राष्ट्रीयसहकारिता

राष्ट्रीय सहकारिता नीति की घोषणा, टूरिज्म, टैक्सी, इंश्योरेंस और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में भी बनेंगी सहकारी समितियां – अमित शाह

– 2034 तक जीडीपी में सहकारी क्षेत्र का योगदान तीन गुना होगा

– 50 करोड़ सक्रिय सदस्य और युवाओं को रोजगार से जोड़ा जायेगा

नई दिल्ली, 24 जुलाई। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 का अनावरण किया। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर एवं मुरलीधर मोहोल, सहकारिता सचिव डॉ. आशीषकुमार भूटानी और राष्ट्रीय सहकारिता नीति ड्राफ्ट कमेटी के अध्यक्ष, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुरेश प्रभु के नेतृत्व में 40 सदस्यों वाली समिति ने स्टेकहोल्डर से संवाद करके एक परिपूर्ण और दूरदर्शी सहकारिता नीति देश के सहकारिता क्षेत्र को भेंट की है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता के अच्छे भविष्य के लिए 40 सदस्यों की समिति बनाई गई, जिसने क्षेत्रीय कार्यशालाएं की और कोऑपरेटिव क्षेत्र के नेताओं, विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, मंत्रालयों सहित सभी पक्षों से विशेष चर्चा कर एक सहकारिता नीति बनाई। समिति के पास लगभग 750 सुझाव आए, 17 बैठकें हुईं और फिर आरबीआई तथा नाबार्ड के साथ परामर्श कर नीति को अंतिम रूप दिया गया।

लक्ष्य प्राप्ति के लिए 6 स्तम्भ निर्धारित

शाह ने कहा कि नई सहकारिता नीति का विजन है सहकारिता के माध्यम से समृद्धि लाकर 2047 तक विकसित भारत का निर्माण। उन्होंने कहा कि इस नीति का मिशन है – पेशेवर, पारदर्शी, तकनीक से युक्त, जिम्मेदार और आर्थिक रूप से स्वतंत्र व सफल छोटी-छोटी सहकारी इकाइयों को बढ़ावा देना, और प्रत्येक गांव में कम से कम एक सहकारी इकाई स्थापित करना। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र के लिए तय किए गए लक्ष्य को हासिल करने के छह स्तंभ निर्धारित किए गए है जिनमें – नींव का सशक्तिकरण, जीवंतता को प्रोत्साहन, सहकारी समितियों को भविष्य के लिए तैयार करना, समावेशिता को बढ़ावा और पहुँच का विस्तार, नए क्षेत्रों में विस्तार और सहकारी विकास के लिए युवा पीढ़ी को तैयार करना शामिल है।

पर्यटन, टैक्सी, बीमा, हरित ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार की योजना

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि पर्यटन, टैक्सी, बीमा, और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों के लिए सहकारिता मंत्रालय ने विस्तृत योजना तैयार की है। विशेष रूप से टैक्सी और बीमा क्षेत्र में बहुत कम समय में शानदार शुरुआत की जाएगी। नए उभरते क्षेत्रों में सहकारी इकाइयों की भागीदारी का मतलब है कि सफल सहकारी इकाइयाँ एकजुट होकर नई सहकारी इकाई बनाएँगी, जो नए क्षेत्रों में काम शुरू करेगी। इसका मुनाफा इकाइयों के माध्यम से अंतत: ग्रामीण स्तर की पैक्स के सदस्यों तक पहुँचेगा। इस तरह एक बड़ा और मजबूत सहकारी इकोसिस्टम तैयार करना हमारा लक्ष्य है। साथ ही, भविष्य की पीढिय़ों के लिए सहकारिता को देश के विकास का एक महत्वपूर्ण साधन बनाने का दृढ़ विश्वास स्थापित करना भी हमारा उद्देश्य है।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का अनावरण करते केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (मध्य में), साथ में हैं बायें से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभू, केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर एवं मुरलीधर मोहोल और सहकारिता सचिव डॉ. आशीषकुमार भूटानी (सबसे दायें)

83 हस्तक्षेप बिंदुओं की पहचान

सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार सहकारी संस्थाओं को हर क्षेत्र में सहायता के लिए 24 घंटे तैयार है। हालांकि, इकाइयों को स्वयं को मजबूत करना होगा। इसके लिए 83 हस्तक्षेप बिंदुओं की पहचान की गई है, जिनमें से 58 बिंदुओं पर काम पूरा हो चुका है और तीन बिंदु पूर्ण रूप से लागू हो चुके हैं। दो बिंदु ऐसे हैं, जो निरंतर चलने वाले हैं, अर्थात उन्हें सतत रूप से लागू करना होगा। शेष बिंदुओं पर अब नई शुरुआत की जाएगी। जब सभी राज्य इस नीति को बारीकी से लागू करेंगे, तब एक सर्वसमावेशी, आत्मनिर्भर, और भविष्योन्मुखी मॉडल बनेगा, जो देश की सहकारी व्यवस्था को नया स्वरूप प्रदान करेगा।

जीडीपी में तीन गुणा योगदान का लक्ष्य

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वर्ष 2034 तक सहकारी क्षेत्र का देश की जीडीपी में योगदान तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। यह एक बड़ा लक्ष्य है, लेकिन इसके लिए पूरी तैयारी की गई है। 50 करोड़ नागरिक, जो वर्तमान में सहकारी क्षेत्र के सक्रिय सदस्य नहीं हैं या सदस्य ही नहीं हैं, उन्हें सहकारी क्षेत्र का सक्रिय सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सहकारी समितियों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य है। वर्तमान में 8 लाख 30 हजार समितियाँ हैं, और इसमें 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी।

प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक प्राथमिक सहकारी इकाई होगी, जो प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स), प्राथमिक डेयरी, प्राथमिक मत्स्य पालन समिति, प्राथमिक बहुउद्देश्यीय पैक्स, या अन्य प्राथमिक इकाई हो सकती है। इनके माध्यम से युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाए जाएंगे। पारदर्शिता, वित्तीय स्थिरता, और संस्थागत विश्वास को बढ़ाने के लिए प्रत्येक इकाई को सशक्त करना होगा। इसके लिए एक क्लस्टर और निगरानी तंत्र भी विकसित किया जाएगा।

प्रत्येक तहसील में पांच मॉडल सहकारी गांव होंगे

अमित शाह ने कहा कि मॉडल सहकारी गाँव की शुरुआत सबसे पहले गांधीनगर में हुई और यह नाबार्ड की पहल है। राज्य सहकारी बैंकों के माध्यम से प्रत्येक तहसील में पाँच मॉडल सहकारी गाँव स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। श्वेत क्रांति 2.0 के माध्यम से महिलाओं की सहभागिता को इससे जोड़ा जाएगा। इन सभी योजनाओं को दो समितियों के माध्यम से जमीन पर उतारने के लिए रोडमैप तैयार किया गया है। सहकारिता मंत्रालय इस नीति को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए तैयार है। इसे जमीनी स्तर पर उतारा जाएगा।

जरूरत हुई, तो दस साल बाद बदलाव करेंगे

उन्होंने कहा कि अगले दो दशकों में तकनीक को हर छोटी से छोटी इकाई तक पहुँचाने और गाँवों के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में बड़ा परिवर्तन लाने के लिए इस नीति में महत्वपूर्ण तत्व शामिल किए गए हैं। कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से कार्यप्रणाली को पूरी तरह बदला जाएगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और क्षमता वृद्धि होगी। सहकारी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा, वित्तीय स्थिरता, पारदर्शिता, और चुनौतियों का सामना करने की लचीलापन प्रदान करने के लिए एक मॉनिटरिंग सिस्टम के माध्यम से इन्हें जमीनी स्तर तक लागू किया जाएगा। साथ ही, हर 10 वर्ष में कानून में आवश्यक बदलाव करने की व्यवस्था भी की जाएगी।

अच्छे शेड्यूल्ड कोऑपरेटिव बैंक बनें

अमित शाह ने कहा कि व्यावसायिक बैंकों के समकक्ष अच्छे शेड्यूल्ड कोऑपरेटिव बैंक बनें और कहीं भी उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार न हो, इसे हम सुनिश्चित करेंगे। ग्लोबल विस्तार और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में पहुंच बनाने के लिए हमने एक एक्सपोर्ट कोऑपरेटिव बनाई है। तकनीक के आधार पर पारदर्शी प्रबंधन करने के लिए पैक्स का मॉडल बन चुका है और आने वाले दिनों में हर प्रकार की कोऑपरेटिव में तकनीक के आधार पर पारदर्शी प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी। पर्यावरण के स्थायित्व और ‘सहकारिता में सहकार’ के माध्यम से हम आगे बढ़ाएंगे।

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