कोऑपरेटिव सोसाइटी में करोड़ों रुपये का गबन, सहकारी अदालत ने दोषियों से राशि की वसूली की कार्यवाही पर रोक लगायी
श्रीगंगानगर, 19 अप्रेल (मुखपत्र)। श्रीगंगानगर जिले के बहुचर्चित मिनी बैंक गबन प्रकरण में न्यायालय अतिरिक्त रजिस्ट्रार (अपील्स), जोधपुर द्वारा दोषियों से राशि की वसूली के लिए सम्पत्ति की नीलामी की कार्यवाही पर रोक लगा दी गयी है। यह मामला गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड की जैतसर शाखा के क्षेत्राधिकार में स्थित 2 जीबी(ए) ग्राम सेवा सहकारी समिति में हुए करीब 9 करोड़ रुपये के गबन से सम्बद्ध है। इस स्थगनादेश से मिनी बैंक के जमाकर्ताओं को, जिला प्रशासन के वादे के अनुरूप धनराशि वापिस मिलने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।
2 जीबीए ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड, 3 जीबी के मिनी बैंक में वर्ष 2014 से 2022 के बीच हुए 8 करोड़ 97 लाख रुपये गबन मामले में, राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 55 के तहत जांच करवायी गयी। धारा 55(5)(6) में जारी जांच परिणाम में सोसाइटी के तत्कालिन व्यवस्थापक सुमेरसिंह, जिसका 1 मई 2020 में निधन हो गया था, सहित दो सहायक व्यवस्थापकों – बिशनपालसिंह और ओमप्रकाश चुघ को मुख्यरूप से दोषी माना गया था। सुमेरसिंह की 30 जून 2015 को सेवानिवृत्ति के उपरांत, उसके भतीजे बिशनपालसिंह को व्यवस्थापक बनाया गया। जिस समय सुमेरसिंह का निधन हुआ, तब वह सेवानिवृत्ति के उपरांत लगातार पांच साल से सोसाइटी में संविदा पर कार्यरत था।
जांच परिणाम के आधार पर उप रजिस्ट्रार, अनूपगढ़ द्वारा धारा 57(1) में प्रकरण दर्ज कर, तीनों मुख्य दोषियों की सम्पत्ति को कुर्क कर, अटैच की गयी थी। सहकारिता विभाग द्वारा सुमेरसिंह के वारिसों – मृतक की पत्नी मंगेजकंवर और दोनों पुत्रों – विक्रम सिंह और रविन्द्र सिंह को वारिस के रूप में सुमेरसिंह से प्राप्त पुश्तैनी सम्पत्ति को कुर्क किया गया। इस मामले में 24 फरवरी 2025 को आचरण की जांच पूर्ण होने के उपरांत उप रजिस्ट्रार द्वारा 18 मार्च 2025 को आरोपियों को धारा 57(2) के तहत नोटिस जारी कर, राशि की वसूली की कार्यवाही आरंभ की गयी।
तीनों द्वारा उप रजिस्ट्रार, अनूपगढ़ की इस कार्यवाही के विरुद्ध अतिरिक्त रजिस्ट्रार (अपील्स), जोधपुर के समक्ष राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 107 के तहत निगरानी पेश की गयी। इसमें तर्क दिया गया कि सुमेरसिंह की सेवानिवृत्ति के 9 वर्ष उपरांत अधिनियम अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया है जबकि अधिनियम की धारा 57 में प्रावधान है कि 6 वर्ष के उपरांत इस प्रकार का प्रकरण दर्ज नहीं किया जा सकता। निगरानी में यह भी दावा किया गया कि जांचकर्ता ने सुनवाई का अवसर नहीं दिया और उनके द्वारा चाहे गये दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं करवाये।
अतिरिक्त रजिस्ट्रार (अपील्स) श्यामलाल मीणा द्वारा 17 अप्रेल 2025 को पारित आदेश में, निगरानीधीन जांच रिपोर्ट दिनांक 24 फरवरी 2025 एवं नोटिस दिनांक 18 मार्च 2025 की क्रियान्विति पर रोक लगा दी। मामले की आगामी सुनवाई 26 जून 2025 को निर्धारित की गयी है।
अब जिला प्रशासन के वादे का क्या होगा?
उल्लेखनीय है कि 2 जीबीए सोसाइटी के मिनी बैंक में हुए करोड़ों रुपये गबन को लेकर जैतसर में पिछले तीन माह से अधिक समय से माहौल गर्माया हुआ है। प्रभावित खाताधारक पहले तो गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक की ब्रांच के समक्ष धरने पर बैठे रहे और फिर धरना को सोसाइटी मुख्यालय पर शिफ्ट कर दिया गया। इस बीच, 17 मार्च 2025 की अलसुबह सूरतगढ़ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष इन्द्रजीतसिंह रंधावा (पूर्व अध्यक्ष, रायसिंहनगर सहकारी भूमि विकास बैंक) की अगुवाई में 17 लोग जैतसर में जलदाय विभाग के वाटर ओवरहैड टैंक पर चढ़ गये।
जिला प्रशासन, पुलिस और वित्तदाता बैंक के सतत प्रयासों और तीन दौर की समझौता वार्ता के उपरांत, दोनों पक्षों में सहमति हुई और 18 घंटे उपरांत ये लोग मध्य रात्रि 11.15 बजे ओवरहैड टैंक से नीचे उतर आये। तब जिला प्रशासन एवं बैंक ने खाताधारकों को विश्वास दिलाया था कि 30 जून तक आरोपियों की कुर्कशुदा सम्पत्ति को नीलाम कर राशि की वसूली की जायेगी, जिससे खाताधारकों को उनकी जमापूंजी का 50 प्रतिशत भुगतान कर दिया जायेगा और शेष राशि दिसम्बर 2025 तक लौटा दी जायेगी।
समझौता वार्ता के उपरांत सहमति पत्र पर जिला प्रशासन की ओर से एडीएम अशोक सांगवा, गंगानगर केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक संजय गर्ग, अनूपगढ़ की उप रजिस्ट्रार प्रियंका जांगिड़ के हस्ताक्षर हैं। जबकि संघर्ष समिति की ओर से सूरतगढ़ विधायक डूंगरराम गेदर, पूर्व विधायक राजेंद्र भादू, किसान नेता अमित कड़वासरा, राकेश बिश्नोई, खाताधारक संघर्ष समिति के संयोजक सौरभ मोंगा आदि के हस्ताक्षर हैं। इस दिन, आंदोलनकारियों की मांग पर, बैंक की जैतसर शाखा के प्रबंधक हरकेश मीणा को निलम्बित भी किया गया।
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