सहकारी समिति कर्मचारियों के सब्र का बांध छलका, प्रदेशस्तरीय आंदोलन की तैयारी
जयपुर, 19 अगस्त (मुखपत्र)। राज्य सरकार और सहकारिता विभाग की उपेक्षा के कारण वर्षों से हाशिये पर पड़े राजस्थान के ग्राम सेवा सहकारी समितियां (पैक्स) के कर्मचारियों के सब्र का बांध अब छलकने लगा है। समय पर वेतन-भत्ते नहीं मिलने के कारण आर्थिक संकटों का सामना कर रहे पैक्स कर्मचारी प्रदेश में बड़े आंदोलन की तैयारी में जुट गये हैं। राजस्थान सहकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की मंगलवार को होटल फोर्ट चंद्रगुप्त, जयपुर में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में सर्वसम्मति से संगठन को मजबूत करने और अपनी मांगों के समर्थन में प्रदेशव्यापी आंदोलन पर गंभीर विचार विमर्श किया गया। बैठक में तीनों संगठनों – राजस्थान बहुउद्देश्यीय सहकारी सोसाइटी कर्मचारी यूनियन, राजस्थान सहकारी कर्मचारी विकास मंच और राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ – के 20 जिलों के प्रदेश एवं जिला पदाधिकारी शामिल हुए।
संघर्ष समिति के संयोजक हनुमान सिंह राजावत ने बताया कि व्यापक विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि 5 अगस्त 2025 को संघर्ष समिति के गठन वाले दिन सहकारिता मंत्री, सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां को ज्ञापन देकर, मांगों के निराकरण के लिए 31 अगस्त 2025 तक का समय दिया गया है। इसलिए यदि 31 अगस्त तक सरकार अथवा विभाग की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आता है, तो सितम्बर के प्रथम सप्ताह में पुन: बैठक का आयोजन कर आगामी रणनीति एवं आंदोलन के स्वरूप पर चर्चा कर युक्तियुक्त निर्णय लिया जायेगा।
एकजुटता एवं संषर्घ समिति को मजबूत करने पर जोर
बैठक में अपने विचार रखते हुए संघर्ष समिति के तीनों संयोजकों – मदन मेनरिया, हनुमानसिंह राजावत और कुलदीप जंगम के साथ-साथ समस्त जिलों से आये वरिष्ठ पैक्स कार्मिकों ने एकजुटता एवं संषर्घ समिति को मजबूत करने पर जोर दिया। इसके लिए संभाग स्तर पर एवं जिला स्तर पर सम्मेलनों का आयोजन करने का निर्णय लिया गया। संघर्ष समिति के विस्तार पर भी व्यापक चर्चा हुई। अनेक वक्ताओं ने राजस्थान सहकारी साख समितियां एम्प्लाइज यूनियन को साथ लेने का सुझाव दिया ताकि संघर्ष समिति को प्रदेश के प्रत्येक जिले से समर्थन प्राप्त हो।
वक्ताओं ने प्रदेशभर के पैक्स कार्मिकों से यह अपेक्षा की कि संघर्ष समिति को भी निर्णय लेगी, वो पूरे प्रदेश के लिए मान्य होगा। इसमें फिर किन्तु, परन्तु नहीं होगा। गहन विचार विमर्श के उपरांत, पैक्स कार्मिकों की मांगों को लेकर भावी आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए संयुक्त संघर्ष समिति को अधिकृत किया गया। साथ ही, विकेंद्रीकरण की भावना के अनुरूप संघर्ष समिति की कार्यकारिणी का विस्तार करते हुए प्रत्येक जिले को प्रतिनिधित्व देने का निर्णय लिया गया।

पिछले अनुभवों से सबक लेकर आगे बढ़ें
बैठक को सम्बोधित करते हुए, नागौर से भंवराराम चौधरी, सीकर से दुर्गासिंह सूंडा, भीलवाड़ा से सत्यनारायण तिवारी,्र डूंगरपुर से हेमंत व्यास, डीडवाना-कुचामन से बलदेवाराम गेट, सिरोही से जसवंतसिंह राणावत, श्रीगंगानगर से प्रगटसिंह, सलूम्बर से नारायण पटेल, अलवर से देवेंद्र सैदावत, दौसा से विजेंद्र कुमार शर्मा, बांसवाड़ा से महिपालसिंह दवेला, उदयपुर-भींडर से छगन शर्मा, गोपाल पालीवाल, कोटा से महावीर गुप्ता, भरतपुर से टीकेंद्र कटारा, बारां से संदीप गोचर, टोंक से शिवचरण शर्मा, चूरू से महेशकुमार,
झुंझुनूं से रामसिंह, प्रतापगढ़ से नंदलाल रैदास आदि ने पिछले आंदोलन के फलित नहीं होने से सबक लेते हुए नया आंदोलन शुरू करने से पहले अपनी ताकत और कमजोरी का आंकलन करने का सुझाव दिया। ये भी कहा गया कि जिन 12 जिलों के प्रतिनिधि आज की बैठक में उपस्थित नहीं हुए हैं, उसने सम्पर्क कर आगामी बैठकों में आमंत्रित किया जाये और उनके भी सुझाव लिये जायें। वक्ताओं ने मांग पत्र में ग्राम सेवा सहकारी समितियों के सहायक कर्मचारी, सेल्समैन आदि की मांगों को भी शामिल करने का सुझाव दिया, जिस पर सभी ने सहमति व्यक्त की।
ये पदाधिकारी भी रहे उपस्थित
बैठक में डूंगरपुर से वासुदेव पाटीदार, नागौर से राजेंद्रकुमार बिश्नोई, श्रीगंगानगर से रविकुमार गोदारा, बांसवाड़ा से देवीसिंह चौहान, कल्याणसिंह, हर्षवर्धन सिंह, प्रतापगढ़ से रामगोपाल टेलर, उदयपुर से नरेंद्रसिंह शक्तावत, उदयपुर-भींडर से लक्ष्मीलाल, उदयपुर कुरावड़ से बालासिंह सिसोदिया, जायल (नागौर) से राजेंद्र सिंवर, केशाराम, परमेश्वर जाखड़, जगदीश प्रसाद, भरतपुर से योगेंद्रसिंह, कुम्हेर से जीतेनकुमार शर्मा, बारां से बुद्धि प्रकाश सुमन, झुंझुनूं से सत्यप्रकाश, रामसिंह, डीडवाना-कुचामन से पवनकुमार, चूरू से सीताराम बेरवाल, भीलवाड़ा से जितेंद्रसिंह राठौड़, कैलाशचंद्र, शांतिलाल शर्मा, सीकर से राकेश कुमार, ब्यावर से प्रकाशसिंह आदि शामिल हुये।
ये है संगठन की मुख्य मांगे
1. सहकारी समितियां कर्मचारियों का नियोक्ता निर्धारण।
2. ऋण पर्यवेक्षक के रिक्त पदों को शत-प्रतिशत व्यवस्थापकों की पदोन्नति से भरा जाये।
3. सहकारी समिति कर्मचारियों (व्यवस्थापक, सहायक व्यवस्थापक, सेल्समैन आदि) के नियमितिकरण की प्रक्रिया पुन: प्रारम्भ की जाये और नियमित रूप से स्क्रीनिंग नहीं होने के कारण, जो कार्मिक ओवरऐज हो गये हैं, उन्हें अधिकतम आयु सीमा में छूट देते हुए नियमितिकरण प्रक्रिया में शामिल किया जाये।
4. पैक्स कर्मचारियों के सेवा नियम कार्मिक विभाग द्वारा बनाये जायें।
5. पैक्स कार्मिकों के 20 प्रतिशत कोटे के अनुरूप केंद्रीय सहकारी बैंकों में बैंकिंग सहायक के पद पर भर्ती की जाये।
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