अपेक्स बैंक एमडी भोमाराम ने फसली ऋण के पुनर्वित्त में कटौती और पैक्स तथा जिला केंद्रीय सहकारी बैंकोंं की दिक्कतों को नाबार्ड के मंच पर उठाया
जयपुर, 5 मार्च (मुखपत्र)। राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (APEX BANK) के प्रबंध निदेशक भोमाराम ने मंगलवार को नाबार्ड के मंच से राजस्थान के जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCB) और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) से सम्बंधित मुद्दों पर आवाज बुलंद की। नाबार्ड (NABARD) की ओर से दि ललित होटल में आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार में पैक्स में स्किल्ड मैनपावर की कमी, अल्पकालीन फसली ऋण के पुनर्वित्त में कटौती, अपर्याप्त पुनर्वित्त के फलस्वरूप जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में शॉर्ट टर्म लोनिंग के लिए फंड्स की कमी के कारण आगामी वित्त वर्ष के लिए,राज्य सरकार की मंशा एवं अपेक्षा के अनुरूप अल्पकालीन फसली ऋण के लक्ष्यों में वृद्धि नहीं कर पाना, नाबार्ड द्वारा बैंकों द्वारा स्वयं के कोष पर वितरित अल्पकालीन ऋण पर मार्जिन को 2 प्रतिशत से घटाकर 1.5 प्रतिशत किये जाने से बैंकों के समक्ष उत्पन्न गम्भीर चुनौती को पूरी शिद्दत के साथ उठाया।
RSCB एमडी ने जिस समय इन गम्भीर मुद्दों का उल्लेख करते हुए, किसानों, बैंकों व पैक्स के हित में इनके अपेक्षानुरूप स्थायी समाधान की मांग की, उस समय राजस्थान सरकार शासन सचिव (बजट एवं व्यय) नरेश कुमार ठकराल, भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक नवीन नाम्बियार, नाबार्ड राजस्थान के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. राजीव सीवच और राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक हर्षदकुमार टी. सोलंकी मंच पर उपस्थित थे।
40 प्रतिशत की जगह 23 प्रतिशत ही पुनर्वित्त मिला
एमडी भोमाराम ने कहा कि पुनर्वित्त में कटौती के कारण, केंद्रीय सहकारी बैंक राज्य सरकार की मंशा एवं बजट घोषणा के अनुरूप 5 लाख नये किसानों को सहकारी साख सुविधा का लाभ नहीं दे पाये। यह संख्या 2 लाख 40 हजार किसानों तक ही सीमित रह गयी।
उन्होंने बताया कि 22 हजार करोड़ रुपये के ऋण वितरण की एवज में नाबार्ड द्वारा 8800 करोड़ रुपये का पुनर्वित्त दिया जाना था, लेकिन केवल 4300 करोड़ रुपये ही दिये गये। बैंकों को शेष 4500 करोड़ रुपये की व्यवस्था, नाबार्ड से 8.15 प्रतिशत के इकोनॉमिक लैंडिंग रेट पर करनी पड़ी, जबकि यदि नाबार्ड 40 प्रतिशत रि-फायनेंस उपलब्ध करवाता तो यही 4500 करोड़ रुपया, 4.70 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध हो सकता था।
अपेक्स एमडी ने कहा कि 8.15 प्रतिशत इकोनॉमिक लैंडिंग रेट पर ली गयी धनराशि, डीसीसीबी द्वारा पैक्स को 5 प्रतिशत पर दी जाती है, ताकि अल्पकालीन फसली ऋण का वितरण सुचारू ढंग से हो सके, इससे जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की बैलेंस शीट घाटे की ओर अग्रसर है।
किसानों, पशुपालकों के हित में पर्याप्त फंड्स की व्यवस्था की जाये
उन्होंने कहा कि सेमिनार में यह तथ्य सामने आया कि अभी तक 15 प्रतिशत किसानों को केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) की सुविधा से जोड़ा जाना बाकी है। इसी प्रकार, राज्य सरकार ने केसीसी की भांति पशुपालकों के लिए गोपाल क्रेडिट कार्ड यानी जीसीसी योजना लाने का निर्णय लिया है, जिसकी क्रियान्विति केलिए सहकारी बैंकों को चुना गया है। लेकिन सहकारी बैंकों के पास फंड्स की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने शासन सचिव व नाबार्ड से आग्रह किया कि इस विकट समस्या को प्राथमिकता से हल कराया जाये ताकि केंद्रीय सहकारी बैंक इस कठित चुनौती से बाहर आकर किसानों व पशुपालकों की मदद कर सकें।
नाबार्ड व राज्य सरकार द्वारा मार्जिन में कटौती से बैंकों को नुकसान
प्रबंध निदेशक भोमाराम ने केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा स्वयं के कोष से वितरित अल्पकालीन फसली ऋण पर नाबार्ड व राज्य सरकार की ओर से दोहरी मार का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सहकारी बैंकों को स्वयं के कोष से वितरित अल्पकालीन फसली ऋण वितरण की एवज में नाबार्ड द्वारा 2 प्रतिशत मार्जिन दिया जाता था, जिसे घटाकर 1.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी प्रकार, राज्य सरकार द्वारा डीसीसीबी को कुल शॉर्ट टर्म ऋण वितरण पर 1 प्रतिशत मार्जिन दिया जाता था, जिसे घटाकर 0.8 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे 22000 करोड़ रुपये के औसत ऋण वितरण पर सहकारी बैंकों को 66 करोड़ रुपये का प्रतिशत नुकसान हो रहा है।
पैक्स में मानव संसाधन की भारी कमी
एमडी भोमाराम ने पैक्स में मानव संसाधन की अत्यंत कमी का जिक्र करते हुए बताया कि राज्य की 7800 से अधिक पैक्स में लगभग 4 हजार पैक्स मैनेजर के पद रिक्त हैं। इनमें से भी बहुत सी पैक्स में स्किल्ड मैनपावर का अभाव है। इसके चलते कई जिलों में एक-एक पैक्स मैनेजर के पास, दो से तीन समितियों का अतिरिक्त चार्ज है। उन्होंने कहा कि पैक्स कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट लागू होने की स्थिति में पैक्स के सुचारू संचालन के लिए स्किल्ड मैन पावर की अत्यंत आवश्यक है, जिसमें राज्य सरकार व नाबार्ड की ओर से मदद की आवश्यकता है।
सभी सहकारी बैंकों में हो राज्य सरकार की फंडिंग
राज्य सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक ने सरकारी विभागों को जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में फंडिंग के लिए निर्देशित किये जाने पर राज्य सरकार का आभार जताते हुए कहा कि फिलहाल 23 बैंकों को सरकारी फंडिंग के लिए पात्र माना गया है। उन्होंने आग्रह किया कि सरकार शेष 6 केंद्रीय सहकारी बैंकों के नाम भी विचार करते हुए, उन्हें निवेश के लिए पात्रता की श्रेणी में लाये। उन्होंने भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय द्वारा हाल ही में गठित राष्ट्र स्तर की तीन मल्टीस्टेट सहकारी सोसाइटियों में से विशेषकर, बहुराज्जीय निर्यात सहकारी समिति का उल्लेख करते हुए, नाबार्ड से मार्गदर्शन देने का आ्रग्रह किया कि जो पैक्स, इस निर्यात समिति की सदस्य बनेंगी, वे इस समिति की सेवाओं का लाभ कैसे उठा पायेंगी?
शासन सचिव नरेश कुमार ठकराल ने अपेक्स बैंक प्रबंध निदेशक द्वारा उठाये गये मुद्दों और सुझावों को लेकर सरकार को फीड बैक देने का आश्वासन दिया।