16वां वेतन समझौता प्रलेख का अनुमोदन नहीं होने से सहकारी बैंक कार्मिकों में असंतोष, प्रमुख शासन सचिव से हस्तक्षेप करने की मांग
जयपुर, 21 दिसम्बर (मुखपत्र)। सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा ने राजस्थान के सहकारी बैैंकों में 16वां वेतन समझौता लागू करवाने के लिए सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा से तुरंत हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। आमेरा ने कहा कि अपेक्स बैंक प्रबंधन और कर्मचारी संगठनों के मध्य समझौता प्रपत्र हस्ताक्षरित होने के बाद से, अनुमोदन की कार्यवाही रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां राजस्थान के कार्यालय में दो माह से अधिक समय से लम्बित है, जिसे लेकर प्रदेश के सहकारी बैंक कार्मिकों को भारी असंतोष व्यापत है। यदि समझौते को अविलम्ब लागू नहीं कराया गया तो सहकारिता विभाग को किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
ऑल राजस्थान को-ऑपरेटिव बैंक एम्प्लाइज यूनियन और ऑल राजस्थान को-ऑपरेटिव बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव सूरजभान सिंह आमेरा ने बताया कि साढ़े चार साल के अतिविलम्ब के बाद, रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा 6 अक्टूबर 2023 को राजस्थान राज्य सहकारी बैंक, केंद्रीय सहकारी बैकों, राजस्थान राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक और प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैकों में 16वां वेतन समझौता लागू करने का निर्देश दिया गया। इसकी पालना में, 7 अक्टूबर को अपेक्स बैंक प्रबंधन व कर्मचारी संगठनों के मध्य समझौता प्रपत्र पर हस्ताक्षर किये गये और द्विपक्षीय समझौता प्रलेख 9 अक्टूबर को अनुमोदन के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय को भिजवाने के साथ-साथ, 10 अक्टूबर को श्रम विभाग में समझौता प्रलेख पंजीकृत करवाया गया।
चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बावजूद अनुमोदन नहीं
सहकार नेता ने बताया कि रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा विधानसभा चुनाव की आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू होने को आधार बनाकर, समझौता प्रलेख को रोके रखा गया। अब जबकि 5 दिसम्बर 2023 को आदर्श चुनाव आचार संहिता समाप्त हो गयी है, तब भी, समझौता प्रलेख के अनुमोदन की कार्यवाही को अनावश्यक रूप से लम्बित रखा जा रहा है। इससे राज्यभर के सहकारी बैंक कार्मिकों में भारी असंतोष है। कार्मिकों ने इस मामले में संगठन स्तर से कार्यवाही किये जाने को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में प्रमुख शासन सचिव को पत्र सौंपकर, रजिस्ट्रार कार्यालय से अविलम्ब समझौता प्रलेख का अनुमोदन कराये जाने का आग्रह किया गया है। यदि ऐसा नहीं होता तो फिर संगठन स्तर पर उचित कठम उठाया जायेगा।