कडक़ आईएएस ऑफिसर की योग्यता और कार्यकुशलता पर सरकार ने जताया भरोसा, कृषि और उद्यानिकी विभाग की जिम्मेदारी भी सौंपी
जयपुर, 21 नवम्बर (मुखपत्र)। सहकारिता विभाग की मृतप्राय: कार्य संस्कृति में प्राण फूंकने वाली भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की कडक़ ऑफिसर मंजू राजपाल की प्रशासनिक दक्षता, योग्यता और कार्यकुशलता पर विश्वास जताते हुए राज्य सरकार ने उन्हें अब कृषि एवं उद्यानिकी विभाग एवं पंचायत राज विभाग की भी जिम्मेदारी सौंप दी है।
सरकार ने शुक्रवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा के 48 अधिकारियों की स्थानांतरण सूची जारी की। इनमें साल 2000 बैच की आईएएस मंजू राजपाल को प्रमुख शासन सचिव (सहकारिता) एवं पंजीयक, सहकारी समितियां के पद पर यथावत रखने के साथ ही, प्रमुख शासन सचिव (कृषि एवं उद्यानिकी एवं पंचायती राज (कृषि) विभाग) की जिम्मेदारी भी सौंपी गयी है। साथ ही, उन्हें राजस्थान राज्य बीज निगम के अध्यक्ष पद का दायित्व भी दिया गया है।
मंजू राजपाल को हाल ही में राजस्थान राज्य सहकारी क्रय विक्रय संघ (राजफैड) के प्रशासक पद का दायित्व भी सौंपा गया। इससे पहले, राज्य के मुख्य सचिव सुधांश पंत, राजफैड के प्रशासक थे। पंत अब अपनी सेवाएं भारत सरकार में दे रहे हैं। मंजू राजपाल, राजस्थान राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड (अपेक्स बैंक) और राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ (कॉनफेड) की प्रशासक भी हैं।
कार्य संस्कृति में आया आमूलचूल सुधार
श्रीमती राजपाल ने 10 सितम्बर 2024 को रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां राजस्थान और शासन सचिव, सहकारिता विभाग के पद को ज्वाइन किया था। प्रमोशन के उपरांत 1 जनवरी 2025 को उन्होंने सहकारिता विभाग में प्रमुख शासन सचिव के पद का दायित्व ग्रहण किया।
कठोर प्रशासक की पहचान रखने वाली मंजू राजपाल के सहकारिता विभाग में पदार्पण के बाद से आज तक, विभाग और विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली में जबरदस्त परिवर्तन आया है। सुस्त और स्वछंद कार्यशैली के आदी हो चुके अफसरों को जब राजपाल मैडम का बुलावा आता है, तो उनके हलक सूख जाते हैं।
सहकारिता विभाग में अब कोई कार्य अनावश्यक रूप से लम्बित नहीं रखा जाता। अधिनियम अंतर्गत प्रकरणों का तेजी से निबटारा हुआ है। सहकारी अफसर अब नेहरू सहकार भवन के गलियारों में घूमते और हंसी-ठट्टा करते नजर नहीं आते।
अपेक्स बैंक की कार्य संस्कृति में सुधार का इंतजार
मंजू राजपाल के बिहार में राज्य विधानसभा चुनाव में पर्यवेक्षक के रूप में जाने और वहां से लौटकर आने तक के चार सप्ताह की अवधि में अपेक्स बैंक रूपी नदी में बहुत पानी व्यर्थ बह चुका है। मनमानी का ऐसा दौर चला, जिसमें बैंक को लाखों रुपये की चपत लगायी गयी। बैंक के रुपये खर्च करने में मारकाट मची रही। बैंक स्टाफ के परामर्श व नियमों को दरकिनार कर मोटी रकम के भुगतान किये गये।
चहेतों को महत्वपूर्ण पद दिये गये। सीधा वास्ता नहीं होने के बावजूद अपेक्स बैंक के स्तर पर स्पेक्ट्रम स्पोटर््स के आयोजन के लिए सहकारी बैंक को जबरिया तैयार किया गया। निलम्बित अफसरों को बहाल किया गया, जबकि जिस मुद्दे को लेकर निलम्बन और सेवानियमों के तहत कार्यवाही की गयी, वे जस के तस हैं। अब देखना ये है कि रजिस्ट्रार कार्यालय कैम्पस वाली कार्य संस्कृति, राजस्थान राज्य सहकारी बैंक में कब देखने को मिलती है।
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