राष्ट्रीयसहकारिता

3 साल बाद भारत में एक भी गांव ऐसा नहीं रहेगा, जहां सहकारी संस्था न हो – अमित शाह

नई दिल्ली, 25 नवम्बर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता गठबंधन (आईसीए) के अंतरराष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन-2024 का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 का शुभारंभ और स्मारक डाक टिकट भी जारी किया। इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह, भूटान के प्रधानमंत्री, फिज़ी के उप-प्रधानमंत्री, आईसीए अध्यक्ष और सहकारिता मंत्रालय के सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाने का फैसला दुनिया भर के करोड़ों गरीबों और किसानों के लिए आशीर्वाद सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 का उद्घाटन और आईसीए के अतंरराष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन का भारत में आयोजन स्वागत योग्य है।
शाह ने कहा कि तीन साल पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘सहकार से समृद्धि’ के संकल्प के माध्यम से लाखों गांवों, करोड़ों महिलाओं और किसानों की समृद्धि का रास्ता खोला। इन तीन साल में भारत के सहकारिता क्षेत्र में कई नई गतिविधियां हुई हैं और आज़ादी के 75 साल बाद भारत के सहकारिता आंदोलन का पुनर्जन्म हुआ है और इसमें एक नया जोश आया है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि 2 लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के माध्यम से 3 साल बाद भारत में एक भी गांव ऐसा नहीं रहेगा, जहां कोई सहकारी संस्था न हो। उन्होंने कहा कि पैक्स को आधुनिक, तकनीकयुक्त बनाने और आर्थिक रूप से वायबल बनाने के लिए भी कई फैसले किए गए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर बनाई गई तीन नई सहकारी कोऑपरेटिव्स के माध्यम से भारत का किसान न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया के बाज़ार तक अपनी पहुंच को बढ़ा सकेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल), भारतीय राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (एनसीओएल) और भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) आने वाले दिनों में किसानों की सहभागिता दुनिया के व्यापार में तो बढ़ाएंगी ही, साथ ही पूरी दुनिया की सहकारी संस्थाओं को प्रेरणा देने का काम भी करेगी कि किस प्रकार से छोटा सा किसान पूरी दुनिया के बाज़ारों तक पहुंच सकता है। शाह ने कहा कि इफको, कृभको और अमूल ने सहकारिता के क्षेत्र में पूरी दुनिया में उदाहरण पेश किया है और इसी प्रकार ये तीनों को-ऑपरेटिव्स भी दुनिया के सहकारिता क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का मार्गदर्शन करेंगी।

सहकारिता क्षेत्र के कानूनी ढांचे का सुदृढ़ीकरण

अमित शाह ने कहा कि तीन साल पहले नए सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद सहकारिता क्षेत्र के पूरे कानूनी ढांचे का सुदृढ़ीकरण हुआ है, श्वेत क्रांति 2.0 और नीली क्रांति की शुरुआत भी हुई है, जिसमें सहकारिता का रोल बहुत अहम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सहकारिता के समग्र विकास के लिए पिछले तीन साल में आमूलचूल परिवर्तन हुए हैं। निकट भविष्य में हम सहकारिता विश्वविद्यालय भी बनाने जा रहे हैं, जिसके माध्यम से प्रशिक्षित और तकनीक से युक्त मानव संसाधन का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष’ में नई सहकारी नीति लाकर मोदी सरकार भारत के सहकारी आंदोलन को नई दिशा देने का काम करेगी।

हर गांव, किसान को सहकारिता से जोड़ेंगे

शाह ने कहा कि सहकारिता की पहुंच बढ़ाने के लिए भारत सरकार हर गांव और किसान को सहकारिता से जोडऩे के प्रति कटिबद्ध है। कई नए क्षेत्र तलाशकर कोऑपेरिटव की पहुंच बढ़ाने के भी कई प्रयास किए गए हैं। हर व्यक्ति और क्षेत्र तक कोऑपरेटिव को पहुंचाने के लिए इन तीन साल में बहुत काम किया गया है। उन्होंने कहा कि गावों, किसानों, महिलाओं और गरीबों के सशक्तीकरण के लिए सहकारिता आंदोलन ने कई रास्ते खोले हैं और इसके माध्यम से आने वाले दिनों में ‘सहकार से समृद्धि’ के लक्ष्य को हम प्राप्त कर सकेंगे।

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