपार ऋण के ब्याज अनुदान का भार सहकारी बैंकों पर डाला

जयपुर, 4 अगस्त (मुखपत्र)। राजस्थान के केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से रबी सीजन के लिए वितरित किये गये ब्याजमुक्त अल्पकालीन फसली ऋण की वसूली की अंतिम तिथि बढ़ाकर, 31 अगस्त 2023 कर दी गयी है। रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां राजस्थान की ओर से 4 जुलाई 2023 को अपेक्स बैंक को प्रेषित पत्र मेें रबी सीजन की ऋण वसूली के लिए अंतिम तारीख 1 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त या ऋण वितरण की तिथि से 12 की अवधि, जो भी पहले हो, करने की स्वीकृति दी गयी है।

हालांकि, राज्य के वित्त विभाग ने विस्तार अवधि का ब्याज अनुदान का भार सहकारी बैंकों पर डाल दिया है। ऐसा लगातार दूसरे साल किया गया है। इससे पहले, जब कभी भी ऋण वसूली की तारीख बढायी गयी, उस अवधि का ब्याज अनुदान राज्य सरकार ही वहन करती आयी है।

बैंकों पर डाला ब्याज अनुदान का भार

वित्त विभाग ने विस्तारित अवधि के ब्याज अनुदान का भार सहकारी बैंकों पर डाल दिया है। यानी अब जो किसान अवधिपार ऋण जमा करवाएंगे, उसकी एवज में ब्याज अनुदान की भरपाई राज्य सरकार द्वारा नहीं की जायेगी। राज्य में रबी सीजन के लिए वितरित फसली ऋण जमा करवाने की अंतिम तिथि 30 जून निर्धारित है। इस बार 30 जून तक किसानों की ओर 1100 करोड़ रुपये का फसली ऋण बकाया था। राज्य सरकार 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान देती है, जो 1 जुलाई से 31 अगस्त की अवधि के लिए बैंकों को नहीं मिलेगा।

यह लगातार दूसरे साल हो रहा है। पिछले साल भी विस्तारित अवधि का भार सहकारी बैंकों पर डाल गया था। सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा ने फसली ऋण जमा करवाने की तिथि को बढाने का निर्णय, 35 दिन के पश्चात लिये जाने पर, इसे अनावश्यक देरी से लिया गया फैसला बताते हुए कहा कि इससे सहकारी बैंकों पर 7 करोड़ रुपये का वित्तीय भार पड़ेगा, जो कि सर्वथा अनुचित है। आमेरा ने एक बयान में कहा कि ऋण वसूली की अंतिम तारीख बढाने का निर्णय यदि जून या जुलाई माह में लिया जाता तो सहकारी बैंकों पर आर्थिक भार नहीं पड़ता। आमेरा ने ब्याज अनुदान का भार राज्य सरकार द्वारा वहन किये जाने की मांग की है।

35 दिन के ब्याज का अतिरिक्त बोझ

फसली ऋण की वसूली की तारीख, 35 वें दिन बढायी गयी। इससे इन 35 दिनों का अतिरिक्त ब्याज केंद्रीय सहकारी बैंकों को ही भुगतना पड़ेगा। यदि यह निर्णय 30 जून के आसपास ले लिया जाता, तो अधिकतम एक सप्ताह तक ऋण की वसूली हो जाती और सहकारी बैंकों पर ब्याज अनुदान का न्यूततम भार पड़ता। हालांकि ब्याजमुक्त फसली ऋण वितरण की योजना और ऋण वसूली की अवधि को बढाया जाना, दोनों ही राज्य सरकार के निर्णय हैं, इसलिए इसे सरकार के स्तर पर वहन किया जाता तो बेहतर होता।

पहले कर दिया था इनकार

राज्य में रबी सीजन के लिए वितरित किये जाने वाले सहकारी फसली ऋण की वसूली 30 जून तक की जाती है। कोरोनाकाल के बाद से लगातार दो साल तक रबी ऋण वसूली की अंतिम तारीख को बढ़ाकर 31 अगस्त तक किया गया। 2021 में जब ऋण वसूली की तारीख बढ़ायी गयी, तब विस्तारित अवधि का ब्याज अनुदान राज्य सरकार द्वारा वहन किया गया था।

इस बार, 23 जून 2023 को अपेक्स बैंक की मार्फत रबी ऋण वसूली की अंतिम तारीख बढाये जाने के लिए रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां को पत्रावली प्र्रस्तुत की गयी, जो प्रमुख शासन सचिव (सहकारिता) श्रेया गुहा की टेबल तक पहुंची, लेकिन तारीख बढाये जाने के लिए ठोस आधार या विशेष परिस्थिति का हवाला नहीं होने के कारण, पीएससी ने ऋण वसूली की अंतिम तारीख बढाने से इंकार कर दिया।

पिछले सप्ताह विधानसभा सत्र में यह मामला उठने के बाद, आनन-फानन में फिर से पत्रावली दौड़ायी गयी और राज्य में निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में वोटों के नफा-नुकसान को देखते हुए वित्त विभाग से ऋण वसूली की अंतिम तारीख बढाये जाने का निर्णय लिया।

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