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हाई कोर्ट के फैसले के बाद एक करोड़ से अधिक सहकारी सोसाइटी सदस्यों की मेम्बरशिप पर लटकी तलवार

नई दिल्ली, 25 फरवरी। उच्च न्यायालय द्वारा सहकारी सोसाइटी नियमावली से सम्बंधित एक नियम को रद्द कर दिये जाने के बाद, सहकारिता विभाग के स्तर पर सीधे सहकारी संस्थाओं के सदस्य बनाये गये एक करोड़ से अधिक सोसायटी सदस्यों की सदस्यता (मेम्बरशिप) पर तलवार लटक गयी है।

मामला बिहार का है। पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद नियमावली 1959 के नियम 7(4) के तहत सदस्य बने लोगों की सदस्यता प्रभावित होगी। राज्य में 1 करोड़ 40 लाख पैक्स सदस्य हैं। बीडीओ, डीसीओ और एआर के जरिए सीधे सदस्य बनने वालों की सदस्यता रद्द हो सकती है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद सहकारिता विभाग ने सहायक निबंधक (सहायक रजिस्ट्रार, सहकारी सोसाइटी) और जिला सहकारिता पदाधिकारी (यूनिट ऑफिसर) को सुनवाई कर ऐसे सदस्यों की सदस्यता रद्द करने का आदेश दिया है।

इन सदस्यों की सदस्यता होगी प्रभावित

 

सहकारिता विभाग के आदेश के बाद बिहार सहकारी सोसायटी नियमावली 1959 के नियम 7 (4) के तहत सदस्य बने लोगों की सदस्यता प्रभावित होगी। विभाग के अपर सचिव ऋचा कमल ने कहा है कि इस नियम के तहत बनाए गए सदस्यों को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए अविलम्ब नियमानुसार उनकी सदस्यता समाप्त करने की कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।

इस आदेश के बाद लाखों सदस्यों की सदस्यता प्रभावित होगी। सहायक निबंधक और जिला सहकारिता पदाधिकारी के समक्ष सुनवाई में अपना पक्ष सही नहीं रखने पर उनकी सदस्यता जाना तय है। विभाग ऐसे सदस्यों की संख्या का आकलन करने में जुट गया है।

क्यों आयी सदस्यता रद्द करने की नौबत

पटना हाई कोर्ट ने सहकारी सोसायटी नियमावली 1959 के नियम 7(4) को अवैधानिक घोषित कर दिया है। इस नियम के तहत सदस्य बनाए जाते रहे हैं, जबकि वर्ष 2021 में हाई कोर्ट ने इसे अवैधानिक घोषित कर दिया था। इसी मामले में दायर एमजेसी 364/2022 में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अब आदेश दिया है कि इस नियम के तहत प्रदत सदस्यता सम्बंधित व्यक्तियों से कारण जानते हुए रद्द की जाए।

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