राज्यसहकारिता

सहकारी भर्ती बोर्ड की नाकामी से चरमरा रहा है सहकारी साख ढांचा – आमेरा

पैक्स, लैम्पस में छह साल में व्यवस्थापकों की भर्ती नहीं, 3500 से अधिक पद रिक्त

सहकारी बैंकों में अधिकारियों, कर्मचारियों के 2939 पद खाली

 

जयपुर, 9 जुलाई (मुखपत्र)। सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा ने राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड की नीति और नीयत पर गम्भीर सवाल उठाते हुए, सहकारी बैंकों और पैक्स, लैम्पस के चरमराते हुए ढांचे के लिए भर्ती बोर्ड की विफलता को जिम्मेदार बताया है। आमेरा ने ग्राम सेवा सहकारी समितियों (PACS), जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB), प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों (PLDB), राजस्थान राज्य सहकारी बैंक (RSCB) और राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक (SLDB) में लम्बे समय से हजारों रिक्त पदों के लिए भर्ती बोर्ड की अकर्मण्यता को उजागर करते हुए सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना से प्रभावी एवं निर्णायक दखल की अपील की है।

ऑल राजस्थान को-ऑपरेटिव बैंक एम्प्लाइज यूनियन व ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव सूरजभान सिंह आमेरा ने बताया कि ग्राम सेवा सहकारी समितियों (पैक्स, लैम्पस) में कार्मिकों का जबरदस्त अभाव है। राज्य में संचालित 7400 पैक्स, लैम्पस में 3500 से अधिक व्यवस्थापकों के पद रिक्त चल रहे हंै। एक-एक व्यवस्थापक के पास दो से चार पैक्स का अतिरिक्त चार्ज है। ऊपर से, बजट घोषणा की आड़ में हर साल 500 नयी पैक्स, लैम्पस के गठन का आत्मघाती कदम उठाया जा रहा है। इससे पूरा प्राइमरी क्रेडिट स्ट्रक्चर तबाह हो जायेगा।

पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में साल 2017 में सहकारी भर्ती बोर्ड बनाया गया था, जो पिछले छह साल में व्यवस्थापकों की भर्ती करने में पूरी तरह से फेल सिद्ध हुआ है। भर्ती बोर्ड के गठन के बाद से समिति स्तर पर कर्मचारियों की नियुक्ति पर रोक लगा रखी है। लम्बे समय से पैक्स कर्मचारियों के नियमितिकरण पर भी रोक है? ऐसे में प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी का संचालन कैसे होगा?

व्यस्थापकों की सेवानिवृत्ति आयु बढायी जाये

उन्होंने सहकारिता मंत्री से अविलम्ब हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए कहा कि सहकारिता की सबसे छोटी और सबसे महत्वपूर्ण इकाई को जिंदा रखने और जीवंत बनाये रखने के लिए पैक्स, लैम्पस मेंं व्यवस्थापकों की भर्ती पर लगी रोक को अविलम्ब हटाये जाने या भर्ती की पुख्ता व्यवस्था होने तक व्यवस्थापकों की सेवानिवृत्त आयु 60 साल से बढाकर 65 साल या 62 साल की जाये।

जानबूझकर लटकायी जा रही है भर्ती

आमेरा ने सहकारी बैंकों में भर्ती को जानबूझकर लटकाये जाने को लेकर जिम्मेदारों से सवाल किया है कि भर्ती को लेकर, भर्ती बोर्ड की जो भी आशंकायें या सवाल हैं, उनका सरकार के स्तर पर एक ही बार में निराकरण क्यों नहीं करवा लिया जाता। क्या कारण है कि कभी अजा/अजजा आरक्षण तो कभी सेवानिवृत्त सैनिकों के आरक्षण के नाम पर, कभी टीपीएस आरक्षण के नाम पर, कभी खिलाड़ी कोटा के नाम पर, कभी आयु सीमा में छूट को लेकर तो कभी रिक्त पदों की नई स्थिति को लेकर बार-बार भर्ती को टाला जा रहा है।

वर्तमान में आवेदन शुल्क को लेकर वित्त विभाग में फाइल को पटक रखा है। हर बार एक नये कारण के साथ भर्ती को लटकाने की साजिश हो रही है। भर्ती बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारी, भर्ती के सभी विषयों पर एक बार में ही स्थिति स्पष्ट करवाने का प्रयास क्यों नहीं कर रहे। किश्तों में विचार का औचित्य क्या है?

सहकारी बैंकों में 2939 पद रिक्त

सहकार नेता ने बताया कि राज्य के सभी सहकारी बैंकों में स्वीकृत स्टाफ स्ट्रैंथ के मुकाबले कर्मचारियों व अधिकारियों के 2939 पद रिक्त हैं। राज्य सहकारी बैंक में 145 पद व 29 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में 1943, कुल 2088 पद रिक्त हैं। इसी तरह राज्य भूमि विकास बैंक में 120 पद व सभी पीएलडीबी में 731, कुल 851 पद लम्बे समय से रिक्त हैं। सहकारी बैंकों की शाखाओं में चेकर व मेकर के लिए पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध नहीं है।

अधिकांश बैंकों में मैनेजर के अलावा बैंकिंग सहायक कम कैशियर, कुल दो कार्मिक ही ब्रांचों में नियोजित हैं, जिससे बैंक शाखा चलाना हुआ दुभर हो रहा है। मेडिकल व सामाजिक इमरजेंसी में भी महिला कार्मिकों को अवकाश नहीं मिल रहा। ऐसी स्थिति में, जबकि स्टाफ बिना अवकाश लिये काम के बोझ तले दबा होगा तो उससे गुणवत्तापूर्ण बैंकिंग सेवा की अपेक्षा कैसे की जा सकती है?

भूमि विकास बैंकों की 800 करोड़ रुपये की वसूली अटकी

आमेरा ने भूमि विकास बैंकों की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि पर्याप्त कर्मचारियों के अभाव में भूमि विकास बैंकों की लगभग 800 करोड़ रुपये की अवधिपार ऋण वसूली संभव नहीं हो रही। इससे पीएलडीबी में लॉन्ग टर्म लोन वितरण हेतु नाबार्ड से पुनर्भुगतान मिलने पर संशय बना हुआ है। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों में 850 से अधिक उच्च शिक्षित एवं कम्प्यूटर ज्ञान वाले कर्मचारी वर्षों से आउटसोर्सिंग के माध्यम से संविदा पर कार्यरत हैं। उन्हें शीघ्र नियमित करने की कार्यवाही की जाए तो शाखाओ को कई अनुभवी कार्मिक मिल सकते हैं।

रिक्त पदों के कारण चरमरा रहा है सहकारी बैंकिंग का ढांचा

आमेरा ने इस बात पर गंभीर चिंता जतायी कि हजारों रिक्त पदों के कारण पेक्स से अपेक्स तक अल्पकालीन सहकारी साख ढाँचा बुरी तरह से चरमराने लगा है। लेकिन सहकारिता विभाग ने जिम्मेदार अधिकारियों ने पैक्स और बैंक शाखाओं की जमीनी हकीकत के प्रति आंखे मूंद ली हैं। उन्होंने कहा कि यदि शीघ्र ही समस्या का सुधार नहीं हुआ और जिम्मेदारों ने अपने रवैये में अपेक्षित परिवर्तन नहीं कर रिक्त पदों की समस्या को सुलझाने का प्रयास नहीं किया तो संगठन को मजबूर होकर आंदोलन का आहन करना पड़ेगा।

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