सहकारी समितियां के कर्मचारी सरकार से दो-दो हाथ करने की तैयारी में
सहकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की महत्वपूर्ण बैठक 19 अगस्त को
जयपुर, 15 अगस्त (मुखपत्र)। सरकार और सहकारिता विभाग की उपेक्षा के चलते हाशिये पर पड़े सहकारी समितियां कार्मिकों की आवाज को बुलंद करने के लिए राजस्थान सहकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, जयपुर के बैनर तले 19 अगस्त 2025 को दोपहर 12 बजे जयपुर में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया जा रहा है।
संघर्ष समिति के संयोजक एवं राजस्थान बहुउद्देश्यीय सहकारी सोसाइटी कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष हनुमान सिंह राजावत ने बताया कि बैठक में, संघर्ष समिति में शामिल तीनों संगठनों के जिलाध्यक्षों, प्रदेश कार्यकारिणी पदाधिकारियों व सदस्यों को आमंत्रित किया गया है। बैठक का उद्देश्य पूरे राजस्थान के पैक्स, लैम्पस कार्मिकों को एकजुट करना है ताकि निकट भविष्य में, अपनी मांगों के समर्थन में, जो भी बड़ा निर्णय लिया जाये, उसमें सबकी सहमति हो और वह सभी को मान्य हो।
संघर्ष समिति के सदस्य और राजस्थान सहकारी कर्मचारी विकास मंच, जयपुर के संयोजक सत्यनारायण तिवारी ने बताया कि अगस्त के प्रथम सप्ताह में तीनों संगठनों – राजस्थान बहुउद्देश्यीय सहकारी सोसाइटी कर्मचारी यूनियन, राजस्थान सहकारी कर्मचारी विकास मंच और राजस्थान सहकारी कर्मचारी संघ (भामस) की संयुक्त संघर्ष समिति के गठन कर, तीनों संगठनों के प्रदेशाध्यक्ष क्रमश: हनुमानसिंह राजावत, मदन मेनारिया और कुलदीप जंगम को संयोजक मनोनीत किया गया था। संघर्ष समिति के गठन के उपरांत सहकारिता मंत्री, प्रमुख शासन सचिव (सहकारिता विभाग) और रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां को चार सूत्री मांग सौंपा गया, जिसमें सरकार को 31 अगस्त 2025 तक का समय दिया गया है।
बैठक में तय होगी आगामी रणनीति
तिवारी ने बताया कि 19 अगस्त को प्रस्तावित बैठक में पूरे राजस्थान से पैक्स कार्मिकों के प्रतिनिधि संगठनों के जिलाध्यक्ष/महामंत्री, प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारी/सदस्य आदि शामिल होकर, इस बात का निर्णय करेंगे कि यदि सरकार हमारी मांगों पर सकारात्मक रुख नहीं रखती है, तो संयुक्त संघर्ष समिति का लाइन ऑफ एक्शन क्या रहेगा। इस बैठक का मुख्य एजेंडा यही रहेगा कि यदि हमें आंदोलन करना पड़ता है तो उसकी रणनीति क्या रहेगी। इस पर सभी के विचार सुने जायेंगे और सुझाव लिये जायेंगे। यदि आवश्यक हुआ तो संयुक्त संघर्ष समिति का विस्तार करते हुए इसमें कुछ और सक्रिय सदस्यों को जोड़ा जा सकता है। सबके सुझावों को सुनने के पश्चात संयुक्त संघर्ष समिति को ही आगामी रणनीति के लिए अधिकृत किया जायेगा और उसका निर्णय पूरे प्रदेश में मान्य होगा।
ये है संयुक्त संघर्ष समिति की मुख्य मांगे
1. सहकारी समितियां कर्मचारियों का नियोक्ता निर्धारण।
2. ऋण पर्यवेक्षक के रिक्त पदों को शत-प्रतिशत व्यवस्थापकों की पदोन्नति से भरा जाये।
3. सहकारी समिति कर्मचारियों के नियमितिकरण की प्रक्रिया पुन: प्रारम्भ की जाये और नियमित रूप से स्क्रीनिंग नहीं होने के कारण, जो कार्मिक ओवरऐज हो गये हैं, उन्हें अधिकतम आयु सीमा में छूट देते हुए नियमितिकरण प्रक्रिया में शामिल किया जाये।
4. पैक्स कर्मचारियों के सेवा नियम कार्मिक विभाग द्वारा बनाये जायें।
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