सहकारी बैंकों में परिवीक्षा काल में देय नियत पारिश्रमिक में सम्मानजनक बढ़ोतरी की जाये : आमेरा
जयपुर, 7 अगस्त (मुखपत्र)। सहकारी बैंकों में परिवीक्षा अवधि के दौरान अत्यंत कम वेतन के कारण, चयनित युवाओं का सहकारी बैंकों की सेवा से मोह भंग हो रहा है। सहकारी बैंकों में चयन के पश्चात, अन्यत्र सर्विस मिलने पर युवाओं द्वारा सहकारी बैंक की सेवाओं को त्याग देना प्रचलन में है। इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए सहकार नेता सूरजभान सिंह आमेरा ने परिवीक्षा काल में देय फिक्स वेतन में सम्मानजनक बढोतरी किये जाने की मांग राज्य सरकार से की है।
ऑल राजस्थान कोआपरेटिव बैंक एम्प्लाइज यूनियन व ऑल राजस्थान कोऑपरेटिव बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रान्तीय महासचिव सूरजभान सिंह आमेरा ने सहकारिता मंत्री गौतम दक, सहकारिता विभाग की प्रमुख शासन सचिव एवं रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां मंजू राजपाल और अपैक्स बैंक प्रबंधन को यूनियन की ओर से ज्ञापन प्रस्तुत किया गया है। ज्ञापन में प्रदेश के सहकारी बैंकों में सीधी भर्ती से नियोजित बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों को 2 वर्ष की परिवीक्षा अवधि में देय नियत पारिश्रमिक (फिक्स वेतन )में सम्मानजनक बढ़ोतरी किए जाने की मांग की है।
आमेरा ने बताया कि हाल ही में प्रदेश के राज्य सहकारी बैंक व 29 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) में बैंकिंग सहायक, प्रबंधक, वरिष्ठ प्रबंधक, कम्प्यूटर प्रोग्रामर के लिए 449 पदों पर सीधी भर्ती की गई है। 2 वर्ष के प्रोबेशन काल में बैंकिंग सहायक को मात्र 11950 रुपये मासिक नियत पारिश्रमिक दिया जा रहा है, जो बहुत ही कम है जबकि सहकारी बैंक में बैंकिंग सहायक का प्रारम्भिक मूल वेतन 25,910-1,21,740 रुपये की श्रृंखला है जिसके अनुरूप अधिकारियों की फिक्स वेतन में भी बढ़ोतरी किया जाना आवश्यक है।
न्यूनतम वेतन के कारण सर्विस छोड़ जाते हैं
आमेरा ने बताया कि राज्य सरकार के 2 वर्ष प्रोबेशन व नियत पारिश्रमिक के प्रावधान को सहकारी बैंकों में अनुचित रूप से थोपने का भी यूनियन विरोध कर रही है। सहकारी बैंकों में कर्मियों को वेतन भुगतान बैंकों द्वारा स्वयं के आर्थिक साधनों से स्वयं के स्तर से किया जाता है, राज्य सरकार पर कोई भार नहीं आता है। देश के अन्य सभी बैंकों में 6 माह का प्रोबेशन होता है, जिसमें नियमित वेतनमान का भुगतान किया जाता है।
आमेरा ने चिंता व्यक्तकरते हुए बताया कि सहकारी बैंकों में 2 वर्ष के लम्बे प्रोबेशन में मात्र 11,950 रुपये फिक्स वेतन के कारण नये कर्मी ज्वाइन नहीं करते या कमियों में स्थाई ठहराव नहीं रहता, जिससे भर्ती का प्रयोजन ही विफल हो जाता है क्योंकि चयनित युवाओं को छोडक़र जाने से पद पुन: रिक्तहो जाते हैं।
पे-प्रोटेक्ट का प्रावधान लाभ लागू किया जाये
सहकार नेता आमेरा ने राज्य सरकार एवं सहकारिता विभाग से सहकारी बैंकों में अन्य बैंक व राज्य-केंद्र सेवा से नोकरी छोडक़र आए कार्मिक को प्रोबेशन में राज्य सरकार के समान वेतन संरक्षण (पे-प्रोटेक्ट) का प्रावधान लाभ भी लागू किए जाने की माँग की है। इस भर्ती में अन्य सहकारी बैंक, व्यावसायिक बैंक, राज्य केंद्र सेवा व सेना से नोकरी छोडक़र फुल वेतन ले रहे कार्मिक आए हैं, जिनको छोडक़र आए वेतन संरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
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