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एक और केंद्रीय एजेंसी सक्रिय, लोकसभा चुनाव से पहले खंगाले जा रहे हैं को-ऑपरेटिव बैंकों के खाते

नई दिल्ली, 1 मार्च। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले केंद्र सरकार की एक और एजेंसी हरकत में है। इससे राजनीतिक दलों, नेताओं और ऐसे वित्तीय संस्थानों की नींद उड़ गई है, जो काले धन के लेन-देन में शामिल रहे हैं। देश की वित्तीय खुफिया इकाई (फिनांसियल इंटेलिजेंस यूनिट, FIU) ने लगभग 600 अफसरों की एक टीम तैनात की है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले को-ऑपरेटिव बैंकों में नगदी जमा और निकासी पर कड़ी नजर रख रही है।

ये टीम चुनावों में काले धन के इस्तेमाल को रोकने के लिए राजनीतिक हस्तियों और उनसे जुड़े लोगों के खातों पर नजर रख रही है। एजेंसी ने हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ऐसे लेनदेन की रिपोर्ट करने में विफल रहे 12 सहकारी बैंकों की पहचान की है।

ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, एफआईयू ने इस बार आयकर विभाग, कस्टम विभाग, प्रवर्तन निदेशालय(ED), राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के 600 अधिकारियों की एक टीम बनाई है, जो इस ऑपरेशन को अंजाम दे रही है। एजेंसी उन सहकारी बैंकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर रही है, जो पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान भारी मात्रा में हुए कैश लेनदेन को रिपोर्ट करने में विफल रहे हैं। एक अधिकारी के अनुसार, एजेंसी के राडार पर सभी बैंक हैं लेकिन को-ऑपरेटिव बैंकों पर विशेष नजर रखी जा रही है। 12 को-ऑपरेटिव बैंकों में एजेंसी को कई गड़बड़ी मिली हैं।

उल्लेखनीय है कि आमतौर पर चुनाव आयोग, चुनावों के दौरान ऐसे अवैध या संदिग्ध लेनदेन या भारी नकदी निकासी या सोने के लेनदेन और शराब बांटने जासे मामलों पर इनकम टैक्स, कस्टम, स्थानीय पुलिस और अन्य एजेंसियों से संपर्क रखती थी लेकिन इस बार एफआईयू ने पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कैश लेनदेन पर नजरें टेढ़ी कर ली हैं।

क्या है एफआईयू

एफआईयू् यानी वित्तीय खुफिया इकाई केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाली एक राष्ट्रीय गुप्तचर एजेंसी है, जिसका मुख्य कार्य संदिग्ध लेनदेन, बड़े पैमाने पर नकद निकासी पर रिपोर्ट प्राप्त करना, उसका विश्लेषण करना और जरूरी होने पर उसे अन्य खुफिया और प्रवर्तन एजेंसियों से साझा करना है।

एफआईयू रिपोर्टिंग संस्थाओं से प्राप्त रिपोट्र्स के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर डेटा बेस भी स्थापित करता है और मनी लॉन्ड्रिंग और उससे जुड़े अपराधों से निपटने के लिए एक प्रभावी राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से वित्तीय खुफिया जानकारी का संग्रह और साझाकरण का काम करता है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग के ट्रेन्ड और टाइपोलॉजी पर रिसर्च और एनालिसिस भी करता है।

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